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10 साल बाद आदिवासियों के 269 आवास घोटाले में FIR

खंडवा – खंडवा में आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा आवास अंतर्गत मिले 269 इंदिरा आवास घोटाले की भेंट चढ़ गए। मामला 2013-14 में पुनासा जनपद की ग्राम पंचायत हंतिया का है। हितग्राहियों की शिकायत पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। मामले को लेकर एक कांग्रेस नेता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगा दी। हाईकोर्ट में सुनवाई का मौका आया और नोटिस जारी हुए तो सरकार ने आनन-फानन में थाना नर्मदानगर पर तत्कालीन महिला सरपंच समेत 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर करवा दी। 10 साल पहले हुआ घोटाला 85 लाख 60 हजार रूपए का था।
वन अधिकार पट्टा आवास योजना के तहत ग्राम पंचायत हंतिया में 269 हितग्राहियों को कुटीर (घर) स्वीकृत की गई। उनके खातों में पहली किस्त के 22,500 हजार रुपए डालने के लिए नर्मदा-झाबुआ ग्रामीण बैंक शाखा पुनासा में खाते खुलवाए गए। सरपंच पति व सचिव ने हितग्राहियों को भ्रमित कर पूरी राशि आहरित कर ली। जब दूसरी किस्त का समय आया तो सभी हितग्राहियों के खाते बैंक ऑफ इंडिया शाखा पुनासा में खाते खोले गए। इन खातों में दूसरी किस्त को पहली बताकर फिर से 22,500 रुपए डाले गए। यह राशि भी उन्होंने कियोक्स संचालक व जनपद के अफसरों से मिलीभगत कर खुद निकाल ली और उसकी भनक तक हितग्राहियों को नहीं लगने दी।
बाद में किस्तों के रुपए नहीं मिले तो हितग्राहियों ने अपने स्तर पर जानकारी निकाली, तब हकीकत पता चली। मामले में तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य रणधीर कैथवास ने तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ रोशनसिंह से शिकायत की। जांच कमेटी बैठी तो सरपंच-सचिव, रोजगार सहायक, कियोस्क संचालक सहित जिला पंचायत के अफसर भी दोषी पाए गए। पूरा प्रकरण चार साल तक जांच में उलझता रहा है। 2018 में मांधाता से विधायक बने नारायण पटेल से आरोपी मास्टरमाइंड महेंद्र गुर्जर ने करीबियां बढ़ा ली। महेंद्र विधायक पटेल का खास हो गया। ऐसे में घोटाले की फाइल दब गई। 2021 में कैथवास ने पूरे प्रकरण में हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगा दी।

सीईओ बोलीं- कलेक्टर ने चिट्‌ठी भेजी और हमने रिपोर्ट लिखा दी

जनहित याचिका में याचिकाकर्ता रणधीर कैथवास ने मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन सहित कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, जनपद पंचायत सीईओ और सरपंच-सचिव को पार्टी बनाया था। जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए आनन-फानन में कलेक्टर ने दोषियों पर एफआईआर करवा दी।
खुद पुनासा जनपद सीईओ रीना चौहान ने कहा कि मैंने हाल ही में ज्वाइन किया है। मुझे कलेक्टर ने पत्र लिखकर कार्रवाई करवाने के आदेश दिए तो मैंने तत्काल थाने पर केस दर्ज करवाने के निर्देश दिए। मुझसे पहले जिनकी पोस्टिंग थी उन्हें खुद कार्रवाई करवाने के लिए 5 पत्र कलेक्टर व 5 जिला पंचायत सीईओ दे चुके हैं। ये वे ही बता सकते हैं कि तब कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

महिला सरपंच, उसके पति समेत 8 लोग बने आरोपी

हंतिया पंचायत की तत्कालीन सरपंच मधुबाला गुर्जर, सरपंच पति महेंद्र गुर्जर, तत्कालीन सचिव नानकराम ठाकरे, नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक कियोस्क संचालक दीपक और राकेश गुर्जर, जनपद के सहायक क्षेत्रीय विस्तार अधिकारी आनंद कुमार जैन, हंतिया निवासी आशाराम पिता मानसिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 406, 409 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया है। भ्रष्टाचार में शामिल जनपद के एक कर्मचारी की मौत हो चुकी है।

कैथवास बोले- अफसरों को बचाया, प्रकरण में खानापूर्ति की

मामले में एफआईआर को लेकर याचिकाकर्ता रणधीर कैथवास ने बताया कि जब हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया तो प्रशासन हरकत में आया। 10 साल से 300 गरीब आदिवासी आवास योजना से वंचित है। लाखों रूपए के गबन पर भी अफसर चुप रहे। इस केस में जिला पंचायत के अफसरों की भूमिका भी थी, जिन्हें बचाया गया है। उस समय जिला पंचायत में लेखाधिकारी के पद पर दीपाली चौरसिया, आवास शाखा के प्रभारी देवेंद्र कुमार दशोरे और सहायक परियोजना अधिकारी जितेंद्र नामदेव थे।

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