एक चौथाई इंदौर पानी के लिए टैंकर पर निर्भर Uncategorized by mpeditor - April 23, 2024April 23, 20240 800 फीट पर भी नहीं निकल रहा बोरिंग का पानी इंदौर – इंदौर में भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है और अब प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। सर्वाधिक जलसंकट वाले क्षेत्र बिचौली, श्रीजी वैली और उसके आसपास की दर्जनों कॉलोनियों में 800 फीट तक बोरिंग कराने पर भी पानी नहीं निकल रहा है। कई कालोनियों में साल के सिर्फ दो महीने बोरिंग में पानी आ रहा है और दस महीने यहां के लोग टैंकर पर निर्भर हैं। पिछले सप्ताह महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भूजल के लिए आयोजित बैठक में कहा कि यदि इसी तरह से हम भूजल का दोहन करते रहे तो आने वाले चार से पांच साल में हमें भूजल मिलना लगभग बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भूजल के अति दोहन को रोकने के साथ ही इसके स्तर को बढ़ाने के लिए सभी को समग्र रूप से काम करना होगा तभी हम इंदौर को पानी के संकट से बचा पाएंगे।हालांकि इन सबके बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का इसके लिए कोई गंभीर प्रयास नजर नहीं आ रहा है। साल 2022 में शहर में एक लाख से अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए थे लेकिन साल 2023 में सिर्फ तीन हजार रैन वाटर हार्वेस्टिंग लगे। साल 2024 में तो इसके लिए कोई योजना ही नहीं बनी। अभी इंदौर का 25 प्रतिशत हिस्सा अप्रैल के बाद पानी के लिए तरस जाता है। जिस तरह से शहर में बाहर से लोग आकर बस रहे हैं माना जा रहा है कि साल 2025 के बाद शहर का 40 प्रतिशत हिस्सा पानी के लिए तरस जाएगा। यह क्षेत्र पूरी तरह से बाहर से बुलाए जाने वाले टैंकरों के भरोसे रहेगा। गिरते भूजल की वजह से यहां अप्रैल में ही पानी समाप्त हो जाएगा।कुछ समय पहले आई सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर में भूजल का स्तर क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गया है। इसी तरह लगातार भूजल दोहन के कारण भविष्य में सूखे का खतरा बढ़ सकता है। भूजल स्तर पिछले 10 वर्षों में 10 मीटर से अधिक गिर गया है। इंदौर में भूजल का स्तर 2012 में 150 मीटर था, जो 2023 में 160 मीटर से अधिक हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार यदि भूजल दोहन इसी गति से जारी रहा तो 2030 तक भूजल स्तर 200 मीटर से अधिक गहरा हो सकता है। हाल ही में नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि अगले एक दशक में देशभर के करीब 30 शहरों में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। इसमें दक्षिण राज्य के कई शहर हैं और एमपी का इंदौर इस सूची में शामिल है। आंकड़ों में समझें भयावह हालात 70 किलोमीटर दूर से आता है इंदौर में नर्मदा का जल400 करोड़ रुपए हर साल होता है निगम का इस पर खर्च500 एमएलडी पानी हर दिन नर्मदा से आ रहा इंदौर836 एमएलडी नर्मदा का पानी चाहिए अभी शहर को30 एमएलडी पानी तालाबों से मिलता है शहर को105 पानी की टंकी हैं अभी नगर निगम क्षेत्र में32 नई टंकियों की जरूरत है पानी के लिए10,000 बोरिंग हैं शहर में अभी25 प्रतिशत हिस्से में अभी नर्मदा लाइन नहीं है शहर के33 लाख की वर्तमान जनसंख्या के लिए भी यह कम2025 में बढ़ने वाली जनसंख्या को नर्मदा का पानी पड़ेगा बेहद कम12 में से 10 महीने पानी के टैंकर पर निर्भर हैं शहर की 15 कालोनी800 फीट तक बोरिंग पर भी पानी नहीं मिल रहा बिचौली मर्दाना जैसे दस से अधिक क्षेत्रों में280 टैंकर रोज चल रहे हैं निगम के