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अजा/अजजा, महिलाओं, युवाओं और पेंशन से जुड़ी योजनाओं में हितग्राहियों को लंबे समय से नहीं मिला रहा पैसा – तरूण भानोत

जनहित की योजनाओं के बजट को राजनैतिक स्वरूप की सरकारी रैलियों पर उड़ा रही सरकार

भोपाल – मप्र के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एक तरफ पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर झूठी घोषणाओं के नारियल फोड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ विधानसभा से जिन सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए बजट स्वीकृत हो चुका है, उन योजनाओं तक में धनराशि आवंटित नहीं कर रहे है। मप्र में चल रही झूठ और लूट की सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कल्याणी पेंशन, दिव्यांग पेंशन तक में पैसा देना बंद कर दिया है। ढाई हजार से अधिक बेटियां ऐसी हैं, जिनका विवाह हो चुका है, लेकिन 50 प्रतिशत कमीशन वाले मामा की सरकार ने उनके कन्या विवाह योजना की सहायता राशि आज तक नहीं दी है। पूर्व वित्त मंत्री एवं विधायक तरूण भानोत ने आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये यह बात कही।
श्री भानोत ने कहा कि मप्र में अंधेर नगरी-चौपट मामा का राज चल रहा है। उन्होंने कहा कि आज मैं एक-एक कर उन योजनाओं का ब्यौरा आपको दूंगा, जिनका बजट पास हो चुका है, किंतु मप्र की जनता तक उनके हक का पैसा नहीं पहुंच रहा है। सबसे पहले सामाजिक सुरक्षा पेंशन की बात करते हैं।


सामाजिक सुरक्षा पेंशन:-


राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कल्याणी पेंशन और दिव्यांग पेंशन की राशि का वितरण 2 माह से लम्बित है। लगभग 20 लाख से अधिक बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यागों को 600 रूपये प्रतिमाह की राशि नहीं मिल रही है। क्या शिवराज जी बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यागों से उनके मुंह का निवाला छीन रहे है?


अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्रवृत्ति:-


अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राओं को पिछले साल (2022-23) और इस साल (2023-24 ) का छात्रवृत्ति का वितरण नहीं हुआ है। क्या शिवराज जी दलित और आदिवासी भांजे-भांजियों से उनके शिक्षा का अधिकार छीन रहे हैं?


अनुसूचित जाति पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति:-


वर्ष 2022-23 व 2023-24 की अनुसूचित जाति पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति का केवल 40 प्रतिशत भुगतान छात्र-छात्राओं को किया गया है। छात्र-छात्राओं की शेष 60 प्रतिशत राशि का भुगतान नहीं हुआ हैं। 2021-22 के 30 हजार छात्र – छात्राओं की राशि भी रूकी हुई है। क्या शिवराज जी दलित भांजे-भांजियों से उच्च शिक्षा का हक छीन रहे हैं?


अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत राहत:-


अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत उत्पीड़ितों को राहत दिये जाने का प्रावधान है। उत्पीड़ित-हत्या, बलात्कार, मारपीट, जानलेवा हमला आदि विषय इसके अंतर्गत आते हैं। प्रदेश में अप्रैल, 2023 से राहत राशि को बांटने के लिए बजट नहीं है। जनवरी-फरवरी, 2023 के राहत बांटने के प्रकरण लम्बित है। क्या शिवराज जी दलित और आदिवासी पीड़ितों को मिलने वाली राहत भी छीन रहे हैं?


अजाक्स थाने:-


अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के व्यक्तियों पर अत्याचार के मामलों के लिए बनाये गये अजाक्स थानों के स्थापना व्यय का बजट अप्रैल, 2023 से नहीं है। थानों के संचालन व स्थापना व्यय के लिए सरकार राशि नहीं दे रही है। क्या शिवराज जी दलित और आदिवासियों से सुरक्षा का अधिकार छीन रहे हैं?


कन्या विवाह योजना:-


मप्र में अप्रैल 2023 से लगभग 2500 बेटियों के विवाह में मिलने वाली कन्या विवाह योजना की राशि का भुगतान नहीं किया गया है।


लाड़ली बहना योजना:-


शिवराज जी ने जो लाड़ली बहना योजना शुरू की है, उसमें 1 हजार रूपये प्रतिमाह देने का प्रावधान किया था। सौदे से बनी सरकार के मुखिया लाड़ली बहनों के साथ सौदा करना चाहते हैं। शिवराज सिंह एक हजार रूपये की राशि को बढ़ाकर 1250, 1500, 1750 ……… करने की बात कह रहे हैं, 250-250 रूपये बढ़ाकर लाड़ली बहनों से सौदा करना चाहते हैं। यदि बहनों को तीन हजार रूपये देने की मंशा थी तो तीन हजार रूपये देने की योजना लेकर आते। लेकिन शिवराज सिंह की मंशा तो सौदे की है, इसलिए सौदेबाज सरकार बहनों से सौदा करना चाहती है। नोट के बदले वोट-राखी जैसे पावन पर्व पर मुख्यमंत्री जी सौदा करने के लिए तत्पर खड़े हैं।


शाला भवनों की मरम्मत के बजट पर रोक:-


शिवराज सिंह सरकार ने 21 अगस्त 2023 को जारी एक आदेश में प्रदेश के सभी जिलों के 6696 एलीमेंट्री स्कूल और 493 सेकेण्डरी स्कूल के भवनों की मरम्मत के लिए स्वीकृत 143.21 करोड़ रू. की राशि के आदेश पर रोक लगा दी है। इस आदेश का सीधा अर्थ है कि शिवराज सरकार शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद अर्थात स्कूल की इमारतों को ही जर्जर करना चाहती है।


अंतर जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना:-


अंतर जातीय विवाह करने पर जोड़े को प्रोत्साहन देने हेतु राशि दिये जाने का प्रावधान है। प्रदेश में अंतर जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत राशि नहीं होने के कारण प्रोत्साहन वितरण बंद पड़ा है। क्या शिवराज जी सामाजिक समरसता की अवधारणा को खत्म करने की ओर बढ़ रहे हैं?


छात्रावास मरम्मत:-


अनुसूचित जाति छात्रावास मरम्मत एवं सुधार के लिए जो राशि बजट में नियत की गई थी, उस राशि को डायवर्ट कर दिया गया। छात्रावास के मरम्मत की राशि को सरेण्डर कराकर उक्त राशि को सागर के प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम के लिए उपयोग कर लिया गया। क्या शिवराज जी भाजपा के प्रचार के लिए अजा छात्रावासों की मरम्मत नहीं कराकर दलित छात्र-छात्राओं के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं?


संबल योजना:-


संबल योजना अंतर्गत श्रमिकों की मृत्यु होने पर दी जाने वाली अनुग्रह सहायता राशि आदि का वितरण बंद पड़ा है। वर्ष 2022 में हुई मृत्यु के हजारों मामले राशि के अभाव में पड़े हैं। प्रचारवादी सरकार के कारण ‘सिंगल क्लिक’ के आयोजन से राशि वितरण में और अधिक विलम्ब हो रहा है। क्या शिवराज जी श्रमिकों की मृत्यु पर भी बिना प्रचार के सहायता राशि नहीं दे सकते? क्या श्रमिकों की संबल योजना बंद कर दी गई है?
यह जानकारी तो उन योजनाओं की थी, जिनमें बजट आवंटित होने के बावजूद हितग्राहियों को पैसा नहीं दिया जा रहा है। अब उन योजनाओं की सूची पर भी नजर डालिए, जिनमें पैसा देने पर भी सीधी रोक तो नहीं लगायी गई, किंतु ऐसे प्रावधान कर दिये कि पैसा आवंटित ही न हो सके। निम्नलिखित योजनाओं में वित्त विभाग की अनुमति के बिना पैसा खर्च करने पर रोक लगा दी गई है।

मध्यप्रदेश में रोकी गई हितग्राहीमूलक योजनाए:-


बजट नहीं होने के कारण 130 से अधिक महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट खर्च करने पर सरकार ने रोक लगा दी है। विधान सभा से स्वीकृत बजट की राशि भी बिना वित्त विभाग से पूछे खर्च नहीं की जा सकती है।

-ः प्रमुख योजनाएँ-जिनके आहरण पर रोक:-

  • हाउसिंग फार ऑल – (नगरीय विकास विभाग)
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण विकास विभाग)
  • मुख्यमंत्री आवास मिशन (ग्रामीण विकास विभाग)
  • एम.एस.एम.ई. प्रोत्साहन (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग)
  • मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग)
  • विमुक्त जाति रोजगार सहायता योजना (घुमंतु और अर्धघुमंतु जनजाति विभाग)
  • युवक युवतियों को रोजगार प्रशिक्षण योजना (पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग)
  • सावित्रीबाई फूले स्व-सहायता योजना (अनुसूचित जाति कल्याण विभाग)
  • रोजगारमूलक आर्थिक सहायता योजना (पिछड़ा / अजा कल्याण विभाग)
  • मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना (तकनीकी शिक्षा विभाग)
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (तकनीकी शिक्षा विभाग)
  • छात्रों के लिए पुस्तक और स्टेशनरी योजना (उच्च शिक्षा विभाग)
  • विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना (अल्पसंख्यक कल्याण विभाग)
  • गांव की बेटी योजना (उच्च शिक्षा विभाग)
  • माँ तुझे प्रणाम योजना (खेल एवं युवा कल्याण विभाग)
  • किसान ब्याज माफी योजना (किसान कल्याण विभाग)
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (किसान कल्याण विभाग)
  • अन्नपूर्णा योजना (खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग)
  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना (स्वास्थ्य विभाग)
  • मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता (स्वास्थ्य विभाग)
  • देवारण्य योजना (आयुष विभाग)
इन हितग्राहीमूलक योजनाओं को बंद करके अथवा रोककर शिवराज सरकार नई योजनाएँ घोषित कर रही है और लाभ देने की नाटक-नौटंकी कर रही है। 

आप सभी के सामने हमने कुछ योजनाओं की स्थिति रखी है। आप ही बताईये कि जिस राज्य में बच्चों को छात्रवृत्ति न मिल रही हो, वृद्ध और दिव्यांगों को पेंशन नहीं मिल रही हो, बेटियों को विवाह के लिए राशि नहीं मिल रही हो, अजा/ अजजा के पीड़ित लोगों को अनुग्रह राशि नहीं मिल रही हो, स्कूलों की इमारतों की मरम्मत नहीं हो रही हो, अजा/अजजा के थानों में शिकायत लिखने की सामग्री ही न हो, क्या उस राज्य के मुख्यमंत्री को हजारों करोड़ रूपयों की नयी घोषणाएं करने का संवैधानिक या नैतिक अधिकार है? जो मुख्यमंत्री वर्तमान घोषणाओं और योजनाओं को लागू करने के लिए बजट नहीं दे पा रहा हो, आखिर वह किस तरह से भविष्य की योजनाओं के लिए बजट लेकर आयेगा। 
श्री भानोत ने कहा कि सच्चाई यह है कि शिवराज जी पिछले 18 सालों से झूठ की खेती करते आ रहे हैं और अब उनकी झूठ की मशीन दोगुनी रफ्तार से झूठ उगल रही है। इसलिए मप्र के सम्मानित मतदाताओं को भलीभांति समझ लेना चाहिए कि आज यह घोषणाएं कर रहे हैं, उनकी उम्र मतदान की तारीख तक ही है। इनका जनविरोधी चेहरा सत्ता में आते ही सबसे सामने आ जाता है। वर्ष 2020 में जैसे ही यह सौदेबाजी की सरकार से सत्ता में आये इन्होंने किसान कर्ज माफी बंद कर दी, 100 रू. में 100 यूनिट बिजली देना बंद कर दी, किसानों को एमएसपी में मिलने वाला बोनस बंद कर दिया। कमलनाथ सरकार ने ओबीसी को जो 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था, वह समाप्त कर दिया। गौशालाओं का निर्माण बंद कर दिया। जो व्यक्ति पिछले 18 साल से कल्याणकारी राज्य को विनाशकारी राज्य बनाता रहा हो, उसकी घोषणाओं पर मप्र की जनता कदापि विश्वास नहीं करेगी। 
श्री भानोत ने कहा कि माननीय कमलनाथ जी जो कहते हैं, वह करते हैं। हमारी सरकार बनते ही 100 यूनिट तक बिजली माफ और 200 यूनिट पर बिजली का बिल हाफ लिया जायेगा, महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रू. दिये जायेंगे, गैस सिलेण्डर 500 रू. में दिया जायेगा, पुरानी पेंशन बहाल की जायेगी, किसानों की कर्जमाफी फिर से शुरू की जायेगी, किसानों के पांच हार्स पावर तक के स्थायी और अस्थायी सिंचाई विद्युत कनेक्शन पर बिजली बिल माफ होगा, किसानों के पुराने बकाया बिजली बिल माफ होंगे, किसानों पर लगे अन्यायपूर्ण मुकदमे वापस लिये जायेंगे। माननीय कमलनाथ जी जनहितकारी और भी बड़े तोहफे मप्र की जनता को देंगे, जिनकी घोषणा उचित समय पर की जायेगी।  

हम सब मिलकर सकल्प लें कि कमलनाथ जी की सरकार बनाना है और मप्र को भाजपा की 50 प्रतिशत कमीशनराज की सरकार से मुक्ति दिलाना है।

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