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पिछले दस साल में स्मार्ट सिटी में दो सड़कें बनीं, जबकि 1960 में 8 साल में बन गई थी स्मार्ट भेल टाउनशिप – अरुण श्रीवास्तव

पिछले 35 सालों में भोपाल के सांसदों ने विकास में रुचि नहीं ली

भोपाल – भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव शनिवार को दैनिक भास्कर कार्यालय आए और चुनाव में उनके मुद्दों पर चर्चा की। श्रीवास्तव से दैनिक भास्कर ने पूछा कि देश के अन्य राज्यों की राजधानियों की तुलना में भोपाल पिछड़ा नजर आता है। ऐसे में आपकी क्या योजना है? इसके जवाब में उन्होंने कहा – ‘पिछले 35 सालों में भोपाल के सांसदों ने विकास में रुचि नहीं ली। दस साल में बहुप्रचारित स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद केवल 2 चौड़ी सड़कें बनीं। जबकि 1956 में भेल का निर्माण शुरू हुआ था और 1964 में एक सुव्यवस्थित टाउनशिप बन कर तैयार हो गई थी।

कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव से खास बातचीत:अरुण- पिछले दस साल में स्मार्ट सिटी में दो सड़कें बनीं, जबकि 1960 के दशक में 8 साल में बन गई थी स्मार्ट भेल टाउनशिप

भोपाल11 घंटे पहले

भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव शनिवार को दैनिक भास्कर कार्यालय आए और चुनाव में उनके मुद्दों पर चर्चा की। श्रीवास्तव से दैनिक भास्कर ने पूछा कि देश के अन्य राज्यों की राजधानियों की तुलना में भोपाल पिछड़ा नजर आता है। ऐसे में आपकी क्या योजना है? इसके जवाब में उन्होंने कहा – ‘पिछले 35 सालों में भोपाल के सांसदों ने विकास में रुचि नहीं ली। दस साल में बहुप्रचारित स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद केवल 2 चौड़ी सड़कें बनीं। जबकि 1956 में भेल का निर्माण शुरू हुआ था और 1964 में एक सुव्यवस्थित टाउनशिप बन कर तैयार हो गई थी।

सीहोरी गेहूं की अंतरराष्ट्रीय पहचान का लाभ किसानों को दिलाएंगे, कृषि को फायदे वाले उद्योग लगाएंगे

यदि भेल की ही बात करें तो कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है और 2000 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। आपकी क्या योजना है? -श्रीवास्तव : मैं भी यही कह रहा हूं कि भेल को बंद करने की साजिश हो रही है। रिनोवेशन करके भेल को नए क्षेत्रों में काम करना चाहिए। इससे अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और 2000 एकड़ जमीन का भी उपयोग हो सकेगा। भेल के ठेका श्रमिकों को भी स्थायी रोजगार देना चाहिए।

शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में आपकी क्या प्राथमिकता है?
-भोपाल में न तो आईआईटी है और न आईआईएम। दोनों में से कम से कम एक यहां आए, इसके लिए प्रयास करूंगा। भोपाल में आईटी पार्क केवल नाम का है। इसे विकसित करने की जरूरत है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में रोजगार और बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा किया गया है।

भोपाल कर्मचारी बाहुल्य शहर है। कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर आपका रूख?
-बड़ी संख्या में कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो गए, उन्हें पेंशन और भत्तों में लाभ दिलाया जाएगा। ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया जाएगा। भेल के कर्मचारियों की पेंशन और वेतन विसंगतियों को भी दूर कराया जाएगा।

40 साल पहले हुई गैस त्रासदी का दंश लोग आज भी भुगत रहे हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
-गैस कांड के समय यानी 1984 के पूरे भोपाल और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र को गैस पीड़ित घोषित किया जाना चाहिए। गैस पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी को भी पीड़ित मानते हुए इलाज और पुनर्वास होना चाहिए। बीएमएचआरसी जिसे एक रिसर्च सेंटर बनना था वह डिस्पेंसरी जैसा रह गया है। उसमें सुधार होना चाहिए और यूका का जहरीला कचरा साफ होना चाहिए।
इसके कारण भूजल प्रदूषित हो रहा है।

सीहोर को लेकर आपके पास कोई ठोस कार्ययोजना है?
-सीहोर का गेहूं बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट होता है। लेकिन इसका लाभ यहां के किसानों को नहीं मिलता। किसानों को लाभ दिलाने की नीतियां बनवाएंगे। यहां ऐसे उद्योग लाएंगे जिससे कृषि को फायदा हो।

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