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महिला आरक्षण से खुश नहीं उमा भारती:ओबीसी के बड़े नेताओं की बुलाई बैठक

अभियान चलाने सबकी सहमति से करेंगी फैसला

भोपाल – पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों ही सदनों में पारित होने के बााद अब ओबीसी वर्ग को और अधिक महत्व दिए जाने को लेकर अभियान छेड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि जिस ओबीसी आरक्षण के वजह से यह विधेयक इतने सालों तक रुका रहा उसके बिना ही यह पारित हो गया। हमारी पार्टी की सरकार ने इसको जिस भी रूप में पारित किया वह आज स्वीकार है लेकिन हक के लिए लड़ना होगा। इसी को लेकर उमा भारती ने शनिवार को ओबीसी वर्ग के नेताओं व अन्य विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे वरिष्ठ लोगों की बैठक बुलाई है। उमा भारती ने ट्वीट के जरिये बैठक बुलाने की जानकारी दी है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में उमा भारती ने कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया। अब पिछड़े वर्गों को स्थान देने के लिए एक और संशोधन का मार्ग निकालना है। इसलिए भोपाल शहर के एवं उसके आसपास के पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेताओं के साथ गुरुवार को विचार विमर्श हुआ। इसके बाद 23 सितंबर को एक और बड़ी बैठक बुलाने का फैसला हुआ। बैठक कहां होगी, यह जानकारी अभी शाम तक साफ हो जाएगी। उमा भारती तीन दिन पहले भी इसको लेकर मध्यप्रदेश से अभियान शुरू करने की बात कर चुकी हैं और उन्होंने ओबीसी महिलाओं को अधिक आरक्षण देने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।

यह सवाल उठाए हैं उमा भारती ने

इसके पहले लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद उमा ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा था कि 27 साल पहले यह विधेयक सर्वानुमति से पारित होने के लिए प्रस्तुत हुआ था तब हमारी पार्टी भाजपा, कॉंग्रेस एवं वामपंथी एकमत थे।
तब के प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा द्वारा सदन में पेश करते समय ही यह विधेयक ओबीसी, एससी, एसटी आरक्षण की दलील पर स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया। फिर इतने सालों तक यह लंबित रहा। जिस ओबीसी आरक्षण के वजह से यह विधेयक रुका रहा उसके बिना ही यह पारित हो गया।
हमारी पार्टी की सरकार ने इसको जिस भी रूप में पारित किया वह आज स्वीकार है किंतु पार्टी की मर्यादा में रह कर लोकतांत्रिक तरीक़े से जब तक यह विधेयक लागू नहीं होता तब तक ओबीसी आरक्षण के संशोधन के लिए दृढ़निश्चयी बने रहेंगे।
यह आरक्षण संविधान में विशेष संशोधन हैं तो देश की 60 % आबादी ओबीसी के लिए एक संशोधन और किया जा सकता है। हम सभी अपनी तपस्या एवं पीएम नरेंद्र मोदी पर अपना विश्वास बनाए रखें।
1996 में उमा भारती ने किया था इस तरह का विरोध

गौरतलब है कि महिला आरक्षण विधेयक सामने आने के बाद ही उमा ने कहा था कि 1996 में देवगोड़ा जी ने जब इसे प्रस्तुत किया तब मैने इस बिल का स्वागत करते हुए, खड़े होकर सदन के सामने इस बिल में एक संशोधन प्रस्तुत किया। देवगोडा ने संशोधन पर अपनी सहमति जताते हुए उसे स्टैंडिंग कमेटी को सौंप दिया जिससे यह बिल विचाराधीन हो गया था।

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