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घोटालों का गुरुकुल:RGPV में 7 करोड़ की खरीदी के 360 ऑर्डर

सारे 5 लाख रुपए से कम ताकि ओपन टेंडर न जारी करना पड़ें

भोपाल – राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) का पैसा निजी खातों में डालने और एफडी घाेटाले के मामले में विस्तृत जांच के लिए पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी 13 बिंदुओं पर जांच करेगी और संबंधितों की जिम्मेदारी तय करेगी। इसमें पिछले पांच वर्षाें में किए गए सभी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जांच होगी। जांच दौरान विश्वविद्यालय के सभी बैंक खातों और इनमें उपलब्ध राशि व फिक्स डिपॉजिट के रूप में उपलब्ध राशि की लिस्ट बनेगी। यह भी देखा जाएगा कि एफडी और अन्य डिपाजिट का ब्याज विवि के खाते में जमा किया भी गया है अथवा नहीं।
जांच के ​लिए कमेटी की घोषणा के बीच ही विवि में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। अधिकारियों ने टेंडर किए बिना नियमविरुद्ध तरीके से 6 करोड़ 91 लाख 72 हजार 808 रुपए की फर्नीचर, ट्रेनर किट व सीसीटीवी और नेटवर्किंग आइटम की खरीदी। जेम पोर्टल के माध्यम से विवि प्रशासन ने खरीदी के लिए टुकडों में 360 ऑर्डर दिए। हर एक ऑर्डर की कीमत 5 लाख रुपए से कम रखी। ताकि ओपन टेंडर की प्रक्रिया से बचा जा सके। यह पूरी खरीदी 7 महीने (अक्टूबर 2020 से मई 2021 तक ) में की गई।

ये जांच के खास पाॅइंट

पिछले पांच वर्ष की सीए व ऑडिट, लोकल फंड ऑडिट की रिपोर्ट की जांच।
संबंधित बैंकों के अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच।
5 साल में वित्तीय लेन-देन संबंधी पत्राचार/सत्यापन प्रमाणपत्रों की जांच।
एक्सिस बैंक की दो शाखा में 25-25 करोड़ की एक नंबर की एफडी की जांच।
एक ही सामान के लिए अलग-अलग ऑर्डर

मेटल शेल्विंग रैक्स खरीदी के लिए के एक महीने में तीन अलग-अलग ऑर्डर एक ही एजेंसी इंप्रेशन फर्नीचर इंडस्ट्रीज को दिए। हर ऑर्डर की कीमत 4.96 लाख रखी। ताकि आेपन टेंडर न करना पड़े।
24 से 28 अक्टूबर 2020 को यानी 5 दिन में लैथ मशीन खरीदी के लिए राॅयल कंप्यूटर्स को तीन ऑर्डर दिए। एक ऑर्डर 4.98 लाख, और दो ऑर्डर 4.88 लाख के रहे। इसी मशीन के लिए अगले दो माह में दो और ऑर्डर निकाले।
इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल लैब के लिए ब्लूटूथ ट्रेनर एजुकेशन किट के लिए 7 अॉर्डर किए। इनकी कीमत 3.14 लाख से 4.99 लाख है। इसके अलावा टू पोर्ट नेटवर्क ट्रेनर किट के लिए करीब 15 ऑर्डर किए।
लोकायुक्त में हुई शिकायत, 14 करोड़ की फर्नीचर गड़बड़ी
खरीदी की प्रक्रिया में मप्र शासन के भण्डार क्रय नियम का उल्लंघन किया। जिस दौरान टुकडों में खरीदी हुई, तब कोरोनाकाल था। तब इस सामग्री की बहुत जरूरत भी नहीं थी। एकजाई टेंडर हो सकता था। लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। 13 कंपनियों को टेंडर दिए गए। उस वक्त कुलपति प्रो. सुनील कुमार और रजिस्ट्रार प्रो.आरएस ही थे। लोकायुक्त में शिकायत हुई, जिसमें प्रो.राजूपत की पोस्टिंग के बाद से अब तक फर्नीचर खरीदी में 14 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप है।

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