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विद्रोह और बगावत के बाद भाजपा की हालत बिगड़ी

सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश में 84 से 98 सीटों पर सिमट जाएगी भाजपा -कांग्रेस को 132 से 146 सीटें मिलने का अनुमान

नई दिल्ली/भोपाल – मप्र को भाजपा और आरएसएस अपनी प्रयोग भूमि मानते हैं। लेकिन इस बार पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के बाद भाजपा में जिस तरह का विद्रोह और बगावत देखने को मिला है उससे प्रदेश में पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई है। दरअसल, पिछले 15 दिन की स्थिति पर पार्टी को जो मैदानी फीडबैक मिला है उससे भाजपा के खिलाफ जबरदस्त माहौल दिख रहा है। वहीं जी न्यूज सी फोर सर्वे में भाजपा को 84 से 98 सीटें ही मिलने का अनुमान जताया गया है। इसके बाद से भाजपा के रणनीतिकारों का टेंशन बढ़ गया है। गौरतलब है कि विद्रोह और बगावत के कारण भाजपा को इस बार बड़े पैमाने पर भितरघात का खतरा बढ़ गया है। पार्टी के कई नेता बागी हो गए हैं। ऐसे में मप्र भाजपा के हाथ से मामला निकलते ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर से मप्र में सक्रिय हो गए हैं। शाह प्रदेश में शनिवार से लेकर सोमवार तक रहेंगे और सभी 10 संभागों का दौरा कर डैमेज कंट्रोल करेंगे। शाह ने शनिवार को जबलपुर और छिंदवाड़ा में बैठक कर सबको साधने की कोशिश की। जी न्यूज के ताजा सर्वे में भाजपा को करारी शिकस्त मिलती दिख रही। कांग्रेस सूबे में सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक, सूबे में 17 नवंबर को एक ही फेज में वोटिंग है। इससे ठीक पहले सामने आए इस लेटेस्ट सर्वे ने सत्ताधारी भाजपा की टेंशन जरूर बढ़ा दी है। दरअसल, भाजपा की 5वीं सूची जारी होने के बाद भाजपा नेताओं के बगावती स्वर के बाद किए गए सर्वे ने भाजपा नेताओं की नींद उड़ा दी है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है। -कांग्रेस होगी सबसे बड़ी पार्टी मप्र विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। अगले महीने की 17 को वोटिंग से ठीक पहले जो सर्वे सामने आया है। उसमें कांग्रेस को बंपर सीटें आती दिख रही हैं। कांग्रेस को 132 से 146 सीटें आ सकती हैं। भाजपा को 84 से 98 सीट मिलती दिख रही। वहीं अन्य के खाते में भी 5 सीटें आने के आसार जताए गए हैं। मप्र चुनाव को लेकर इस सर्वे में वोटिंग परसेंट भी कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख रहा। कांग्रेस को 46 फीसदी वोट परसेंट मिले हैं। सत्ताधारी भाजपा 43 फीसदी वोट परसेंट के साथ दूसरे नंबर पर है। निर्दलीय और अन्य को 11 फीसदी वोट मिलता दिख रहा। -चुनाव में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा मप्र विधानसभा में इस बार महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा रह सकता है। सर्वे के मुताबिक, 25 फीसदी लोग मानते हैं कि महंगाई इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है। दूसरे नंबर बेरोजगारी है, 24 फीसदी लोगों ने इसे मुख्य मुद्दा माना है। भ्रष्टाचार को 12 फीसदी, सीवरेज को 9 फीसदी और पेयजल को 7 फीसदी लोगों ने बड़ा मुद्दा बताया है। सडक़ और स्वास्थ्य सेवाओं को 6 फीसदी, शिक्षा को 4 फीसदी, बिजली को 3 फीसदी, कानून व्यवस्था को 2 फीसदी लोगों ने बड़ा मुद्दा बताया है।

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