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उमा भारती सहित भाजपा के कई वयोवृद्ध नेता अब मार्गदर्शक मंडल में

पार्टी में भूमिका नहीं दिए जाने से इन नेताओं में निराशा

भोपाल – मध्यप्रदेश में निचले स्तर तक पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं में पसरी नाराजगी और निराशा को देखकर एक कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि हम बड़ों का सम्मान और छोटों का साथ लेकर विधानसभा चुनाव जीतेंगे और मध्यप्रदेश में पांचवीं बार सरकार बनाएंगे। उन्होंने कहा था कि, चुनाव में हर मोर्चे- हर वर्ग को साधने के लिए भाजपा सिर्फ ऊर्जावान युवाओं के सहारे नहीं चल सकती। इसके लिए पार्टी को ऐसे नेताओं की भी जुर्रत होगी, जो अनुभवी- प्रभावी होने के साथ भाजपा का मजबूत स्तम्भ हैं। तथा क्षेत्रीय और जातिगत राजनीतिक समीकरण साधने का हुनर रखते हैं। नड्डा की इस सकारात्मक राजनीतिक पहल के बाद माना जा रहा था कि, पुराने प्रभावी चेहरे एक बार फिर ससम्मान मैदान में सक्रिय किए जाएंगे। चुनाव में उनके राजनीतिक अनुभव और प्रभाव का लाभ लिया जाएगा। लेकिन हो उल्टा रहा है। मध्यप्रदेश में भाजपा के जितने भी पुराने मजबूत स्तम्भ (नेता) हैं, भाजपा संगठन ने धीरे-धीरे सभी को पार्टी मार्गदर्शक मंडल में बतौर नए सदस्य सुशोभित करना शुरू कर दिया।
भाजपा के मजबूत स्तम्भ एवं पुराने नेताओं में शुमार उमा भारती, सुमित्रा महाजन, मेघराज जैन, रघुनंदन शर्मा, कृष्ण मुरारी मोघे, विक्रम वर्मा, कुसुम मेहदेले, सत्यनारायण सत्तन और हिम्मत कोठारी पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ये नेता जन आशीर्वाद यात्रा और पार्टी के दूसरे कार्यक्रमों में न बुलाए जाने से नाराज़ हैं। उपेक्षा किए जाने का आरोप लगा रहे हैं। ये नेता पूछ रहे हैं कि आखिर पार्टी में अब हमारी स्थिति और हैसियत क्या है?

  • पार्टी मानती है हम मर गए-रघुनंदन शर्मा
    पूर्व सांसद एवं संघ निष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा जन आशीर्वाद यात्रा में आमंत्रित में न बुलाए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हैं। कहते हैं कि, लगता है भाजपा ने मान लिया है कि, हम पार्टी के लिए मर गए हैं। वे कहते हैं कि भाजपा की सफलता ही हमारी कामना है। हमें पार्टी से क्या चाहिए, सिर्फ सम्मान। यदि वो ही न मिले, तो पीड़ा तो होती है।
  • अनुभवी नेताओं को काम नहीं दिया-मोघे
    भाजपा के एक और पुराने नेता एवं संघ निष्ठ नेता कृष्ण मुरारी मोघे कहते हैं यह सच है कि पार्टी में कई अनुभवी और पुराने नेता बेकाम बैठे हैं। वे कहते हैं कि, वृक्ष कितना ही पुराना क्यों न हो जाए, वह छाया देना नहीं भूलता। फिर जिन नेताओं ने भाजपा रूपी वृक्ष को खून-पसीने से सींचकर इतना बड़ा बनाया, उन्हें इस तरह बे-काम कर देना कौनसी समझदारी है।
  • पुराने नेता पार्टी को दे सकते थे नई ताकत
    पार्टी के एक पदाधिकारी कहते हैं कि पुराने नेता भाजपा की ताकत हैं। पार्टी चाहती तो विधानसभा चुनाव में पुराने नेताओं के अनुभवों का फायदा ले सकती थी। इन नेताओं को प्रदेश में संभागवार जिम्मेदारी देकर अलग-अलग क्षेत्रों में भेज सकती थी। इससे ये नेता स्वयं को तो सम्मानित अनुभव करते ही, संभव है पार्टी नेताओं- कार्यकर्ताओं में सत्ता-संगठन को लेकर जो असंतोष-आक्रोश है, उसको भी समाप्त किया जा सकता।
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