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कांग्रेस सरकार ने गरीब माताओं-बहनों को आजीविका मिशन के अंतर्गत 12% पर कराया ऋण उपलब्ध – कमलेश्वर पटेल

भाजपा सरकार और अधिकारियों ने वसूला 24 प्रतिशत ब्याज – कमलेश्वर पटेल

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भोपाल – पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने आज एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि आजीविका मिशन से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव की कहानी है, जिसे आज सभी सुना रहे हैं, परंतु भाजपा यह क्यों भूल जाती हैं कि आजीविका मिशन की शुरूआत कांग्रेस ने ही की थी। कांग्रेस द्वारा की गई वही शुरूआत आज जन आंदोलन बन चुकी है। परंतु भाजपा सरकार में मप्र में यह आंदोलन अब विपरीत दिशा में जा रहा है, भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते आधे से ज्यादा स्व सहायता समूह या तो खत्म हो गए हैं, या निष्क्रिय हो गये हैं। यह सरकार महिला विरोधी सरकार है। छोटे समूहों को पनपने नहीं देती है।
श्री पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने जब आजीविका मिशन की शुरूआत की थी तो यह निर्देश थे कि 12 प्रतिशत से अधिक ब्याज समूह सदस्य से नहीं लिया जावे, परंतु महिलाओं की पीठ पर छुरा घौंप कर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने और उनके अधिकारियों ने ठीक उसके विपरीत 24 प्रतिशत ब्याज महिला समूह सदस्यों से वसूला, जो आरबीआई के निर्देशों के विपरीत था। वहीं जी प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो हमने निर्णय लिया था कि गरीब माताओं-बहनों को मात्र 12 प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ण कराया जाएगा। कांग्रेस ने निर्णय लिया था कि आजीविका मिशन अतंर्गत सामुदायिक निवेश निधि से 30 हजार रूपये प्रति सदस्य तक के मान से कितने समूहों को शून्य प्रतिशत की ब्याज दर पर कृषि/ गैर कृषि उत्पादक गतिविधियों हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाएगा, परंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया।
श्री पटेल ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार दावा करती है की स्व सहायता समूह को पोषण आहार संयंत्रों के प्रबंधन में दिया गया है, जो की गरीब-माताओं बहनों के साथ कितना बड़ा धोखा और छल है, जबकि हकीकत तो यह है कि पोषण आहार संयंत्र 45 करोड़ के घाटे में चल रहे हैं, इस पर सरकार मौन क्यों है? उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के कुपोषण के आंकड़े उठाकर देख लीजिए, बहुत बदतर स्थिति हैं प्रदेश की, इसका कारण यह है कि पिछले साल मात्र 5 माह ही आंगनवाडियों में पोषण आहार दिया गया। मप्र में पोषण आहार की कमी से कुपोषित बच्चों की संख्या का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। उन्हांेने कहा कि कोई जिम्मेदार व्यक्ति है सरकार में जो यह बताये की क्या सरकार अब इतनी दयनीय स्थिति में है कि अब बच्चों, किशोरियों, माताओं, बहनों को पोषण आहार भी नही दे सकती? शिवराज जी, जब आप बच्चों, माताओं-बहनों को ठीक से पोषण आहार नहीं दे सकते हैं तो चुनावी साल में उन्हीं माताओं-बहनांे, लाड़लियों के लिए झूठी घोषणाएं क्यों कर रहे हैं।
श्री पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार में महिला स्व सहायता समूहों का राजनीतिकरण किया जा रहा है, उन्हें केवल वोट बैंक समझा जाकर उनका उपयोग अब सिर्फ रैलियों, सम्मेलनांे और भाजपा के इंवेटों में भीड़ जाटने के लिए किया जा रहा है। भाजपा सरकार द्वारा एक सम्मेलन में शामिल कराने के लिए समूहों के 3 दिन खराब किये जाते हैं, जिसका उन्हें कोई मानदेय, भत्ता आदि भी नही दिया जाता है। आजीविका मिशन का जमीनी स्टाफ आज सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त है और हो भी क्यों नहीं, क्योंकि जब आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ही भ्रष्ट हैं, उन पर आरोप भी साबित हो चुके है, यहां तक कि एक आईएएस अधिकारी ने उक्त भ्रष्टाचार की जांच कर आईपीसी की धाराएं तक प्रस्तावित कर दी हैं। वहीं भाजपा सरकार ने राजनैतिक लाभ लेने की लिए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को रिटायरमेंट के 5 साल बाद भी आजीविका मिशन का मुखिया बना रखा है।
श्री पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार स्कूल के बच्चों को गणवेश तक उपलब्ध करवाने में नाकाम रही है। समूहों के नाम पर भाजपा द्वारा पोषित ठेकेदार काम कर रहे हैं। कलेक्टर विदिशा ने जांच में आजीविका मिशन में जिला परियोजना प्रबंधक दोषी भी पाए गए परंतु भाजपा सरकार में बैठे ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पर कोई कार्यवायी नहीं होना सरकार के संरक्षण की और इंगित करता है।
श्री पटेल ने आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बेलवाल के विरुद्ध हुई जांच के संबंध में जांच रिपोर्ट मीडिया के सामने प्रस्तुत की, जिसमें सोशल एक्टिविस्ट भूपेंद्र प्रजापति द्वारा की गई शिकायत की जांच करते हुए बेलबाल द्वारा विभिन्न भर्तियों के मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा की ईमानदार अधिकारी नेहा मारव्या द्वारा 1 वर्ष पूर्व जांच की गई थी, तथा जांच रिपोर्ट में इन्होंने बेलवाल के भ्रष्टाचारों के संबंध में कई महत्वपूर्ण बातें अपनी जांच रिपोर्ट में कहीं है यहां तक कि बेलवाल की जांच रिपोर्ट के 56 नंबर पेज पर दस्तावेज चोरी कराने का लेख भी स्पष्ट तौर पर उल्लेखित है तथा 366 भर्तियों में नोट शीट में हेराफेरी करते हुए पूर्व पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव के नाम का उपयोग करते हुए बिना भार्गव की टीप के मात्र उनसे चर्चा करना और सहमति प्रदान करने जैसे कूट रचित दस्तावेज तैयार किए गए जांच रिपोर्ट के 46 नंबर पृष्ठ में पाया गया है कि भूपेंद्र प्रजापति द्वारा बेलबाल के विरुद्ध 8 शिकायतें विभिन्न जांच एजेंसियों को की गई थी उनकी जांच आजीविका मिशन के अधिकारियों द्वारा ही कर दी गई जो कि बेलवाल से कनिष्ठ अधिकारी थे।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित बेलवाल जो कि मंत्री से ज्यादा पावरफुल हो गये हैं के द्वारा भाजपा द्वारा होने वाले कार्यक्रमों में महिला स्व सहायता समूहों को डरा-घमकाकर भोपाल बुलाकर उन्हंे झूठ बोलने के लिए खूब रटाया जाता है, फिर मुख्यमंत्री को गदगद करने के लिए उनके सामने झूठ परोस दिया जाता है और वर्षाे से इसी तरह का खेल सरकार द्वारा चल रहा है जिससे प्रदेश की जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। यही नहीं ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो भ्रष्टाचार में दोषी पाये जाने और आपराधिक धाराएं प्रस्तावित होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री जी उन्हंे अपने साथ कार्यक्रमों में कुर्सी पर बैठाते हैं। जो मुख्यमंत्री स्वयं भ्रष्ट अधिकारी को अपने साथ कुर्सी पर बैठाकर पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया कोे नजर अंदाज कर रहे हों, वहीं मंत्री सिसोदिया की इस कार्यक्रम से दूरी कई सवालों को खड़ा करती है।
निरंतर विवादों में रहने वाले आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल जो कि मूल रूप से भारतीय वन सेवा के अधिकारी होते हुए मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के संरक्षण में विगत 12 सालों से आजीविका मिशन में एक ही कुर्सी पर अंगद की तरह पैर जमा कर बैठे हैं पर पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कई गंभीर आरोप लगाए।
आईएएस नेहा मारव्या को मिली ईमानदारी की सजा:
आईएएस नेहा मारव्या द्वारा ललित मोहन बेलवाल की शिकायत की जांच निरंतर 2 माह की गई तथा उपरोक्त जांच में बेलवाल के अलावा कई चेहरों को बेनकाब किया मालवीय द्वारा जून 2022 में जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई उसके तुरंत बाद ही पंचायत चुनाव की आचार संहिता में नियम कायदों को ताक पर रखते हुए ट्रांसफर कर दिया तथा मंत्रालय में राजस्व विभाग के एक कमरे में बिना काम के 9 महीने तक बिठा कर रखा गया यहां तक कि मारव्या को पानी पिलाने तक के लिए कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए गए तथा ट्रांसफर के समय इनसे गाड़ी तक छीन ली गई थी जिसके बाद मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी पर ईमानदार अधिकारी नेहा मारव्या को परेशान करने का आरोप लगा।
गौशालाओं में चल रहा ठेकेदारी सिस्टम
श्री पटेल ने कहा कि कहने को तो आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह की महिलाओं को ही प्रत्येक कार्य में आगे रखा जाता है परंतु पर्दे के पीछे से आजीविका मिशन के भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी महिलाओं को गुमराह करते हुए कमीशन बाजी करते हैं। वहीं सरकार गौशालाओं को बर्बाद कर रही, वर्ष 2019 में कांग्रेस सरकार ने गौशालाओं का निर्माण एवं संचालन करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई थी तथा इस पर गंभीरता से कार्य चल रहा था, परंतु सरकार बदलते ही गौशाला का संचालन का काम आजीविका मिशन को दे दिया गया जिसके कारण गौशालाओं की व्यवस्थाएं ठप्प हो चुकी है और अब गौशालाओं की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। इसी तरह आजीविका मिशन के द्वारा जो भी काम हाथ में लिए गए उन सभी में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जिसके जिम्मेदार भी आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल है।
ठेकेदारी सिस्टक के चलते गणवेश में लगी भ्रष्टाचार की सिलाई
वर्ष 2018 से आजीविका मिशन को बच्चांे की स्कूलों की गणवेश सिलाई का कार्य दिया गया था और यह सिलाई सिलाई का कार्य आजीविका मिशन के स्व सहायता समूहो की महिलाओं के द्वारा किया जाना था, परंतु 2018 से ही इस महत्वपूर्ण योजना के माध्यम से आजीविका मिशन के भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा घटिया किस्म का कपड़ा देकर कमीशन खोरी करते हुए करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया विदिशा का उदाहरण देते हुए कमलेश्वर पटेल ने कहा कि विदिशा के जिला परियोजना प्रबंधक पर वर्ष 2019 में कलेक्टर द्वारा गणवेश सिलाई में भ्रष्टाचार की जांच कराई गई तथा दोषी पाकर इन पर अपराधिक धाराओं में मामला पंजीकृत करने के आदेश दे दिए थे तथा जिला परियोजना प्रबंधक देवेंद्र श्रीवास्तव को पद से हटाने के लिए कहा गया था परंतु आज तक उस अधिकारी को नहीं हटाया गया। इस तरह गणवेश सिलाई में निरंतर हर जिले में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है और शासकीय विद्यालयों के गरीब बच्चों को गुणवत्ताहीन गणवेश उपलब्ध कराकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। विगत 2 वर्षों से छात्र छात्राओं को गणवेश उपलब्ध नहीं हो पाए हैं इसको लेकर सरकार द्वार लापरवाही बरती जा रही है।
दो वर्षाे से स्कूल के बच्चो को गणवेश नही मिला। घटिया क्वालिटी का कपड़ा खरीद कर महिला समूहों के नाम पर सप्लाई का खेल चल रहा जांच भी हुई, है। अधिकारी दोषी भी पाए गए, पर विभाग द्वारा कोई कार्यवाही है। यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। आजीविका मिशन का प्रशिक्षण मद के पैसे का बंटाधार रू गरीब महिलाओं को प्रशिक्षण हेतु केंद सरकार के प्राप्त हो वाली राशि का दुरउपयोग आजीविका मिशन द्वारा बड़े कार्यक्रम आयोजन में व्यय किया जा रहा है। विगत 2 वर्षाे में मुख्यमंत्री जी द्वारा समूह संवाद, स्ट्रीट वेंडर संवाद के नाम पर 10 करोड़ रूपये से अधिक खर्च कर दिया गया है। वहीं प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम पर 30 करोड़ से अधिक खर्च कर दिया गया और राष्ट्रपति महोदय के कार्यक्रम पर 3 करोड़ खर्च कर दिए गए। यह सरकार का कैसा खेल चल रहा है। इन सब स्थितियों से साफ जाहिर है कि भाजपा सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है।

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