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विश्व आदिवासी दिवस-भाषायी संरक्षण का दशक भविष्य दृष्टा कमलनाथ: अभय दुबे

मप्र को वरदान के रूप में कमलनाथ जैसा एक नेता मिला है, जिसने अपना समूचा सार्वजनिक जीवन आदिवासी भाईयों के उत्थान के लिए लगाया

भोपाल – प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और स्टेट मीडिया कॉर्डिनेटर अभय दुबे ने एक बयान में कहा कि हम प्रदेशवासी गर्व का अनुभव करते हैं कि मप्र वह प्रदेश है, जिसमें देश के सर्वाधिक आदिवासी भाई-बहन निवास करते हैं। समूचे प्रदेश के रग-रग में आदिवासी भाईयों के तीज-त्यौहार मेले, मड़ई, पूजा, अनुष्ठान, नृत्य, संगीत, संस्कृति और संस्कारों के इंद्रधनुषी आभालोक की महक दौड़ रही है। मप्र में 43 जनजातीय समूह निवासरत हैं जो प्रकृति के प्रति असीम आस्था रखते हैं और सोने पे सुहागा यह कि मप्र को वरदान के रूप में कमलनाथ जैसा एक नेता मिला है, जिसने अपना समूचा सार्वजनिक जीवन न सिर्फ आदिवासी भाईयों के उत्थान के लिए लगाया अपितु व पूरी तरह आदिवासी संस्कृति में रच बस भी गये। यूनाईटेड नेशन्स जिसने 9 अगस्त का दिन विश्व आदिवासी दिवस के रूप में निर्धारित किया है, ने 2022 से 2032 तक का दशक विश्व के आदिवासी समाज की विलुप्त होती भाषा और बोली के संरक्षण का दशक भी निर्धारित किया है। आदिवासी समाज की भाषा के विलुप्त होने का अर्थ है हमारे आदिकालीन ज्ञान का विलुप्त होना, आदिवासी समाज की संस्कृति और धार्मिक विविधता का विलुप्त होना।
उन्होंने कहा कि आज समूचे विश्व के आदिवासी भाई पांच हजार पृथक-पृथक संस्कृतियों और लगभग सात हजार भाषाओं का वरण किये हुये हैं। मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक दो सप्ताह में एक आदिवासी भाषा और बोली लगभग विलुप्त हो रही है और इसे बचाने के प्रयास प्रारंभ किये गये हैं।
हमें गर्व है हमारे यशस्वी नेता कमलनाथ जी पर जिन्होंने 15 महीने की अल्पकालीन सरकार में आदिवासी भाईयों की भाषा और बोली को बचाने का एक इतना बड़ा कदम उठाया था जो भविष्य के मप्र में मील का पत्थर साबित होगा।
कमलनाथ जी ने प्रत्येक आदिवासी बोली/भाषा के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने का निर्णय लिया था, जिसमें राज्य शिक्षा केन्द्र, माध्यमिक शिक्षा मंडल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय इत्यादि संस्थानों को शामिल किया गया था।
साथ ही आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में कक्षा पहली से आठवी तक आदिवासी बोली/ भाषा को शामिल किये जाने का निर्णय लिया गया था।
कक्षा पहली में 80 प्रतिशत आदिवासी बोली-भाषा 20 प्रतिशत हिंदी, कक्षा दूसरी में 50 प्रतिशत आदिवासी भाषा, कक्षा तीसरी में 20 प्रतिशत और कक्षा छठी से आठवीं तक सहायक वाचक, जिसमें आदिवासी संस्कृति, परम्पराओं बोली इत्यादि का अध्ययन निर्धारित किये जाने का निर्णय लिया गया था तथा गोंडी, भीली, कोरकू, सहरिया, बैगानी इत्यादि भाषा को प्राथमिकता से समाहित किये जाने का निर्णय लिया गया था।
हमें गर्व है कि हमारे यशस्वी नेता कमलनाथ ने भविष्य दृष्टा की तरह यूनाइटेड नेशंस की भावनाओं के अनुरूप अपने कदमों को आदिवासी बोली और भाषा के उत्थान के लिए पहले ही बढ़ा दिया।
हम दृढ़संकल्पित हैं कि कमलनाथ के पुनः मुख्यमंत्री बनते ही हम वनाधिकारी अधिनियम के तहत आदिवासी भाईयों के निरस्त किये गये पट्टों की पुर्नविवेचना करके आदिवासी भाईयों को उनका अधिकार देंगे तथा नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश में सर्वाधिक आदिवासी गरीबी रेखा के नीचे मप्र में निवासरत हैं, हम उन आदिवासी भाईयों के आर्थिक, सामाजिक उत्थान का काम करेंगे तथा उनके मानव अधिकारों का संरक्षण करेंगे।

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