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प्रियंका गांधी ने आगामी विधानसभा चुनाव का एजेंडा सेट किया

कर्नाटक की तरह मध्यप्रदेश में भी भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाएगी कांग्रेस

जबलपुर – कर्नाटक की जीत के बाद आत्मविश्वास से भरी प्रियंका गांधी वाड्रा ने मध्यप्रदेश में चुनावी शंखनाद कर दिया और इसके साथ ही आगामी चुनाव का एजेंडा भी सेट कर दिया। जबलपुर में सोमवार को हुई सभा में प्रियंका ने शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये हर महीने एक घोटाला करने वाली सरकार है। 40 मिनट के भाषण में उन्होंने 220 महीने में महाकाल लोक सहित 232 घोटालों का जिक्र किया। इसी के साथ चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की रणनीति तय कर दी।

प्रियंका ने महाकौशल-बघेलखंड के साथ हुए अन्याय और बेरोजगारी की बात उठाकर इस क्षेत्र के लोगों की सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया। सस्ती बिजली, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, किसानों की कर्जमाफी और ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) को पहली कैबिनेट में लागू करने की घोषणा करके पार्टी ने अपना चुनावी एजेंडा साफ कर दिया है। भाजपा के कट्‌टर हिंदुत्व की काट कांग्रेस के बजरंग बली होंगे।

दैनिक भास्कर ने प्रियंका गांधी के पूरे भाषण का चुनावी विश्लेषण कर ये पता लगाने की कोशिश की है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कौन-कौन से कोर मुद्दे होंगे? पूरा चुनाव किस पर फोकस रहेगा? सरकार बनी तो चेहरा कौन होगा?

मुद्दा नंबर 1 भ्रष्टाचार : महाकाल लोक की मूर्तियों और घोटालों का जिक्र

महाकौशल की धरती पर प्रियंका गांधी का पहली बार आगमन हुआ है। कढ़ाईदार हल्के गुलाबी सलवार-कुर्ता और सिर पर इसी तरह का दुपट्‌टा ओढ़े प्रियंका ने सीधे सरल लहजे में अपनी बात रखी। उन्होंने महाकाल लोक में आंधी से क्षतिग्रस्त हुईं मूर्तियों का जिक्र किया। कहा- इस सरकार ने महाकाल को भी नहीं छोड़ा। वहां हवा में मूर्तियां उखड़कर गिर गईं। एक पुजारी ने मुझे वीडियो भेजा। वह कह रहे थे कि हवा से मूर्तियां उड़ रही हैं। ये कैसी सरकार है। कैसे चल रही है? प्रदेश में रिश्वतराज चलाया जा रहा है।

प्रियंका ने कहा- आपको हर कदम पर रिश्वत देनी पड़ती है। यहां घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं। राशन घोटाला, स्कॉलरशिप घोटाला, व्यापमं घोटाला, शिक्षक पात्रता भर्ती घोटाला, खनन घोटाला, कोरोना घोटाला, बिजली विभाग का घोटाला, पुलिस भर्ती घोटाला, ई-टेंडर घोटाला और टीवी सेट घोटाला। घोटालों की ये लिस्ट इतनी लंबी है कि जो मोदी जी ने गालियों वाली लिस्ट गिनाई थी, ये तो उससे भी बड़ी है। इन्होंने नर्मदा मैया को भी नहीं छोड़ा, खनन कराते जा रहे हैं। आखिर ये लोग कहां रुकेंगे?

रणनीति : सरकार की छवि को करप्शन से जोड़ेगी कांग्रेस

कांग्रेस ने कर्नाटक में सीएम रहे बसवराज बोम्बई के खिलाफ पे-सीएम कैम्पेन के चलाकर उनकी छवि को करप्शन से जोड़ दिया था। कांग्रेस की रणनीति है कि चुनाव तक अगले पांच महीने मध्यप्रदेश में भी इसी तरह करप्शन से जुड़े मुद्दे उठाकर शिवराज सरकार की छवि पर हमला बोला जाएगा। पार्टी की सोशल मीडिया विंग महाकाल लोक से संबंधित धार्मिक वीडियो वायरल कर इस रणनीति पर काम कर रही है।

मुद्दा नंबर 2 बेरोजगारी : तीन साल में केवल 21 लोगों को सरकारी नौकरी मिली

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण के दौरान मंच से दावा किया कि इस सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में सिर्फ 21 लोगों को सरकारी नौकरी मिली है। इस दौरान पुलिस, शिक्षा विभाग सहित कई विभागों में पद भरे गए हैं, पर रोजगार न दे पाना सरकार की बड़ी नाकामयाबी है। उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे को उठाकर प्रदेश के युवा वोटरों को साधने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है। प्रियंका गांधी ने मंच से सरकारी नौकरी पाने वालों को हाथ उठाने के लिए कहा, जब एक भी हाथ नहीं उठा, तो बोली कि ये हाल है इस सरकार के।

यहां का युवा पढ़ाई करता है। नौकरी के लिए फॉर्म भरता है। पेपर देने के समय पेपर ही लीक हो जाता है। कभी भर्ती घोटाला हो जाता है। ये प्रदेश गजब है कि यहां सरकारी पद और नौजवान दोनों खाली पड़े हैं। आपके प्रदेश के मुख्यमंत्री घोषणावीर हैं। 18 साल में 22 हजार घोषणाएं कर डालीं और पूरी कुछ ही कर पाए। यदि 22 हजार लोगों को नौकरी ही दिला देते तो कुछ तो फायदा होता।

रणनीति : नजर 25 प्रतिशत वोटों पर, 30 साल तक के युवाओं पर फोकस

प्रदेश में 30 साल तक के युवाओं की आबादी 25 प्रतिशत है। किसी भी पार्टी का जनमत बनाने में युवाओं की भूमिका सबसे प्रभावी मानी जाती है। बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर पार्टी 30 साल की उम्र वाले 1.40 करोड़ वोटरों को प्रभावित कर सकती है। अकेले शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 40 लाख के लगभग है। हालांकि, भाजपा युवा कौशल कमाई योजना के माध्यम से युवाओं को नौकरी लगने तक ट्रेनिंग के लिए 8 हजार रुपए हर महीने देने की स्कीम लॉन्च कर बढ़त ले चुकी है।

मुद्दा नंबर 3 हिंदुत्व : नर्मदा की आरती-पूजन और धर्म का जिक्र

प्रदेश में चुनावी शंखनाद से पहले प्रियंका गांधी ने ग्वारीघाट पहुंचकर मां नर्मदा की आरती और पूजन किया। मध्यप्रदेश के लोगों की नर्मदा से गहरी आस्था जुड़ी है। महाकौशल, नर्मदापुरम और निमाड़ क्षेत्र में कई सीटों पर ये आस्था हार-जीत की वजह बन जाती है। 101 ब्राह्मणों की मौजूदगी में प्रियंका गांधी ने 20 मिनट तक पूरे विधि-विधान से मां नर्मदा की पूजा-आरती की। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं। इसी तरह गोल बाजार में आयोजित सभा मंच पर चार ब्राह्मणों ने शंख और पार्टी के आदिवासी विधायक ने पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाकर चुनावी अभियान का शंखनाद किया।

प्रियंका गांधी ने धर्म की व्याख्या अलग ही अंदाज में की। बोलीं कि मैं नर्मदा पूजन के समय में सोच रही थी कि करोड़ों सालों से लोगों की आस्था मां नर्मदा से जुड़ी है। जिस तरह से धर्म से हमारी आस्था जुड़ी है, उसी तरह की आस्था राजनीति में भी होनी चाहिए। नेताओं के दिलों में जनता, प्रदेश और देश के प्रति ऐसी ही आस्था होनी चाहिए। हम भारतीयों के लिए धर्म से बड़ा कुछ नहीं है।

धर्म दिल से जुड़ा मसला है, लेकिन मध्यप्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में लोगों के जज्बातों से खिलवाड़ करने के लिए धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस कभी इसकी पक्षधर नहीं रही। आप सोचिए आखिर कौन नेता ऐसा कर रहे हैं। सोचिए चुनाव के समय कौन आपके जज्बात से खेलते हैं। वो आपके लिए काम नहीं करते, क्योंकि आप लोगों ने ऐसे नेताओं को बिगाड़ रखा है, जब तक ऐसे नेता को अहसास नहीं कराएंगे कि काम नहीं करने पर कुर्सी छोड़नी होगी, वो धर्म की राजनीति कर आपके जज्बातों से खेलते रहेंगे।

कुछ दिन पहले ही कमलनाथ ने बजरंग सेना का कांग्रेस में विलय कराया है। ग्वारीघाट और गोलबाजार में हनुमान जी के कॉस्ट्यूम में कार्यकर्ता की मौजूदगी ये बताने के लिए साफ है कि कर्नाटक की तर्ज पर कांग्रेस यहां भी श्रीराम भक्त हनुमान को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल कर चुकी है।

मुद्दा नंबर 4 आदिवासी : रानी दुर्गावती को नमन, आदिवासी क्रांतिवीरों का जिक्र

कांग्रेस को पिछली बार सत्ता में लाने वाले आदिवासी ही थे। आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 सीटों में कांग्रेस ने बीजेपी को 16 पर ही समेट दिया था। पार्टी लगातार आदिवासियों के बीच सक्रिय रहकर उनके मुद्दों को मुखरता से उठाती रही है। प्रियंका गांधी ने महाकौशल के केंद्र बिंदु जबलपुर में रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचीं। उन्होंने अपने भाषण के दौरान भी रानी दुर्गावती सहित आदिवासी क्रांतिवीर राजा रघुनाथ शाह, शंकर शाह, संग्राम शाह और टंट्या भील का जिक्र कर आदिवासी के योगदान को नमन किया। साथ ही आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के मुद्दों को भी उठाया।

रणनीति : महाकौशल और बघेलखंड पर फोकस, यहां 20 सीटों पर निर्णायक हैं

महाकौशल और बघेलखंड की 20 ऐसी सीटें हैं, जहां आदिवासी वोटर निर्णायक हैं। आदिवासी महानायकों को सम्मान देकर कांग्रेस इस समाज को साफ संदेश देना चाहती है कि वो ही उनकी हमदर्द है।

मुद्दा नंबर 5 महाकौशल की उपेक्षा : पिछड़ेपन और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का जिक्र

प्रियंका गांधी की मौजूदगी में राज्यसभा सांसद एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने इस क्षेत्र की उपेक्षा को उठाया। वे बोले कि विंध्य, महाकौशल और बघेलखंड क्षेत्र को शिक्षा, विकास व चिकित्सा की सुविधा से वंचित रखा गया है। इस सरकार ने इस पूरे क्षेत्र से एक भी मंत्री नहीं बनाकर अन्याय किया है। मेरी मांग पर कांग्रेस सरकार में पहली बार जबलपुर में कैबिनेट बैठक हुई थी, तब तीन हजार करोड़ रुपए के विकास कार्य की घोषणा हुई थी। भाजपा सरकार बनते ही इन विकास योजनाओं को रोक दिया गया। मेरी पहली मांग है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक जबलपुर में होगी। प्रियंका गांधी ने भी इस क्षेत्र के पिछड़ेपन और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सहित दूसरी टेलीकॉम फैक्ट्रियों के बंद होने का लोकल मुद्दा उठाया।

कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार प्रदेश में चुनावी अभियान का शंखनाद जबलपुर से किया। कांग्रेस के लिए जबलपुर को लकी मानती है। पिछली बार 2018 में राहुल गांधी ने जबलपुर से ही विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया था। तब 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौट पाई थी। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में महाकौशल को सबसे अधिक तवज्जो मिली थी। तब वित्त मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष सहित दूसरे मंत्री इस अंचल से बनाए गए थे। बीजेपी सरकार में महाकौशल और विंध्य से एक भी मंत्री नहीं है।

ओपीएस, कर्जमाफी, सस्ता सिलेंडर और सस्ती बिजली का मास्टर स्ट्रोक

वर्ष 2018 में कांग्रेस के सत्ता में लौटने की सबसे बड़ी वजह किसानों की दो लाख रुपए कर्जमाफी योजना थी। इस बार पार्टी ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को अपना मास्टर स्ट्रोक मान रही है। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक में ओपीएस चुनावी लाभ दिलाने में सफल रहा। अब मध्यप्रदेश में ओपीएस लागू करने की घोषणा कर प्रियंका गांधी ने बड़ा गेम खेला है। इसकी काट बीजेपी भी नहीं तलाश पा रही है। प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस कर्नाटक की तरह एमपी में भी कुछ गारंटी स्कीम लाने जा रही है, जिसे पहली कैबिनेट बैठक में पास किया जाएगा।

  • नारी सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देना।
  • हर महीने एक गैस सिलेंडर 500 रुपए में उपलब्ध कराना।
  • 100 यूनिट बिजली माफ और 200 यूनिट बिजली बिल हाफ करना।
  • किसान कर्जमाफी योजना को शतप्रतिशत लागू करना।
  • सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देना।

प्रियंका ने समझाया कैसे बीजेपी से अलग है कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कांग्रेस और बीजेपी की अलग पहचान को समझाने की कोशिश की। प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस का देश और प्रदेश को चलाने का एक विजन होता है। कांग्रेस की सरकारों ने एक नजरिए के साथ काम किया है। नेहरू जी ने देश में आईटीआई जैसी संस्थान बनाए। इंदिरा जी हरित क्रांति लाई। राजीव जी ने आधुनिक भारत का काम किया। मनमोहन सिंह ने देश को आगे बढ़ाने के लिए काम किया। कांग्रेस जो कहती है, वो करके दिखाती है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और अब कर्नाटक इसके उदाहरण हैं। जो सच्चाई है उसे पहचानिए। कांग्रेस की सरकार अपने प्रदेशों में क्या कर रही हैं? इसी एमपी में कांग्रेस ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में 27 लाख किसानों का 11 हजार 600 करोड़ का कर्ज माफ किया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 300 से 600 कर दिया था। एक करोड़ परिवारों को 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली दी गई।

1000 गोशालाओं का निर्माण कराया गया। आदिवासियों के लिए 12 हजार बर्तन बैंक बनाए गए थे। मैं वोट की राजनीति नहीं करने आई। आपके पास पांच महीने हैं सोचने-समझने के लिए। मैं सिर्फ आपको जागरूक करने आई हूं कि जो खुली आंखों से देख रहे हैं, उस पर गौर कीजिए। अपना वोट अपने पक्ष में दीजिए। मैं किसी की आलोचना करने नहीं आई। मैं यहां वोट मांगने नहीं आई हूं। मेरे परिवार के सदस्यों ने इस देश को बनाने के लिए खून दिया है। मैं जानती हूं कि निर्माण में कितना संघर्ष है। जानती हूं सत्ता भोगना कितना आसान है, जो मैं देख रही हूं, चाहती हूं आपको भी दिखे।

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