You are here
Home > Uncategorized > रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस को शहडोल में हुए कार्यक्रम को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को लेटर लिखा

रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस को शहडोल में हुए कार्यक्रम को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को लेटर लिखा

कार्यक्रम पर हुए खर्च की जांच कराने की मांग की

भोपाल – रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस (1 जुलाई) को शहडोल में हुए कार्यक्रम को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने कार्यक्रम पर हुए खर्च की जांच कराने की मांग की है। दिग्विजय ने अपने लेटर में लिखा- मध्यप्रदेश सहित देश की आन-बान और शान वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर मध्यप्रदेश शासन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक कार्यक्रम आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल में किया। करोड़ों रुपए टेंट-तमाशे में फूंक दिए गए। गौरव दिवस के नाम पर खर्च किए गए करोड़ों रुपयों की जांच करानी चाहिए।

दिग्विजय ने आगे लिखा- देश में सर्वाधिक जनजाति समाज मध्यप्रदेश में निवास करता है। प्रदेश में करीब 23 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति समाज की है। जहां 89 आदिवासी विकासखण्ड हैं जिनमें संविधान की 5वीं अनुसूची लागू है। विंध्य क्षेत्र के शहडोल संभाग में 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन हुआ था। जिसके तहत ग्राम लालपुर और पकरिया में दो कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।

मप्र सरकार ने टेंट पर ही 20 करोड़ कर दिए खर्च

दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा- प्रदेश में आगामी 3 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होना है। जिसमें आदिवासी वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है। विगत 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के आदिवासी समाज ने भाजपा को बुरी तरह हराया था। इस समाज को वास्तविक रूप से जनकल्याणकारी योजनाओं को जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री के एक दिवसीय दौरे पर एक दिन में पचास करोड़ से अधिक खर्च कर दिए गए। इवेंट मैनेजमेंट के जरिए जनता को भ्रमित करने वाली मध्यप्रदेश सरकार ने इस आयोजन में सिर्फ टेंट पर ही 20 करोड़ रूपए खर्च कर दिए। प्रधानमंत्री की शान में जो गेट लगाया गया था, उसका किराया ही एक दिन का दस लाख रुपए था। प्रदेश की जनता के खून-पसीने की कमाई से संग्रहित टैक्स के रुपयों से बने बजट में से सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में ही जनसम्पर्क विभाग के उपक्रम ‘‘मध्यप्रदेश माध्यम’’ ने करीब 20 करोड़ रुपए खर्च का बिल प्रेषित किया है। जिसमें डोम, टेंट, साउण्ड, फ्लोरिंग, कूलर, एसी., पंखे, कुर्सी, कारपेट, मंच, कटआउट आदि का खर्च 19 करोड़ 63 लाख रुपए बताया है। इसमें पानी की तरह बहाए गए लाखों रुपयों के बिल की प्रति पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूं। जिसका अवलोकन कर आप भी हतप्रभ रह जाएंगी।

आदिवासियों को लुभाने एक दिन में खर्च कर दिए करोड़ों रूपए
दिग्विजय ने अपने पत्र में आगे लिखा- आदिवासियों को लुभाने के नाम पर राज्य सरकार द्वारा बड़े बेदर्द तरीके से करोड़ों रुपए एक दिन में खर्च कर दिए गए। इस कार्यक्रम से कितने आदिवासियों का भला हुआ ? यह गंभीर चिंता का विषय है। शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सीधी, सिंगरौली जैसे जिलों में 70 प्रतिशत आदिवासी समाज गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है। रोजगार के आभाव में परिवार हर साल दूर-दूर तक रोजगार की तलाश में पलायन करते है।

कोरोना काल में 16 मजदूर औरंगाबाद में हो गए थे ट्रेन हादसे का शिकार

दिग्विजय सिंह ने लिखा- आपको विदित होगा कि कोरोना की त्रासदी के समय शहडोल जिले के 16 मजदूर औरंगाबाद के पास ट्रेन से कटकर खत्म हो गए थे। यह घटना आदिवासी अंचल में फैली बेरोजगारी की जीवंत दास्तां है। इन क्षेत्रों में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति सहित पनिका, कोल और गौड़ उपजाति के आदिवासी रहते हैं। आप देश की प्रथम नागरिक के साथ-साथ उड़ीसा के अत्यंत पिछड़ी जनजाति समा

Top