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बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के बच्चों में संक्रमण होने का खतरा

सागर – बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) वार्ड में नवजात बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां बेबी वार्मर कम हैं। जबकि रोज भर्ती होने वाले शिशुओं की संख्या ज्यादा है। इससे एक मशीन पर दो से चार शिशुओं को रखकर इलाज करना पड़ रहा है। इससे एक शिशु में दूसरे से संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो गया है।
सूत्रों के अनुसार मेडिकल कॉलेज में 5 साल पहले 20 बेबी वार्मर और 5 वेंटीलेटर के साथ एसएनसीयू की शुरूआत हुई थी। कुछ समय बाद इनमें से 2 बेबी वार्मर लेबर रूम तथा इतने ही पीआईसीयू (बाल गहन चिकित्सा इकाई) में लगा दिए गए। इसके बाद एसएनसीयू के लिए सिर्फ 16 बेबी वार्मर शेष बचे।
मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में इन दिनों रोजाना औसतन 16 से 20 प्रसव हो रहे हैं। इनमें से औसत 5 नवजात को एसएनसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है। एक शिशु को कम से कम 5 से 6 दिन एसएनसीयू में रखना होता है। प्रसव संख्या बढ़ने पर बच्चों की संख्या भी बढ़ती है। ऐसी स्थिति में एक वार्मर पर शिशुओं की संख्या 1 से बढ़कर 4 तक हो जाती है।

इंफेक्शन के खतरे को कर रहे नजरअंदाज

विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को सबसे अधिक इंफेक्शन का खतरा होता है। इसके बाद भी लापरवाही बरती जा रही है। एक बच्चे को कोई गंभीर इंफेक्शन होने पर उससे दूसरे बच्चों को भी फैलने का खतरा बना रहता है।

बीते सालों में बने प्रस्ताव, लेकिन आगे नहीं बढ़े

पिछले सालों में शिशुओं की संख्या और एसएनसीयू में कम पड़ती व्यवस्थाओं को देखकर नर्सरी में कम से कम 20 बेड बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर प्रबंधन को भेजे गए। लेकिन इन प्रस्तावों पर कार्रवाई नहीं हुई।

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