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कोरोना ने माता-पिता को छीना, अब पालक अफसरों ने भी हाथ खींचे

इंदौर में 56 बच्चों ने माता-पिता दोनों और 523 बच्चों ने किसी एक को खोया

इंदौर – सदी की सबसे बड़ी आपदा कोरोना में अपने माता-पिता को खाे चुके बच्चे अब मदद की उम्मीद खोते जा रहे हैं। इंदौर जिले में 56 बच्चों ने माता-पिता व 523 बच्चों ने किसी एक को खोया था। उस वक्त हर बच्चे के लिए दो पालक अफसर की नियुक्ति की गई थी, इनमें से 70 फीसदी का तबादला हो गया है।
अब किसी बच्चे को आठ माह से पेंशन नहीं मिली है तो किसी के मकान पर परिजन ने कब्जा कर लिया है, इंश्योरेंस क्लेम की राशि हड़प ली। नतीजा कुछ बच्चे पढ़ाई छोड़कर छोटे-मोटे काम करने को विवश हो गए हैं। भास्कर उन बच्चों तक पहुंचा तो बहुत ही दर्दभरी कहानियां सामने आई…

किस्त नहीं भरी तो मकान का आवंटन निरस्त हुआ, गनीमत कि अफसरों ने घर खाली नहीं कराया

माता-पित (ममता-जितेंद्र) के निधन के बाद प्रथम वर्मा और दोे बहन मुश्किल से गुजर कर रही हैं। पेंशन 21 साल या ग्रेजुएशन तक देने का नियम है। मजबूरी में पढ़ाई छोड़ना पड़ी। बड़े पापा एवं बुआ से थोड़ा राशन मिल जाता है। किस्त नहीं भरने से आईडीए से मकान का आवंटन निरस्त हो गया है। मानवता के नाते घर से बेदखल नहीं किया गया है।

तीन बच्चों को 8 महीने से पेंशन ही नहीं मिली

हर्षिता (9), काजल (18) और प्रणय (10) पापा-मम्मी (प्रवीण- नेहा) के निधन के बाद चाचा शेखर पंवार के साथ रहते हैं। चाची अनीता ने बताया, तीनों बच्चों के खातों में 8 महीनों से पेंशन के 5 हजार नहीं आ रहे हैं। फीस तक नहीं भर पा रहे हैं।

दादी ने चाचा को दे दिए इंश्योरेंस के 30 लाख रु.

खुशी (16) और अभिषेक (13) कुशवाह, पापा-मम्मी (राजेंद्र व भानू बाई) के निधन के बाद से अकेले रहते हैं। पापा के इंश्योरेंस क्लेम के 40 लाख दादी ने रख लिए। बहुत गुहार लगाने पर सिर्फ 10 लाख दिए। अब वे धमकाते हैं।

बड़े पापा ने ही मकान पर कब्जा कर लिया

अजीम (7) और उवेश (9) अब्बा-अम्मी (सादिक खान व महराब बी) के बाद नाना के यहां रहे हैं। नाना अब्दुल हनीफ खान ने बताया, उनके मकान पर बड़े अब्बा इकबाल ने कब्जा कर लिया है। काफी कोशिश के बाद भी नहीं छोड़ रहे।

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