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चुनाव लड़ने पर अड़ीं डिप्टी कलेक्टर, कहा- मेरा इस्तीफा मंजूर नहीं कर रोक रही सरकार; आमरण अनशन की चेतावनी

आमला में चर्चा कि निशा बांगरे कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव लड़ना चाहती हैं

बैतूल – छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा देने वाली अफसर निशा बांगरे आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने इसके साफ संकेत दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुझे चुनाव लड़ने से रोक रही है। जानबूझकर मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस्तीफा स्वीकार नहीं करने पर वे आमरण अनशन पर बैठेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने जज, शिक्षक और डॉक्टर को एक दिन में इस्तीफा दिलाकर प्रत्याशी घोषित कर दिया। लेकिन मुझे मेरे संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने की कोशिश की जा रही है। निशा बांगरे से इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को लेटर भी लिखा है।
बता दें निशा बांगरे ने 22 जून को डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसे सरकार ने मंजूर नहीं किया। उन्होंने 6 सितंबर को जारी आदेश का जवाब देते हुए प्रमुख सचिव को चार पेजों का लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने साफ कहा कि उन्हें जो सजा दी जाए, वे स्वीकार करने को तैयार हैं। लेकिन इस्तीफा अस्वीकार कर उन्हें चुनाव लड़ने से न रोका जाए।

मानसिक रूप से प्रताड़ना दी जा रही

निशा ने अपने पत्र में कहा कि वे मध्यप्रदेश शासन की सेवा (डिप्टी कलेक्टर के पद) पर नहीं रहना चाहती, क्योंकि स्वयं के मकान के उद्‌घाटन कार्यक्रम और भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन लाभ से रोके जाने के कारण मुझे मेरे संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखे जाने का प्रयास किया गया। इससे आहत होकर मैंने डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा दिया था। मेरे इस्तीफा देने के बाद विभागीय नोटिस और जांच शुरू कर मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

अब मैं अपने संवैधानिक अधिकार के लिए तो लड़ूंगी ही, साथ ही महिलाओं, वंचितों, दुखी, कमजोर वर्ग और असहायों की सेवा करना चाहती हूं। मुझे उम्मीद की नजर से देख रही जनता की सेवा करने के लिए अब मैंने आगामी विधानसभा चुनाव 2023 लड़ने का मन बना लिया है।
सरकार ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को अंतरराष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति नहीं दी थी। इससे आहत होकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप

प्रमुख सचिव को भेजे पत्र में निशा ने उदाहरण देते हुए कहा कि डॉ. विजय आनंद मरावी ( सहायक अधीक्षक, जबलपुर मेडिकल कॉलेज), प्रकाश उइके (जज, दमोह), वीरेन्द्र सिंह (सरकारी शिक्षक) को एक ही दिन में नौकरी से इस्तीफा दिलवाकर राजनीतिक दल का उम्मीदवार घोषित किया गया। लेकिन मेरे साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया। मुझे मेरे संवैधानिक अधिकारों से वंचित न रखा जाए।
उन्होंने कहा कि विभाग ने जो आरोप मुझ पर लगाए हैं, उनकी जांच जारी रखें। मैं जांच में पूरा सहयोग करूंगी। जांच के बाद जो भी सजा दी जाए, स्वीकार है। लेकिन मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 से वंचित ना रखा जाए।

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