You are here
Home > Uncategorized > इंदौर नगर निगम में 28 करोड़ के घोटाले की फाइल चोरी

इंदौर नगर निगम में 28 करोड़ के घोटाले की फाइल चोरी

महापौर बोले- विभागीय मिलीभगत के बिना यह फर्जीवाड़ा संभव नहीं, जांच कराएंगे

इंदौर – नगर निगम में 28 करोड़ रुपए के फर्जी बिल मामले में दस्तावेज और हस्ताक्षर फर्जी बताए जा रहे हैं और इसी को आधार मानते हुए अधिकारियों ने एफआईआर भी दर्ज करवाई, लेकिन ड्रेनेज शाखा के अधिकारियों ने फाइल चोरी होने का जवाब दे दिया।
इस पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस घोटाले में अधिकारियों की भूमिका पर संदेह उठाया है। उन्होंने कहा कि बिना विभागीय मिलीभगत के इस तरह का फर्जीवाड़ा संभव नहीं है। हम अपने स्तर पर भी इसकी जांच करवाएंगे।
उन्होंने कहा कि फर्जी बिल दो साल पुराने कामों के आधार पर भुगतान के लिए पहुंचे तो इतने समय तक अधिकारियों ने इसे छिपा कर क्यों रखा। तीन महीने पहले अगर अधिकारी ने इस तरह की गड़बड़ी पकड़ ली थी तो उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई?
बिल तैयार होने में निगम की मेजरमेंट बुक का इस्तेमाल हुआ। अफसर अपने हस्ताक्षर फर्जी बता रहे हैं, लेकिन बिल अकाउंट विभाग तक कैसे पहुंचे? यह भी जांच का विषय है। इतनी महत्वपूर्ण फाइल कोई गाड़ी में कैसे रख सकता है और गाड़ी से चोरी होना हैरान करने पाला है।
गौरतलब है कि निगम की लेखा शाखा नेड्रेनेज लाइनों के 28 करोड़ रुपए के बिल रोक लिए, क्योंकि ज्यादा राशि थी। इसलिए फाइल को चेक करवाने के लिए ड्रेनेज शाखा को भेजा गया। पांच फर्मों के खिलाफ नगर निगम के अधीक्षण यंत्री सुनील गुप्ता ने प्रकरण दर्ज कराया। गुप्ता की ही कार से इस घोटाले की फाइलें चोरी हुई थीं।
वहीं पांचों ठेकेदारों का भी पता नहीं चल पा रहा है। पुलिस ने उनके खिलाफ 10 हजार का इनाम घोषित किया है। निगम में हुए इस घोटाले में आशंका है कि यह सिर्फ 28 करोड़ रुपए का नहीं है बल्कि इससे अधिक राशि का है। महापौर इस मामले में मुख्यमंत्री औरनगरीय विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।

Top