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फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र का मामला:एमपी ऑनलाइन पर एक हजार में बिक रहे फर्जी‎ जन्म प्रमाण-पत्र

सीबीएमओ के फर्जी सील-साइन किए, ऑनलाइन पोर्टल पर भी रिकाॅर्ड नहीं

डबरा – ग्वालियर जिले के डबरा और भितरवार क्षेत्र में एमपी ऑनलाइन के कियोस्क सेंटरों पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र एक हजार रुपए में बनाकर खुलेआम बेचे जा रहे हैं। पैसे जमा कराओ और किसी भी तारीख और साल का जन्म प्रमाण पत्र बनवा लो। कियोस्क पर बना जन्म प्रमाण पत्र देखने में बिल्कुल असली जैसा है। ऐसे बच्चों के नाम से भी प्रमाण पत्र बना दिए, जिन्होंने जन्म ही नहीं लिया। इस पर मेडिकल ऑफीसर के फर्जी दस्तखत भी असली से मिलते-जुलते किए गए हैं।
इन प्रमाण पत्रों का न तो ऑनलाइन कोई रिकार्ड है और न ही अस्पताल में। ऐसे बच्चों के भी जन्म प्रमाण पत्र बना दिए गए, जो जन्मे ही नहीं। इसका खुलास तब हुआ, जब एक बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में नाम की स्पेलिंग गलत होने पर उसके पिता करेक्शन करवाने के लिए कियोस्क सेंटर के बजाए भितरवार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए।
यहां पर सीबीएमओ ने जन्म प्रमाण पत्र पर अपने फर्जी दस्तखत देखे तो वे चौंक गए। इसके बाद दैनिक भास्कर ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने के लिए पड़ताल शुरू की। भास्कर ने चार लोगों के जन्म प्रमाण पत्र बनवाए। यह प्रमाण पत्र एक हजार रुपए लेकर तीन दिन में बनाकर दे दिए। मालूम हो कि जन्म प्रमाण पत्र स्कूल में एडमिशन और सरकारी नौकरी के समय मांगा जाता है। वेरीफिकेशन के समय अस्पताल, नगरीय निकाय और पंचायत में यदि रिकार्ड नहीं मिला तो कार्रवाई के दायरे में आवेदक ही आएगा।
जन्म प्रमाण पत्र फर्जी मिलने पर दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल शुरू की। भास्कर ने एक व्यक्ति को एमपी ऑनलाइन के कियोस्क सेंटर पर जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भेजा। यह व्यक्ति पुराना बस स्टैंड के पास स्थित एमपी ऑनलाइन सेंटर कान्हा फोटो डिजीटल की दुकान पर पहुंचा। यहां सेंटर पर एक युवक मिला।
उससे जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने के बारे में पूछताछ की तो उसने कहा कि 400 लगेंगे और एक दिन में मिल जाएगा। कियोस्क दुकान संचालक को 400 रुपए और पति-पत्नी के आधार कार्ड की फोटोकॉपी देकर अंदाज से बच्चे की जन्म की तारीख बता दी। अगले ही दिन सेंटर वाले ने हार्दिक यादव पुत्र राजेश यादव वार्ड क्रमांक 10 भितरवार के नाम से जन्म प्रमाण पत्र बनाकर दे दिया। जिस नाम से यह जन्म प्रमाण पत्र बनाया, उस नाम का कोई बच्चा राजेश यादव का है ही नहीं। भास्कर टीम ने सीबीएमओ डॉ अशोक खरे को यह जन्म प्रमाण पत्र दिया तो उन्होंने इसे फर्जी बताया। साथ ही इस पर लगे सील साइन भी फर्जी थे और ऑनलाइन जानकारी भी दर्ज नहीं थी।

प्रमाण- पत्र बनने के बाद 4 दिन यह कहकर नहीं दिया कि साइन होने हैं, ताकि असली लगे

भास्कर टीम ने एक अन्य दूसरे व्यक्ति को भितरवार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से 200 मीटर दूर काश्वी कम्प्यूटर सेंटर पर भेजा। यहां पर बैठे व्यक्ति ने जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए ₹900 मांगे। भेजे गए व्यक्ति द्वारा ₹900 देने के बाद उसे तीन दिन में समर यादव पुत्र दिनेश यादव वार्ड क्रमांक 12 नाम से जन्म प्रमाण पत्र दे दिया गया।
इसमे जो जन्म दिनांक 16 जुलाई 2012 अंकित है, वह पूरी तरह से गलत है। हालांकि यह प्रमाण पत्र भी असली जैसा दिख रहा है। उस पर बाकायदा अस्पताल की सील और डॉक्टर के साइन हैं। इस प्रमाण पत्र को भी जब सीबीएमओ डॉक्टर खरे को दिखाया गया तो उन्होंने अपने साइन होने से इनकार कर दिया। साथ ही इसका भी ऑनलाइन पोर्टल पर कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

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