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पुलिस की कमजोर जांच के तीन मामले

इंदौर – इंदौर के लंदन विलाज टाउनशिप में हुई डकैती के आरोपी सोमला को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी से मिली जमानत दो दिन में ही निरस्त हो गई। बाणगंगा पुलिस की ओर से जमानत निरस्ती के लिए उसी कोर्ट में अर्जी दायर की गई थी। हालांकि जांच अधिकारी और थाना प्रभारी ने दूसरे आवेदन में भी बड़ी लापरवाही बरती।
दरअसल, आवेदन में धारा 395, 397 बढ़ाने के साथ ही धारा 396 भी लिख दी। जबकि यह धारा लूट और हत्या के लिए लगाई जाती है। डकैती में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई थी। खुद पुलिस ने पंचनामे में लिखा था कि पीड़ित पुष्पेंद्र को किसी तरह की चोट नहीं आई है। सोमला के वकील संतोष खोवारे ने कोर्ट में दो आपत्ति दर्ज कराई। पहली यह कि इस मामले में किसी की हत्या नहीं हुई, पुलिस द्वारा जबरन धाराएं जोड़कर सोमला को फंसाया जा रहा है।
इस पर पुलिस ने कोर्ट में कहा कि हमें इसके लिए खेद है, टाइपिंग की गलती की वजह से धारा 396 लिखा गई। वहीं, दूसरी आपत्ति यह ली गई कि जिस कोर्ट द्वारा जमानत दी गई है, वही कोर्ट इस मामले को फिर से नहीं सुन सकती है। नियमानुसार सेशन कोर्ट को सुनवाई का अधिकार है। जेएमएफसी कोर्ट ने दोपहर 1 बजे सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

22 अपराध चल रहे, जमानत निरस्त की जाती है : कोर्ट

कोर्ट ने सोमला की लोकेशन के संबंध में भी पूछा। उसके वकील ने कहा कि 18 मार्च को इस मामले की सुनवाई होना है, वह उसी दिन कोर्ट के समक्ष हाजिर होगा। कोर्ट ने जमानत निरस्त करते हुए कहा कि सोमला के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। इसके अलावा 22 अपराध भी पहले से चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में उसकी जमानत निरस्त की जाती है।

पूरे समय कोर्ट रूम में खड़े रहे पुलिस अफसर

रिमांड खत्म होने पर 5 मार्च को सोमला को पेश किया गया था। तब केवल दो आरक्षक उसे हथकड़ी लगाकर आए थे। कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी। गुरुवार को जब सुनवाई हुई तो एसीपी धैर्यशील येवले, टीआई नीरज बिरथरे, एसआई कमल किशोर पूरे समय कोर्ट रूम में खड़े रहे।

तत्कालीन सराफा टीआई बोलीं- मैं एबीवीपी की कार्यकर्ता रही, महापौर के पक्ष में पोस्ट शेयर की

चार साल पहले राजबाड़ा पर कांग्रेस नेता संजय शुक्ला, जीतू पटवारी पर दर्ज धरना-प्रदर्शन केस की सुनवाई गुरुवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में हुई। इसमें तत्कालीन सराफा थाना प्रभारी अमृता सोलंकी हाजिर हुईं। उनका प्रतिपरीक्षण अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने किया। सोलंकी से पूछा कि आप एबीवीपी की कार्यकर्ता रही हैं क्या? इस पर उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़ी थी। फिर पूछा कि नगर निगम चुनाव में मेयर प्रत्याशी रहे पुष्यमित्र भार्गव के पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की थी? सोलंकी ने कहा कि हां की थी, वह कॉलेज के वक्त मेरे सीनियर थे, उनसे मेरे पारिवारिक संबंध भी हैं। धरना, प्रदर्शन की क्या परिभाषा है? इस पर उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कोई परिभाषा याद नहीं। दोनों नेताओं पर केस दर्ज करते समय भी मुझे धरना-प्रदर्शन की परिभाषा पता नहीं थी। मिश्रा ने आरोप लगाए कि निरीक्षक राजनीतिक दल से प्रभावित हैं। बगैर किसी जांच किए सीधे कांग्रेस नेताओं पर केस दर्ज कर लिए। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई जल्दी ही करेगी।

जांच अधिकारी की लापरवाही, दो आरोपियों को जमानत

आरोपी अजय घोंसले को अक्टूबर 2023 में कलारिया में एक फार्मा कंपनी में चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। चंदन नगर पुलिस ने कार्रवाई की थी। सीनियर एडवोकेट अश्विनकुमार अध्यारु व गौरव अध्यारु के मुताबिक जमानत अर्जी पर सुनवाई में पुलिस को जमानत अर्जी खारिज कराने के लिए समूचे साक्ष्य पेश करना था। कोर्ट ने माना कि पुलिस ने आरोपी का मोबाइल जब्त किया लेकिन उसकी कॉल डिटेल्स व टॉवर लोकेशन पेश नहीं की। इसी प्रकरण में आरोपी किशन की भी जमानत अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल से सिगरेट के टुकड़े जब्त किए गए थे। सिगरेट के टुकड़े जांच के लिए न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं। इनकी जांच रिपोर्ट आने में समय लग सकता है।

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