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पहली सूची में अपनी पसंद से टिकट वितरण नहीं कर पाए मोदी, टिकट वितरण के बाद मायूस दिखे

नई दिल्ली – भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 195 प्रत्याशियों की भारी-भरकम सूची जारी करके यह जताने की कोशिश भले ही की है कि वह प्रत्याशी चयन में सबसे आगे है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा की पहली सूची में जिस तरह से मंत्रियों से लेकर कई सांसदों का टिकट काटा गया है उससे कहीं ना कहीं यह बात साफ हो रही है कि मोदी जी को भी अपने ऊपर और अपनी क्षमता पर भरोसा नहीं है और उन्हें अपनी लोकप्रियता का सूचकांक गिरता हुआ दिखाई दे रहा है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस तरह से मंत्री तक का टिकट काटा गया है उससे साफ़ है कि भाजपा को पैरों तले ज़मीन शक्ति नजर आ रही है। दूसरी तरफ पार्टी आलाकमान की पकड़ भी कमजोर होती दिख रही है क्योंकि कुछ लोगों का टिकट चाह कर भी ना काट पाना पार्टी में बढ़ते असंतोष की निशानी है, बग़ावत की आशंका में कोई बड़ा कदम उठाने से पार्टी ने परहेज किया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मोदी चाह कर भी कुछ लोगों की टिकट नहीं कटवा सके।
यही कारण है कि भाजपा और संघ के सर्वे ने जिन नेताओं की हार निश्चित बताते हुए टिकट बदलने की सिफारिश की थी, वो सब पहली ही सूची में जगह पा गए, ख़ासतौर से उत्तर प्रदेश में पार्टी की अंदरूनी कलह के चलते पार्टी कोई बड़ा फैसला नहीं कर सकी। भाजपा के निजी सूत्रों का कहना है कि उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने एक विश्वसनीय आईएएस अधिकारी के मार्फत पीएम मोदी और अमित शाह को यह संदेश भिजवा दिया था कि वह यूपी के टिकट वितरण में हाईकमान का हस्तक्षेप नहीं चाहते। कहा तो यह भी जा रहा है कि योगी यूपी में खुद को हिंदुत्व का सबसे बड़ा पैरोकार स्थापित करने की कोशिश में लगे हुए हैं इसीलिए पार्टी के भीतर मोदी बनाम योगी का घमासान चढ़ा हुआ है। उधर मोदी और शाह की जोड़ी किसी भी सूरत में योगी समर्थकों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती जिसका असर लोकसभा चुनाव पर पढ़ने की पूरी संभावना है। उत्तरप्रदेश के टिकट वितरण में भी इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि लोकसभा में योगी समर्थक सांसद किसी भी सूरत न पहुच पायें।
दिल्ली में भी पार्टी के भीतर अंतर्विरोध साफ नजर आ रहा है। मीनाक्षी लेखी, डाॅ. हर्षवर्धन जैसे मंत्रियों या प्रवेश वर्मा, गौतम गंभीर जैसे सांसदों का टिकट कटना इस बात का प्रतीक है कि दिल्ली में पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। उधर प्रज्ञा ठाकुर,जयंत सिन्हा, रमेश बिधूड़ी जैसे नेताओं को भी घर बिठा दिया गया है, क्योंकि मोदी के दम पर जीतने की संभावना अब ना के बराबर है।
पार्टी के एक अंदरूनी सर्वेक्षण में बताया गया है कि भाजपा सांसदों की निष्क्रियता और जनता से लगातार दूरी के कारण सांसदों के खिलाफ पूरे देश में माहौल बना हुआ है। दूसरी तरफ मोदी मैजिक के सहारे चुनावी वैतरणी पार होने की संभावना अब खत्म हो चुकी है।

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