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आदिवासी चप्पलों से पीटे जा रहे हैं, पेशाब से नहला रहे हैं,जानवरों का खाना खिला रहे हैं – सुरजेवाला

आदिवासी गौरव व सम्मान पर यातनाओं का कहर ढा रहे हैं भाजपाई! – आदिवासी

मध्यप्रदेश टंट्या भील, भीमा नायक, बादल भोई जैसे सैकड़ों स्वाभिमानी आदिवासी नायकों की पुण्य भूमि है।* मध्यप्रदेश के कण-कण में इन नारों की अनुगूंज सुनाई देती है – ‘‘जंगल, जमीन कोन री छे, आमरी छे-आमरी छे’’
‘एक तीर, एक कमान – आदिवासी एक समान’। मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि देश के सबसे अधिक आदिवासी समाज के लोग अनादिकाल से यहाँ के मूल निवासी हैं। मगर 18 सालों के शिवराज राज में वे वीभत्स यातना, अमानवीय प्रताड़ना तथा आत्मा छलनी करने वाले कुकृत्यों के शिकार हैं और शिवराज इनके जिम्मेवार हैं।
सत्ता के नशे में मदमस्त भाजपा नेताओं ने आदिवासी समाज के खिलाफ न सिर्फ अमानवीयता की सारी हदें पार की हैं, बल्कि उनकी नरपिशाचिक करतूतों ने पूरे म. प्र. को शर्मसार कर दिया है।

*कभी आदिवासी समाज के लोगों को अपमानित करने के लिए सरेआम निर्ममता से उनके ऊपर पेशाब करते हैं और वीडियो बनाकर वायरल कर देते हैं।

*कभी भाजपा नेता आदिवासी समाज के लोगों को उनके मृत रिश्तेदार के सम्मुख निर्ममता और बर्बरता से सर पर चप्पलों से पीटते हैं।

*कभी आदिवासियों के खिलाफ प्रतिशोध की आग में जल रही शिवराज सरकार विदिशा में आदिवासियों पर गोलियाँ दागती है और आदिवासी युवक को मौत के घाट उतारती है।

*कभी कोरोना काल के दौरान शिवराज राज आदिवासी जिलों में ऐसा अनाज बाँटती है, जो जानवरों के खाने लायक भी नहीं।

*कभी भाजपा सरकार आदिवासी भाईयों के 3 लाख 22 हजार से अधिक वनाधिकार पट्टे निरस्त कर उन्हें दरबदर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ देती है।

आदिवासी समाज अपने स्वाभिमान, आत्म सम्मान तथा जल-जंगल-जमीन की लड़ाई लड़ रहा है। इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी दृढ़ता से आदिवासी समाज के साथ खड़ी है।
क्या भाजपाई नेता तथा शिवराज सिंह चौहान आदिवासी समाज की पीड़ा और वेदना का जवाब देंगे:-

 भाजपा नेता ने अनूपपुर में आदिवासी के साथ की बर्बरता:-

गत सोमवार, 18 सितम्बर, 2023 को दो आदिवासी साथी बरनु गोंड और भोमासिंह अनूपपुर जा रहे थे। एक्सीडेंट के दौरान भोमा सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। अपने साथी की यह हालत देख बरनु गोंड बदहवास होकर सड़क पर साथी की मौत के सदमें में था, तभी वहां से गुजर रहे अनूपपुर के भाजपा मण्डल अध्यक्ष जयगणेश दीक्षित बरनु गोंड को बर्बरता से चप्पलों से पीटने लगा। 
बीते दिनों देवास के नेमावर में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर जमीन में आठ फीट नीचे उन्हें गाड दिया गया था, परिवार की अकेली लड़की छह माह तक न्याय की गुहार लगाती रही। आरोपियों को भाजपा नेताओं के संरक्षण की बात सामने आयी थी। 

 मार्च 2023, महू में गैंगरेप और हत्या:-

इंदौर के महू में मार्च 2023 में आदिवासी युवती के साथ गैंगरेप और हत्या का मामला सामने आया था। आदिवासी युवती की संदिग्ध मौत पर क्षेत्र के लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराया तो पुलिस ने फायरिंग और आंसू गैस के गोले दागे।

 2 फरवरी, 2023 ट्रैक्टर से बांधकर आदिवासी युवक को पीटा:-

इसी साल की हरदा में पिता-पुत्र ने एक आदिवासी युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आरोपियों ने युवक को ट्रैक्टर से बांधकर लाठी और डंडों से इतना पीटा कि उसकी सांसे थम गई। जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था।

 10 अगस्त, 2022 फायरिंग में आदिवासी की मौत:-

पिछले अगस्त में मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में लटेरी के जंगलों में कुछ लोगों पर वन विभाग के एक दल ने गोलीबारी कर दी, जिसमें 32 वर्षीय एक आदिवासी की मौत हो गई थी और तीन लोग घायल हो गए थे।

 जुलाई 2022 जमीनी विवाद में आदिवासी महिला को जलाया:-

गुना के बमोरी थाना इलाके के धनोरिया गांव में एक आदिवासी महिला को कुछ लोगों ने जिंदा जलाने की कोशिश की थी. इसमें महिला 70 से 80 फीसदी झुलस गई थी।

 जुलाई 2022 आदिवासी को पीटकर जूतों की माला पहनाई:-

मध्य प्रदेश के देवास जिले जुलाई 2022 में एक मामला आया था. जहां आदिवासी महिला की पिटाई के बाद जूतों की माला पहनाकर घुमाया गया था।

 2 मई, 2022 दो आदिवासियों की पीट-पीटकर हत्या:-

मई 2022 में सिवनी से दो आदिवासियों की हत्या, करीब 15-20 लोगों ने सिमरिया गांव निवासी धनसा इनवाती (52), सागरगांव निवासी संपत बट्टी (35) व ब्रजेश को घेर लिया था और लाठी-डंडों से तीनों की जमकर पीटा था. इसमें दो लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बजरंग दल के लोगों के शामिल होने की बात मीडिया के माध्यम से सामने आयी थी।

 मई, 2022 मंडला में आदिवासी की हत्या:-

मई 2022 में मंडला में तीन आदिवासियों की हत्या का मामला सामने आया था। जहां, आरोपी महिला का सिर काट ले गए थे. घटना मोहगांव थाना अंतर्गत ग्राम पातादेई की थी। यहां छत में सो रहे तीन लोगों की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी थी।

सच्चाई यह है कि हजार संवेदनाओं की मौत के बाद जो जन्म लेता है, वह है ‘‘शिवराज राज’’! अब इस अत्याचारी शिवराज सरकार की विदाई का समय आ गया है। गरीब व आदिवासी मिलकर इस संकल्प को पूरा करेंगे।

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