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शिवराज सरकार में 50% कमीशन का झूठ बेनकाब, भ्रष्टाचार की जांच करने के बजाय शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करना चाहती है भाजपा सरकार – मिश्रा

क. मिश्रा ने कहा मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार नहीं, कमीशन राज सरकार चल रही है

भोपाल – मध्यप्रदेश में आखिरकार आधिकारिक रूप से शिवराज सिंह चौहान सरकार का 50 प्रतिशत का कमीशन राज सामने आ गया है। सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे प्रदेश को एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से एक ठेकेदार ने फरियाद की है कि 50 प्रतिशत कमीशन के कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। इस पत्र को मध्यप्रदेश के मीडिया ने प्रमुखता से उठाया। मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रियंका गांधी जी का, मीडिया के राष्ट्रीय प्रभारी जयराम रमेश जी का, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ जी का आभारी हूं कि अखबारों में प्रकाशित इस तथ्य को उन्होंने पूरे संसार के सामने आगे बढ़ाया। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने आज एक पत्रकार-वार्ता को संबोधित करते हुए यह बात कही।
के. के. मिश्रा ने कहा कि मैं उस व्यक्ति को धन्यवाद देता हूं जिसने माननीय हाईकोर्ट को यह पत्र लिखा, क्योंकि यह पत्र माननीय हाईकोर्ट को लिखा गया है, इसलिए इस पर मेरी ओर से अलग से कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। इस पर जो भी संज्ञान लेना है वह माननीय हाईकोर्ट लेगा।
लेकिन पत्र में जो बातें कही गई हैं उनसे मध्यप्रदेश का एक-एक नागरिक पूरी तरह सहमत है। मैं तो माननीय हाईकोर्ट से आग्रह करूंगा कि पत्र लिखने वाले व्यक्ति को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए। आप सभी को याद होगा कि व्यापमं घोटाले के समय 58 से अधिक लोगों की संदिग्ध मृत्यु हुई थी। उस समय माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्वयं इन मौतों का संज्ञान लिया था और कहा था कि अब और इस तरह की घटनाएं नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण आहार में घोटाला होने की खबर आप सबके सामने है। महाकाल लोक के निर्माण में भी जिस तरह घोटाला किया गया, वह वहां वहां हवा चलने से गिरी सप्त ऋषियों की मूर्तियां अपने आप बयान करती हैं। जरा सी बाढ़ में कारम डैम का बह जाना बताता है कि मध्यप्रदेश में ठेकेदारी में कितना कमीशन चल रहा है।
शिवराज जी ने डंपर घोटाले के साथ अपने कार्यकाल की शुरुआत की थी और 18 साल के कार्यकाल में उन्होंने घोटाले करने का कीर्तिमान बना दिया है। नदी में घोटाला, पहाड़ में घोटाला, स्कूल में घोटाला, शिक्षा में घोटाला, भोजन में घोटाला, भजन में घोटाला, अस्पताल में घोटाला इलाज में घोटाल, रेमडेसीविर इंजेक्शन में घोटाला, कोरोना की मृत्यु छुपाने में घोटाला, पुलिस भर्ती में घोटाला, पटवारी भर्ती में घोटाला, नर्सिंग कॉलेज में घोटाला, आयुष्यमान योजना में घोटाले, आकाश से लेकर पाताल तक शिवराज सिंह चौहान ने घोटाले की झड़ी लगा दी है। अब तो मध्यप्रदेश की जनता इस सरकार को कमीशन राज सरकार और सरकार के मुखिया को मिस्टर घोटाला कहने लगी है।
आप सबको याद होगा कि मई 2018 में एक प्रतिष्ठान मीडिया संस्थान ने मध्यप्रदेश में हर विभाग के घोटाले का पूरा विस्तृत रिपोर्ट कार्ड जारी किया था। उस रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि मध्य प्रदेश में 51 प्रतिशत लोग यह स्वीकार करते हैं की सरकारी काम के लिए उन्हें रिश्वत देनी पड़ती है। जिस भाई ने हाईकोर्ट को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश में 50 प्रतिशत कमीशन और घोटाले को उजागर किया है उसने अपनी तरफ से कमीशन की राशि को थोड़ा कम ही बताया है। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए भोपाल के आरटीओ को इसलिए हटाया गया क्योंकि आरटीओ दफ्तर में होने वाले लेन-देन की चिट्ठी एक प्रतिष्ठित अखबार ने प्रकाशित कर दी थी।
आज माननीय प्रधानमंत्री जी भी मध्यप्रदेश के सागर जिले में हैं। मैं आशा करता हूं कि वह सरकार से पूछें कि आखिर मध्यप्रदेश में इतने ज्यादा घोटाले क्यों हो रहे हैं? जनता शिवराज सरकार को कमीशन राज सरकार क्यों कह रही है?
इसके साथ ही मैं मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा से पूछना चाहता हूं कि वह भ्रष्टाचार की जांच करने और अपने गिरेबान में झांकने के बजाय भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने की बात क्यों कर रहे हैं? क्या हम मान लें कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश के गृहमंत्री ने मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के सं

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