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इंदौर में स्मार्ट मीटर लगाने के बाद 6 माह से 30 हजार घरों में पानी ही नहीं आया

मीटर लगाने का टेंडर एलएंडटी कंपनी को मिला था

इंदौर – इंदौर नगर निगम का काम भी गजब है। लोगों के घर पहुंचने वाले नर्मदा जल की बूंद-बूंद का हिसाब-किताब रखने के लिए दो साल पहले स्मार्ट मीटर लगाने का प्रोजेक्ट लाया गया। राजेंद्र नगर क्षेत्र से इसकी शुरुआत कर अलग-अलग इलाकों में करीब 30 हजार घरों में ये स्मार्ट लगाए गए। अब मुसीबत यह है कि जिन लोगों के घर नर्मदा का पानी आता था, उनके यहां एक बूंद पानी नहीं पहुंच रहा। मीटर लगाने का टेंडर एलएंडटी कंपनी को मिला था।
अनुबंध के तहत 30 हजार हाउस कनेक्शन और 30 हजार मीटर नि:शुल्क लगना थे। अधिकारियों का कहना है कि बिलिंग सॉफ्टवेयर को ई-नगर पालिका पोर्टल से लिंक किया जाना है। इसलिए अभी मीटरिंग सिस्टम निगम ने शुरू नहीं किया है। प्रदेश में कहीं भी इसकी शुरुआत नहीं हुई है। शहर में ही करीब 6 महीने से 30 हजार परिवार पानी के लिए परेशान हैं। ऐसे परिवार अब बोरिंग और टैंकर के भरोसे हैं। स्मार्ट मीटर लगाने के पीछे उद्देश्य है कि एक परिवार जितना पानी इस्तेमाल करेगा, उसका बिल भी उसी हिसाब से जनरेट होगा। यानी पानी के हिसाब से उपभोक्ता से जलकर लिया जाएगा। हर तीन महीने में इसका बिल जनरेट होगा और उपभोक्ता को दिया जाएगा। वर्तमान में निगम हर उपभोक्ता से 200 रुपए महीना जलकर वसूलता है।
स्मार्ट सिटी कंपनी ने एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) के तहत सभी घरों में 24 घंटे पानी और स्मार्ट मीटर लगाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था, लेकिन वह भी अधूरा है। स्मार्ट सिटी एरिया में 24 हजार स्मार्ट मीटर लगाने की योजना थी, लेकिन एक भी नहीं लगा। एबीडी एरिया में 4 टंकियों से पानी की आपूर्ति की योजना है। यहां 2 टंकियों का काम बहुत पीछे चल रहा है। निगम अमृत योजना के दूसरे चरण की तैयारी कर रहा है, लेकिन पहले चरण का काम भी पूरा नहीं हुआ है। पहला चरण 2017 में शुरू हुआ था। यह प्रोजेक्ट 2019 में पूरा होना था, लेकिन कोविड के कारण दो साल पिछड़ गया। अब 2024 आ गया है। प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है। उधर, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत भी 24 घंटे पानी देने का वादा था, उस पर भी अमल नहीं हुआ है।

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