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हमीदिया अस्पताल में न फिजियोथेरेपी यूनिट और न ही विभाग

2019 से उठ रही मांग, अब तक अधूरी

भोपाल – राजधानी भोपाल में हर दिन करीब 200 से अधिक लोगों को फिजियाेथेरेपी की जरूरत पड़ रही है। बावजूद इसके गांधी मेडिकल कॉलेज के हमीदिया अस्पताल में कोई फिजियोथेरेपी यूनिट ही नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि इसके लिए कोई विभाग भी नहीं बना है, जबकि इंदौर और जबलपुर मेडिकल कॉलेज में न केवल फिजियोथेरेपी के लिए यूनिट बनी हुई है बल्कि पढ़ाई भी कराई जा रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर 10,000 लोगों के बीच एक क्वालिफाइड फिजियो की जरूरत है।
जटिल से जटिल सर्जरी, हड्डियों की टूट-फूट, खिलाड़ियों को लगने वाली चोटों, मांस पेशियों व जोड़ों व न्यूरो तंत्र से संबंधित समस्याओं के लिए फिजियोथेरेपी की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। 2019 से प्रदेश के फिजियो एसाेसिएशन मांग कर रहे है। हड्डियों से संबंधित रोगों जैसे- पैरालिसिस, आर्थराइटिस , जोड़ों में दर्द (दर्द या सूजन) सेरेब्रल पाल्सी, स्पोंडिला इटिस (रीड की हड्डी) का दर्द मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज में इसकी अहम भूमिका होती है, इतना ही नहीं पेल्विक फ्लोर (गर्भाशय ) संबंधी बीमारियां में भी फिजियो थैरेपी आपकी मदद कर सकती है।

कॉलेज शुरू होने के बाद नहीं आएगी कमी

फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रमों शुरू होने से सरकार को भारी संख्या में फिजियोथेरेपी के नए छात्र फिजियोथेरेपिस्ट मिल जाएंगे। साथ ही चिकित्सा शिक्षा में भी सुधार होगा। सरकारी अस्पतालों में फिजियोथेरेपिस्ट की भारी कमी है। जब छात्र इंटर्नशिप के लिए आएंगे तो यह कमी अपने आप ही पूरी हो जाएगी। 10% आबादी फिजिकल डिसएबिलिटी से ग्रसित है। फिजियोथैरेपी एक हेल्थ केयर प्रोफेशन है, जिसमें परीक्षण उपचार, सलाह और निर्देश किसी बिमारी, मूवमेंट डिसफंक्शन, फिजिकल डिसआर्डर, हीलिंग, दुर्घटना में हुए शारीरिक दर्द आदि के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं।

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