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प्रचार वाहन में मिली शराब के मामले में कांग्रेस नेता उमर सिंघार को राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की FIR

एकलपीठ ने पाया कि पुलिस मेमोरेंडम में याचिकाकर्ता के नाम का खुलासा नहीं किया गया

धार – धार जिले के गंधवानी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी तथा पूर्व मंत्री उमंग सिंघार को चुनाव प्रचार में मिली शराब के मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पाया कि पुलिस मेमोरेंडम में याचिकाकर्ता के नाम का खुलासा नहीं किया गया था। इसके अलावा गवाहों ने भी याचिकाकर्ता का नाम नहीं लिया है। एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने के आदेश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि गंधवानी विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी उमंग सिंघार के अनुमति प्राप्त प्रचार वाहन क्रमांक जीजे 18 एएम 1920 में 257.16 बल्क लीटर शराब जब्त हुई थी। जिसका मूल्य लगभग 1 लाख 75 हजार रुपये था। गंधवानी पुलिस ने कांग्रेस प्रत्याशी उमंग सिंघार सहित सीताराम केशरिया तथा सचिन मूलेवा के खिलाफ आबकारी अधिनियम सहित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम धारा 120 बी, 188 तथा 171 के तहत प्रकरण दर्ज किया है। प्रकरण में आरोपी बनाए जाने के खिलाफ उमंर सिंघार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
याचिका की सुनवाई करते हुए उमंग सिंघार की तरफ से एकलपीठ को बताया गया कि जिस वाहन में शराब जब्त हुई, वह उनके चुनाव प्रचार में लगा हुआ था। वाहन में शराब रखे होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। वह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं और उनकी छवि घूमिल करने के लिए उकने खिलाफ षडयंत्र के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। वाहन से जब शराब जब्त हुई, वह उपस्थित नहीं थे। इसके बावजूद भी प्रकरण में उन्हें आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने अपने मेमोरेंडम में उनके नाम का खुलासा नहीं किया था। वाहन के चालक ने भी उसका नहीं बल्कि किसी अन्य व्यक्ति का नाम लिया था।
याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि मतगणना 3 दिसंबर को होना है। इसके पहले याचिका पर सुनवाई की जाए। इस बात की प्रबल संभावना है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर वह कैबिनेट मंत्री बनाए जाएंगे। याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर करना चाहिए थी। अपराध जिला स्थान में घटित हुआ वह इंदौर खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र में आता है। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि एमपी एमएलए के लिए मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट का निर्धारण किया है। एकलपीठ ने आपत्ति को खारिज करते हुए उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से विभोर खंडेलवाल ने पैरवी की।

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