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सिंगरौली में आदिवासी को गोली मारने का मामला बीजेपी विधायक को निडर होकर तत्काल गिरफ्तार करे पुलिस

शिवराजसिंह मरी हुई व्यवस्था के मुखिया बन कर रह गये हैं: अजयसिंह

भोपाल – पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी विधायक राम लल्लू बैस के पुत्र विवेकानन्द बैस द्वारा सिंगरौली में एक आदिवासी युवक सूर्य कुमार खैरवार को गोली मारने की घटना दर्शाती है कि आदिवासियों और दलितों के प्रति भाजपा सरकार लगातार वहशी होती जा रही है। प्रदेश में हो रही घटनाएं भाजपा के वहशीपन का प्रमाण हैं। उन्होंने पूछा कि किसके इशारे पर पुलिस अपराधी को गिरफ्तार नहीं कर रही है? पुलिस को निडर होकर विधायक पुत्र को गिरफ्तार करना चाहिए।
अजयसिंह ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की उदासीनता के कारण विन्ध्य अपराधों का टापू बनता जा रहा है। पूरा मध्यप्रदेश आदिवासियों और दलितों पर होने वाले अत्याचारों का गढ़ बन गया है। शिवराजसिंह चौहान एक डरी और मरी हुई व्यवस्था के ऐसे मुखिया बनकर रह गये हैं जो पूरे प्रदेश को दीमक की तरह चाट रहे हैं। यही कारण है कि वर्ष 2004 से 2021 के बीच आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार में मध्यप्रदेश 12 बार पहला और छह बार दूसरे स्थान पर रहा है। देश में आदिवासियों की आबादी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा है लेकिन विडम्बना यह है कि भाजपा सरकार की उपेक्षा से वे एक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। प्रदेश की पूरी व्यवस्था बेशर्म हो चुकी है।
अजयसिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में पिछले दिनों कई वीभत्स घटनायें सामने आई हैं। इन घटनाओं से न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश को शर्मिंदा होना पड़ा है। सीधी जिले के पेशाब काण्ड की चर्चा तो पूरे देश में हो रही है। इस घटना से लोग आक्रोश से भर गए हैं। ग्वालियर के भितरवार के गोहिंदा गाँव में दबंगों ने लक्ष्मण और बनवारी आदिवासी की न केवल झोपड़ी जला दी बल्कि उनके परिवार वालों को जूते चप्पल की माला पहना कर अपमानित किया और मारपीट भी की। इसी दिन सात जुलाई को इंदौर के राऊ क्षेत्र के दो आदिवासी युवकों को दबंगों ने रात भर बाँध कर बुरी तरह पीटा। यह घटनायें दर्शाती हैं कि मध्यप्रदेश में आदिवासियों के साथ होने वाले आत्याचार कितने वीभत्स हैं। वहीं नेमावर काण्ड में कन्हैया भील और बिस्टान आदि को सरकार अब तक न्याय नहीं दिला सकी।
सिंह ने कहा कि विगत 16 जुलाई को रीवा के नीवा ग्राम पंचायत के आदिवासी सरपंच अमरजीत कोल पर कुल्हाड़ी से हमला कर अधमरा कर दिया गया। वहीं रायसेन पडरिया खुर्द गाँव के एक आदिवासी युवक की हत्या करने का मामला प्रकाश में आया है लेकिन अभी तक हत्यारे का पता नहीं है। ऐसे ही कई और मामले हैं जिनमें पुलिस के हाथ खाली हैं।

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