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उज्जैन स्थित महाकाल लोक में घटिया मूर्ति निर्माण के बाद सिंहस्थ की जमीन को भी निगलने का मास्टर प्लान तैयार

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, उनकी पत्नी, बहन की जमीन का लैंड यूज़ बदला गया

उज्जैन – उज्जैन स्थित महाकाल लोक में घटिया मूर्ति निर्माण के बाद सिंहस्थ की जमीन को भी निगलने का मास्टर प्लान तैयार हो गया है। इस मास्टर प्लान की आड़ में सिंहस्थ के लिए 2016 में रिजर्व रखी गई 872 एकड़ जमीन में से 185 एकड़ का लैंडयूज बदलकर कृषि से आवासीय कर दिया गया है। इसका मतलब है कि इस जमीन पर अब कॉलोनियां काटी जा सकेंगी। खास बात यह है कि इसमें उच्च शिक्षा मंत्री व उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव, उनकी पत्नी, बहन की जमीन भी शामिल है।
उज्जैन से भाजपा के वरिष्ठ विधायक पारस जैन अपने ही साथी मंत्री मोहन यादव का नाम लिए बिना कहते हैं कि चाहे जिसके स्वार्थ के लिए ये किया गया हो, लेकिन ये फैसला पूरी तरह गलत है। सिंहस्थ 2028 में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान है। ऐसे में चिह्नित जमीन पर कॉलोनी बसाने का फैसला उज्जैन और सिंहस्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र से जमीन मुक्त करने के अलावा मास्टर प्लान की आड़ में जिन जमीनों का लैंडयूज बदला गया है, उनमें भी भाजपा नेताओं को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया गया है। कृषि से आवासीय हुई ज्यादातर जमीनों का मालिकाना हक मंत्री, उनकी पत्नी, जन अभियान परिषद के अध्यक्ष विभाष उपाध्याय और ऐसे ही कई प्रभावशाली नेताओं और बिल्डरों के नाम पर है।
दैनिक भास्कर के पास तमाम दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिनमें इस बात का उल्लेख है कि सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त की गई जमीन का मालिकाना हक किसके पास है? किसकी जमीन के लैंडयूज बदले गए हैं?

सबसे पहले यह जानिए कि ये जमीन इतनी महत्वपूर्ण क्यों…

उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ मेला लगता है। अगला सिंहस्थ 2028 में होगा। लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं। साधु-संतों के पांडाल लगते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अस्थायी निर्माण भी किए जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ मेला क्षेत्र नोटिफाइड किया जाता है। इस क्षेत्र में किसी भी तरह के आवासीय या व्यावसायिक निर्माण की अनुमति नहीं रहती है। यह नियम निजी जमीन पर भी लागू होता है। यदि मेला क्षेत्र में निर्माण की अनुमति देना शुरू हो जाए, तो सिंहस्थ मेले पर ही संकट खड़ा हो जाएगा।
26 दिसंबर 2014 को उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर कवींद्र कियावत के आदेश से सिंहस्थ मेला सैटेलाइट टाउन बनाने के लिए जून 2016 तक अस्थाई मेला क्षेत्र घोषित किया गया था। इसमें कुल 352 हेक्टेयर जमीन रिजर्व की गई थी। मास्टर प्लान के नाम पर रिजर्व जमीन में से 185 एकड़ जमीन को मुक्त कर दिया गया है।

सिंहस्थ मेले में सैटेलाइट टाउन बनते हैं

जिस जमीन की यहां बात हो रही है, वो सिंहस्थ के सैटेलाइट टाउन की है। दरअसल, सिंहस्थ के दौरान यहां देश-दुनिया से आने वाले संतों की व्यवस्था के लिए अलग-अलग अस्थाई शहर बनाए जाते हैं। इन्हें सैटेलाइट टाउन कहा जाता है। उज्जैन शहर में एंट्री से पहले जहां से ट्रैफिक डायवर्ट किया जाता है, वहां ये सैटेलाइट टाउन बनते हैं।

मेले की जमीन के लिए मुआवजा भी

सिंहस्थ 2016 के लिए अधिग्रहीत की गई निजी जमीनों के लिए सरकार ने अलग-अलग तरह से कुल 26.27 लाख रुपए मुआवजा दिया था। पड़ती भूमि के लिए 10 हजार रुपए, एक फसल देने वाली जमीन के लिए 20 हजार रुपए, दो फसल के लिए 40 हजार रुपए और व्यावसायिक उपयोग की भूमि के लिए 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का मुआवजा निर्धारित था।

गांवों की कृषि भूमि भी आवासीय कर दी

ये तो वो जमीन है, जो सिंहस्थ के लिए नोटिफाई थी, लेकिन खेल सिर्फ इसी में नहीं हुआ है। उज्जैन से लगे डांडिया, मेंडिया, शक्करवासा, जीवनखेड़ी, सावराखेड़ी और दाउदखेड़ी गांवों की कृषि भूमि को भी आवासीय में बदल दिया गया है। कांग्रेस नेता रवि राय ने शासन को जो शिकायत की है, उसमें उन्होंने मास्टर प्लान में जिन गांवों की जमीन को एग्रीकल्चर से आवासीय करने की लिस्ट दी है, उसमें ये नाम शामिल हैं। इस लिस्ट में उन जमीन मालिकों का जिक्र है, जिनकी जमीन बिना शुल्क चुकाए ही आवासीय हो जाएगी।
इस सूची में भी उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, उनकी पत्नी सीमा यादव, मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री का दर्जा) विभाष उपाध्याय और उनकी पत्नी कविता उपाध्याय के अलावा शहर के नामी बिल्डरों व भाजपा से जुड़े लोगों की जमीनों लैंडयूज चेंज किए जाने का उल्लेख है।
ये भी समझिए कि एक आम इंसान को अपनी कृषि भूमि के छोटे से टुकड़े का लैंडयूज बदलवाने के लिए कितने चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन उज्जैन के अफसरों ने सत्तासीन नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान में कैसे उनके हिस्से की जमीन को आवासीय कर दिया।

बिना टैक्स के कट जाएंगी कॉलोनियां

नियम तो ये है कि कृषि भूमि और आवासीय भूमि के कलेक्टर गाइडलाइन के अंतर की राशि पर 10 फीसदी शुल्क चुकाना होता है, लेकिन बिना शुल्क चुकाए ही इन प्रभावशाली लोगों की जमीन एक इशारे पर अब कॉलोनी काटने के लिए तैयार हो गई है।

इधर, 25 कॉलोनियों के हजारों लाेग सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त होने की गुहार लगा रहे हैं, उनकी सुनवाई नहीं

दिलचस्प बात ये है कि उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र के सैटेलाइट टाउन वाले हिस्से में अवैध कॉलोनियां बन गई हैं। इन लोगों का कहना है कि पिछले सिंहस्थ में उनकी जमीनों का इस्तेमाल नहीं किया गया था। ऐसे में उन जमीनों को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त कर दिया जाए, लेकिन उनकी बातों पर सुनवाई नहीं हुई। वे अब भी उन्हीं अवैध कॉलोनियों में रह रहे हैं। इन कॉलोनियों में मकान बनाने के लिए न तो बैंक से लोन मिलता है और न ही इसके नामांतरण होते हैं। ऐसे में मंत्री के परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए दाउदखेड़ी और आसपास के गांवों की जमीन को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त किया जाना सवाल खड़े कर रहा है।
कांग्रेस नेता रवि राय का कहना है कि जब मास्टर प्लान की आपत्तियों पर सुनवाई हो रही थी, तो मंत्री मोहन यादव खुद उसमें अध्यक्ष की भूमिका में आ गए थे, जबकि बैठक की अध्यक्षता टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारी को करनी थी। राय सवाल खड़े करते हैं कि जिस व्यक्ति के खुद के निजी हित शामिल हों, वो व्यक्ति कैसे किसी निर्णय में शामिल हो सकता है?
मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर सबसे ज्यादा 255 आपत्ति उन लोगों की थी, जिनकी जमीन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के दायरे में है। वे चाह रहे हैं कि उनकी जमीन सिंहस्थ मेला क्षेत्र में हैं, लेकिन उसका उपयोग नहीं हुआ। ऐसे में उनकी जमीनों को सिंहस्थ से मुक्त किया जाए, लेकिन अफसरों ने सुनवाई करते हुए इन आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया।

संतों ने आपत्ति ली तो सीएम बोले- जरूरत पड़ी तो मास्टर प्लान बदलेंगे

27 मई को उज्जैन का मास्टर प्लान लागू करने के आदेश हुए थे। इस पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने भी आपत्ति की है। रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि यदि सिंहस्थ के लिए रिजर्व जमीन को मुक्त कर दिया जाएगा, तो सिंहस्थ का मेला कहां लगेगा। साधु-संतों की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई को संतों को भरोसा दिलाया कि यदि जरुरत पड़ेगी, तो मास्टर प्लान में बदलाव किया जाएगा
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान तक लैंडयूज की बात पहुंची थी, तो उन्होंने 31 मई को ट्वीट कर कहा था कि उज्जैन के नए मास्टर प्लान से सिंहस्थ के आयोजन में कोई असुविधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। अगर आवश्यक होगा तो मास्टर प्लान में परिवर्तन जाएगा।
उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद वैसे भी यहां जमीनों की कीमतें बीते दो साल में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं। इस संबंध में जब हमने जन अभियान परिषद के अध्यक्ष विभाष उपाध्याय से बात की, तो उन्होंने जवाब दिया कि डांडिया में उनके नाम से सर्वे नंबर 90/1/1 में 2800 वर्गफुट और पत्नी कविता के नाम से सर्वे नंबर 90/1/2 में 2800 वर्गफुट जमीन है। उनकी एक इंच जमीन भी सिंहस्थ के दायरे में नहीं है। उपाध्याय ने बताया कि वो जमीन आश्रम की पार्किंग के लिए उपयोग में ली जाती है। उन्हाेंने कहा कि शक्करवासा में उनकी पत्नी कविता के नाम पर कोई जमीन नहीं है।

लैंडयूज बदलने से सरकारी खजाने में 500 करोड़ की सेंधमारी

कांग्रेस नेता रवि राय का आरोप है कि मास्टर प्लान में जमीनों का लैंडयूज बदले जाने के लिए कृषि भूमि और आवासीय भूमि के रेट के अंतर का 10 फीसदी राजस्व भरना होता है। इसका मतलब है कि कृषि भूमि की कीमत 1 करोड़ रुपए एकड़ है। वहीं पर आवासीय भूमि की कीमत 2 करोड़ रुपए है। तो दोनों कीमत के अंतर यानी एक करोड़ रुपए का 10 फीसदी यानी 10 लाख रुपए चुकाना होगा। इसके बाद जमीन का लैंडयूज बदलने का निर्णय होगा, लेकिन यहां भाजपा नेताओं, बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान की आड़ में उनकी जमीनों का लैंडयूज बदल दिया है। इससे सरकार को 400 से 500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

भाजपा विधायक जैन बोले- सिंहस्थ को देखते हुए आवासीय परमिशन नहीं मिलनी चाहिए

उज्जैन से भाजपा के विधायक पारस जैन कहते हैं कि सिंहस्थ मेले को देखते हुए तो मंगलनाथ से लेकर त्रिवेणी तक कहीं भी आवासीय परमिशन नहीं मिलनी चाहिए। पारस खुद भाजपा विधायक हैं। वे कहते हैं कि जिसने भी अपने स्वार्थ के लिए ये फैसला करवाया है, वो गलत है।
हमने सवाल किया कि उन्होंने इस पर आपत्ति क्यों नहीं ली, तो जवाब मिला कि हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिले थे। उन्होंने कहा कि अभी ये मास्टर प्लान लागू नहीं हुआ है। साधु संतों ने भी सिंहस्थ की जमीन मुक्त किए जाने का विरोध किया था। जैन कहते हैं कि सिंहस्थ 2028 में 10 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। महाकाल लोक बन जाने के बाद उज्जैन आने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सिंहस्थ में लोग कहां ठहरेंगे, कहां पार्किंग होगी, इस बात की चिंता अभी से करनी होगी।
उज्जैन में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के जॉइंट डायरेक्टर नाम न छापने की ताकीद देते हुए कहते हैं कि उनकी पोस्टिंग छह महीने पहले हुई है। उन्हें तो सरकार से अप्रूव्ड मास्टर प्लान मिला है। उनकी जिम्मेदारी इसे लागू कराने की है। इसका नक्शा तैयार हो रहा है।
हालांकि जब हमने उनसे पूछा कि सिंहस्थ के लिए रिजर्व जमीन को मुक्त करने का फैसला क्या सही है? तो जवाब मिला कि जिस जमीन को मुक्त किया गया है, वो सिर्फ 2016 तक के लिए ही रिजर्व थी। सरकार ने फैसला किया है, उन्हें पता होगा कि इसके बदले कहां वैकल्पिक व्यवस्था करनी है।

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