You are here
Home > Uncategorized > विंध्य की बेटी: मुहावरों से झलकती ममता पुस्तक का कमलनाथ ने किया विमोचन

विंध्य की बेटी: मुहावरों से झलकती ममता पुस्तक का कमलनाथ ने किया विमोचन

श्रीमती वीणा सिंह द्वारा प्रकशित यह पुस्तक प्यार और सम्मान का एक मोमेंटो है – कमलनाथ

भोपाल – अर्जुन सिंह सद्भावना फाउंडेशन के बैनर तले फाउंडेशन की ट्रस्टी और प्रदेश के सर्वहारा वर्ग के नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अुुर्जन सिंह की पुत्री वीणा सिंह द्वारा राजधानी भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित एक समारोह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के कर कमलों से आज विंध्य की बेटी: मुहावरों से झलकी ममता नामक एक पुस्तक का विमोचन किया गया। विमोचन कार्यक्रम में फाउंडेशन के ट्रस्टी मप्र विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह और मप्र के ख्याति प्राप्त बैतूल के प्रतिष्ठि वरिष्ठ समाजसेवी सैम वर्मा विशेष रूप से मंचासीन रहे।
श्री कमलनाथ ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि अर्जुन सिंह ने अपने जीवन में सभी वर्ग के लोगों को तहजीब़ दी। उन्होंने कहा कि यहां मेरे बहुत सारे पुराने अर्जुन सिंह के साथी बैठे हैं, सभी अुर्जन सिंह की कार्यशैली और उनकी भावनाओं से भलीभांति परिचित हैं, उन्होंने कहा कि मेरी मंशा नहीं थी लोकसभा चुनाव लड़ने की लेकिन उन्होंने मुझे अपने निवास पर बुलाया और मुझे पता ही नहीं था और दाऊ साहब और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सरोज कुमारी ने मुझे अचानक बुलाकर कहा कि लोकसभा का चुनाव लड़ना है, मैंने इंदिरा गांधी जी और संजय गांधी जी से बात कर ली है, मैं उनके निर्णय से हतप्रभ रह गया। लेकिन मैं कुछ बोल भी नहीं सकता था, मेरे पास बोलने के लिए कोई आप्सन ही नहीं था, वह चुनाव मेरा पहला चुनाव था।
चुनाव अभियान में श्रीमती सरोज कुमारी जी तीन हफते छिंदवाड़ा में रहीं देर रात तक जगती थी, मैंने सोचा कि ये तो मेरी बहन से ज्यादा मेरी सेवा करती है, मैंने उन्हें बहन बना लिया और उन्हें बिंदा बोलना शुरू कर दिया, वह मेरी बहन बनी। इंदिरा जी प्रधानमंत्री बनी, विधानसभा का चुनाव हुआ परिणाम आया, अुर्जन सिंह जी ने नेतृत्व किया। भोपाल में मेरा निवास नहीं था, अर्जुन सिंह के निवास पर ही रहता था, अर्जुन सिंह जी ने मुख्यमंत्री की शपथ ले ली थी, लेकिन दूसरे दिन ही उन्हें पंजाब का राज्यपाल बना दिया गया। श्री सिंह अभा कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष बनाये गये तब पंजाब का मसला नाजुक था, गंभीर था, लेकिन उनमें समस्याओं से लड़ने की ताकत थी। उन्होंने दिल्ली स्थित निवास को लेकर बताया कि मेरा मकान और अुर्जन सिंह का मकान अगल-बगल में था तो उस समय हमने दीवार तोड़कर बीच से दरवाजा बना लिया था और हमारा आना-जाना वहीं से था। अर्जुन सिंह की मप्र में जो सेवा रही, वह बिंदा जी की प्रेरणा से रहीं। जब अुर्जन सिंह की तबियत खराब हुई तो बिंदा उनके सामने एक स्तंभ के रूप में थी, जब वे उनकी तरफ देखते थे तो वह उनसे कहती थी, कि सब ठीक हैं। मैंने बड़ी करीबी से उनके परिवार को देखा है।
अर्जुन सिंह जी के बारे में तो बहुत कुछ लिखा जायेगा पर बिंदा जी के बारे में कौन लिखेगा, वह आपको लिखना पड़ेगा, वीणा सिंह ने यह पुस्तक सम्मान और प्यार से लिखी है। यह पुस्तक अर्जुन सिंह के प्यार और सम्मान का एक मोमेंटों हैं।
फाउंडेशन के ट्रस्टी, एनआरआई सैम वर्मा ने अुर्जन सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने मुझे बहुत प्यार, मान और सम्मान दिया है। श्रीमती सरोज कुमारी का अर्जुन सिंह की सफलता के पीछे बहुत बड़ा योगदान रहा।
फाउंडेशन के ट्रस्टी राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अर्जुन सिंह के पैतृक निवास पर दोहा लिखा हुआ है कि रहिमन इतना दीजिए जामे कुटुब समाये, मैं भी भूखा न रहू साधू भी भूखा न जाये। उनकी पहचान सर्वहारा वर्ग के नेता के रूप में रही है। उनके जीवन का उद्देश्य हमेशा समावेशी विकास के लिए ही रहा।
फाउंडेशन की ट्रस्टी पुस्तक की प्रकाशन कराने वाली अर्जुन सिंह की पुत्री वीणा सिंह ने दाऊ साहब और माता श्रीमती सरोज कुमार के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया मुझे यह बहुत अच्छा पवित्र मौका मिला है जबकि आप सबके बीच में मैं अपने माता और पिता दोनों को याद कर दोनों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं श्री कमलनाथ जी से हमारा बहुत पुराना संबंध है और उन्होंने आज तक उस सं

Top