आयुष्मान योजना:सरकारी में दो माह तक की वेटिंग Uncategorized by mpeditor - March 20, 2024March 20, 20240 इसलिए निजी अस्पताल में ही सर्जरी को मजबूर मरीज इंदौर – आयुष्मान योजना में कम मरीज देखने के बावजूद सरकारी के मुकाले निजी अस्पतालों को अधिक भुगतान की पड़ताल में और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सर्जरी के मामले में ज्यादातर मरीज निजी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं। िगनती के चार सरकारी अस्पतालों में सर्जरी की सुविधा है, हार्ट, किडनी, लिवर, फेफड़ों से जुड़ी सर्जरी में लोग सरकारी पर कम भरोसा कर रहे हैं।एमवाय अस्पताल में मरीजों की संख्या को देखते हुए 20 ओटी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ छह ही हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के 8 अस्पतालों एमवायएच, सुपर स्पेशिएलिटी, चाचा नेहरू, एमटीएच, एमआरटीबी, मनोरोग (दो) व कैंसर अस्पताल में सर्जरी और ट्रांसप्लांट होते हैं, लेकिन एक से दो माह तक की वेटिंग है। स्वास्थ्य विभाग का जिला अस्पताल 4 साल से लगभग बंद है। जिले में 4 सिविल अस्पताल, 6 सीएचसी और 48 प्राथमिक स्वास्थ केंद्र हैं। सीएमएचओ बीएस सेतिया के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में आयुष्मान योजना में अब तक 10,167 मरीजों का उपचार किया गया है। इनमें 80% केस मेडिसिन और 20% सामान्य सर्जरी के हैं। स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में 20% केस ही सर्जरी के आ रहे शहर में 197 निजी अस्पताल, बड़ी सर्जरी के 80% केस यहीं जा रहे शहर में करीब 197 निजी अस्पताल हैं। बड़ी सर्जरी और ट्रांसप्लांट से जुड़े आयुष्मान के करीब 80% मरीज इनमें जा रहे हैं। अस्पताल संचालक डॉ. रवि वर्मा के अनुसार, उनके अस्पताल में आयुष्मान के 5736 मरीजों का इलाज किया गया, इनमें आधे से अधिक मरीजों की बड़ी सर्जरी हुई। अरबिंदो के एचओडी राजीव सिंह के मुताबिक, आयुष्मान के लिए सभी क्षेत्रों से मरीज आ रहे हैं। एमवायएच : सर्जरी के लिए लंबी कतार मरीजों की संख्या के हिसाब से ओटी नहीं होने से दो महीने तक की वेटिंग रहती है। सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अरविंद घनघोरिया के मुताबिक, 5 सामान्य और एक इमरजेंसी ओटी है, जबकि मरीजों की संख्या को देखते हुए 20 ओटी की जरूरत है। सुपर स्पेशिएलिटी: यहीं बेहतर सुविधाएं यहां सालभर में 100 से अधिक, यानी हर माह औसत 8-10 ऑपरेशन हो रहे हैं। सीनियर डॉक्टर एडी भटनागर ने बताया, यहां हर महीने औसत 50 एंजियोप्लास्टी और 100 एंजियोग्राफी होती हैं। डॉ. अंकुर गोयल के मुताबिक फेफड़ों के 200 से अधिक ऑपरेशन हुए हैं। इन अस्पतालों में संसाधनों का अभावकैंसर अस्पताल, चाचा नेहरू, एमआरटीबी में सर्जरी के संसाधनों की कमी से आयुष्मान के मरीज निजी में चले जाते हैं। सरकारी अस्पतालों के क्लेम का 40% सरकार रख लेती है केंद्र सरकार ने आयुष्मान के तहत 2339 बीमारियों के लिए पांच लाख रुपए तक के पैकेज बनाए हैं। निजी अस्पतालों को तो पैकेज की पूरी राशि मिलती है, लेकिन सरकारी के लिए प्रदेश सरकार इसमें से 40% राशि रख लेती है, क्योंकि वह काॅर्पोरेशन के तहत जो दवाएं पहुंचाती हैं उसका इस्तेमाल आयुष्मान मरीजों के लिए भी किया जाता है।