डब्ल्यूएचओ का दावा:आम जनता की पहुंच से दूर हो रहा कैंसर का इलाज Uncategorized by mpeditor - April 22, 2024April 22, 20240 इसकी दवाओं की खरीदी काॅर्पोरेशन से नहीं कर रही सरकार भोपाल – प्रदेश में युवाओं में कैंसर तेजी से हो रहा है। एक अनुमान है कि 2025 तक यह बीमारी महामारी के रूप ले सकती है। हैरत की बात तो यह है कि कैंसर की कई दवाएं तो भारत में ही उपलब्ध नहीं है। खासतौर पर बौनमेराे कैंसर के मरीजों के लिए दवाएं अन्य देशों से मंगवानी पड़ती है। ऐसे में सवाल उठता है कि गरीब को कैंसर है तो उसका इलाज कैसे हो पाएगा। दरअसल, कैंसर के लिए उपयोग ड्रग का बाजार मूल्य काफी अधिक है। यह दाम इसलिए अधिक है, क्योंकि अधिकांश दवाएं मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) की सूची में ही शामिल नहीं है।अंतिम बार 27 फरवरी 2019 को यह सूची अपग्रेड की गई थी। इसमें 42 महंगी दवाओं को सस्ता किया गया था। इसके बाद से कई नई कैंसर की दवाएं बाजार में उपलब्ध हो गई है, लेकिन इनके दाम इतने है कि आम जनता इनका उपयोग ही नहीं कर पा रहे हैं। फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन के राजवीर त्यागी ने बताया कि ड्रग प्राइज कंट्रोल ऑर्डर दवाइयों की कास्ट के आधार पर उनकी कीमतों को नियंत्रित करता है। पर कुछ दवाइयों पर इसका नियंत्रण नहीं है। निजी अस्पतालों के डॉक्टर डीपीसीओ की सूची से बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। निजी अस्पतालों में 50 से 55 हजार का इंजेक्शन, बाजार में 18 हजार में कैंसर की दवाओं को केंद्र सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने के बाद दवाओं की कीमतें कम हुई थीं। लेकिन दवा कंपनियों, डॉक्टरों और अस्पतालों के गठजोड़ ने इससे बचने के रास्ते निकाल लिए हैं। जीवन देने वाली इन दवाओं को बड़े अस्पतालों में बने मेडिकल स्टोर एमआरपी पर बेच रहे हैं। जबकि यह दवा बाजार के मेिडकल स्टोर्स पर तीन गुना कम दाम पर मिल रही हैं। कैंसर के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाने वाला जो इंजेक्शन निजी अस्पताल में 50 से 55 हजार रुपए में दे रहे हैं, वही इंजेक्शन बाजार में 18 से 19 हजार में उपलब्ध है। इस बीमारी का इलाज करने वाले ज्यादातर अस्पतालों में भर्ती मरीजों को वहीं के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है। बाजार में कैंसर की दवाएं बहुत महंगी हैं। हमने बहुत प्रयास किए कि सरकार कैंसर की दवाओं की खरीदी काॅर्पोरेशन के जरिए सेंट्रलाइज व्यवस्था के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए कर ले, लेकिन दवाएं नहीं खरीदी जा रही है। नतीजा यह है कि आयुष्मान के तहत जो लोग कैंसर का इलाज ले रहे हैं। उनके बिलों का भुगतान भी कैंसर की दवाओं के मार्केट रेट के आधार पर किया जा रहा है। जितने में कैंसर के एक मरीज का उपचार हो रहा है सरकार खरीदी करें तो एक मरीज के उपचार के दाम पर 10 लोगों का कैंसर का उपचार किया जा सकता है। -डॉ ओपी सिंह, ऑन्कोलाजिस्ट व कैंसर एक्सपर्ट