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इंदौर में 3 बार फांसी की सजा पर विचार हुआ

बच्ची के दुष्कर्म-हत्या के आरोप में जिसे 13 दिन में मिला था मृत्युदंड; साढ़े 10 साल सजा काटने के बाद बरी हुआ

खंडवा/इंदौर – मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने वाले आरोपी अनोखीलाल को विशेष न्यायाधीश प्राची पटेल की कोर्ट ने दोषमुक्त माना है। इससे पहले अनोखीलाल के खिलाफ दो बार जिला कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था।
फांसी बंदियों को लेकर काम कर रहे नेशनल लॉ दिल्ली प्रोजेक्ट 39-ए नामक संस्था ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर अनोखीलाल के केस को री-ओपन कराया। हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिला कोर्ट में फिर से 3 महीने तक ट्रायल चला, जिसमें कोर्ट ने डीएनए प्रक्रिया को दूषित मानते हुए अनोखीलाल के पक्ष में फैसला सुनाया। अभी तक अनोखीलाल साढ़े 10 साल की जेल काट चुका है।
यह केस 4 मार्च 2013 में उस समय सुर्खियों में आया था जब न्यायाधीश ने गंभीर अपराध मानकर अनोखीलाल को वारदात के बाद सिर्फ 13 दिन में ही फांसी की सजा सुना दी थी। 13 दिनों में पु​लिस ने चार्जशीट तैयार की थी और कोर्ट में ट्रायल भी हो गया था।

पुलिस के साक्ष्य संकलन में दो बाल का जिक्र क्यों नहीं था

दिल्ली की संस्था से आए तीन अधिवक्ताओं ने कोर्ट में डीएनए सैंपल की जांच करने वाले ग्वालियर से आए वैज्ञानिक डॉ. पंकज श्रीवास्तव व इंदौर के एफएसएल अधिकारी डॉ. एसके वर्मा का प्रतिपरीक्षण किया था। इसमें उनसे पूछा गया कि आपने किस आधार पर डीएनए सैंपल की जांच की, गाइडलाइन क्या थी। अनोखीलाल के जिन बालों से डीएनए सैंपल लिया, वह पुलिस के साक्ष्य संकलन में थे या नहीं। उनका जिक्र उसमें क्यों नहीं था। पुलिस कितने दिन बाद सैंपल लेकर आई थी। जब सैंपल लेकर पहुंची तो उसकी सील पैक थी या खुली थी। इन सवालों के जवाब कोर्ट में वैज्ञानिकों ने दिए। अधिवक्ता ने बताया पुलिस ने अनोखीलाल के डीएनए (शुक्राणु) बच्ची के शरीर पर बताकर कलेक्ट किया ​था। जबकि वहां अन्य के शुक्राणु भी पाए गए, जिससे बच्ची के दुष्कर्म के मामले में किसी अन्य की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। इन्हीं सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने डीएनए सैंपल की प्रक्रिया को दूषित माना, जिसका लाभ अनोखीलाल को मिला।

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