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शाह के दौरे के फौरन बाद जबलपुर भाजपा नगर अध्यक्ष प्रभात साहू का इस्तीफा

अमित शाह जमीनी कार्यकर्ताओं और पदाधिकिरयों की बात को समझ ही नहीं पाए

जबलपुर, (ईएमएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जबलपुर दौरे के फौरन बाद ही नाराज पदाधिकारियों ने मोर्चा संभाला| कुछ देर बाद ही नाराजगी उजागर करते जबलपुर भाजपा नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया| इस तरह नाराज पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को केंद्रीय मंत्री शाह की समझाइश भी काम नहीं आई और अब वो खुलकर सामने आ रहे हैं|
भाजपा नगर अध्यक्ष साहू के इस्तीफे से जाहिर हो गया है कि भाजपा के अंदर चल रही नाराजगी अब उजागर होने लगी है| बताया जा रहा है कि अमित शाह ने टिकट दावेदारों को बातचीत कर मना लिया था, लेकिन उनके जाते ही असंतोष एक बार फिर फूट पड़ा है| कहा जा रहा है कि अमित शाह जमीनी कार्यकर्ताओं और पदाधिकिरयों की बात को समझ ही नहीं पाए, इसलिए उन्होंने बगावत करने वालों को तो समय दे दिया, लेकिन पार्टी के लिए जी-जान से कार्य करने वालों का दर्द नहीं समझ सके| भाजपा नगर अध्यक्ष साहू टिकट वितरण को लेकर नाराज चल रहे थे और उन्होंने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष पद से पद से त्याग पत्र दिया है, लेकिन वो भाजपा में बने रहेंगे। श्री साहू केंद्रीय समिति के साथ 21 अक्टूबर को हुई घटना के समय से नाराज चल रहे थे।
गौरतलब है कि शनिवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह जबलपुर पहुंचे थे| कहा जा रहा था कि उन्होंने यहां भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर सब सही कर दिया| उनके जाने के बाद ही भाजपा से नगर अध्यक्ष साहू का इस्तीफा होना बतलाता है कि सब कुछ सही नहीं है| प्रभात साहू इस बात से भी नाराज दिखे कि गृह मंत्री शाह ने नगर आगमन के दौरान अनुशासनहीनता करने वाले कार्यकर्ताओं को समय देकर उन जैसे पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को हताश किया| उन्होंने कहा कि अनुशासनहीन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए थी, लेकिन उन्हें समय देकर उनके साथ बैठक की गई, जिससे उनका मनोबल बढ़ा है और पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता व पदाधिकारियों के मन में हताशा के भाव आए हैं| इसलिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है| पार्टी के आला नेताओं के आश्वासन के बावजूद टिकट नहीं मिलने से अनेक नेता नाराज हैं| इसके साथ ही सवाल किया जा रहा है कि जिन लोगों के साथ केंद्रीय मंत्री शाह बैठक करके गए हैं, क्या उनमें से सभी लोग मान गए हैं| ऐसा तो नहीं ऊपरी तौर पर वो खामोश हो गए हों लेकिन अंदर ही अंदर नाराजगी के चलते वो भी चुनाव मैदान में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हार का मजा चखाने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे|

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