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मप्र में 18 खेल अकादमियां…लेकिन:शूटिंग और घुड़सवारी पर ही फोकस

नतीजा : मेंस क्रिकेट, वुशू और स्विमिंग अकादमी बंद हुईं, जूडो-कराते और बैडमिंटन भी बंद जैसी

भोपाल – मध्यप्रदेश में वर्ष 2006-07 से खेल अकादमी स्थापित करने की शुरुआत हुई, जो अभी तक जारी है। अभी प्रदेश में 18 खेलों की सरकारी अकादमियां हैं, जिनमें करीब 1000 प्लेयर साल भर अपने खेल कौशल को धार देते हैं। लेकिन, पिछले दस साल में खेल एवं युवा कल्याण विभाग का सबसे ज्यादा फोकस शूटिंग और घुड़सवारी पर रहा, बजट भी सबसे ज्यादा इन्हीं अकादमियों पर खर्च हुआ।
इसका नतीजा यह हुआ कि शिवपुरी की मेंस क्रिकेट अकादमी, भोपाल में वुशू और नर्मदापुरम में संचालित स्विमिंग अकादमियां दो-तीन साल चलकर बंद हो गईं, वहीं, जूडो, कराते, ताइक्वांडो और बैडमिंटन अकादमी की स्थिति भी बंद होने जैसी है। कुछ अन्य अकादमियों का रिजल्ट भी शून्य जैसा ही है।

शूटिंग और घुड़सवारी में इसलिए ज्यादा खर्च

1 खिलाड़ी 1 दिन में सौ गोलियां चलाता है, इनकी कीमत 3000 रु.
65 लाख तक कीमत के 32 घोड़े, इनका रखरखाव और खानपान महंगा
ये हैं मप्र की खेल अकादमियां

भोपाल : शूटिंग, घुड़सवारी, मेंस हॉकी, कयाकिंग-केनोइंग, रोइंग, सेलिंग, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, फेंसिंग, जूडो, कराते, ताइक्वांडो, कुश्ती, ई स्पोर्ट्स।

ग्वालियर : बैडमिंटन, वुमेंस हॉकी।

जबलपुर: आर्चरी अकादमी।
शिवपुरी: गर्ल्स क्रिकेट अकादमी।

स्विमिंग अकादमी भी जीरो रिजल्ट पर ही हुई बंद
खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने नर्मदापुरम में 2014 में स्विमिंग अकादमी शुरू की। यह चार- साढ़े चार साल जैसे-तैसे चली, लेकिन कोई परिणाम नहीं मिले। स्विमिंग पूल का तापमान मेंटेन रहे, इसके लिए मंहगे उपकरण खरीदे। खिलाड़ियों के आवास, भोजन, एजुकेशन और कोच पर मोटा खर्च हुआ। यहां से एक भी खिलाड़ी स्टेट गेम्स तक भी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाया और अकादमी बंद करना पड़ी। भोपाल में वुशू अकादमी 2006 में खुली। शुरुआत में रिजल्ट दिए थे, लेकिन एसोसिएशन से विवाद के चलते 2011 में इसे बंद करना पड़ा।

शूटिंग और घुड़सवारी के एक प्लेयर पर रोज औसतन 4-5 हजार खर्च

सबसे महंगी अकादमी है शूटिंग। यहां करीब 111 प्लेयर साल भर ट्रेनिंग लेते हैं। इसके एक प्लेयर पर रोजाना 5000 रुपए का औसतन खर्च आता है। दरअसल, एक प्लेयर एक दिन में 100 गोलियां चलाता है, जो 3000 रुपए के आसपास बैठती है। बाकी एजुकेशन, हॉस्टल, भोजन, परिवहन पर 1500 से 2000 रुपए का खर्च आता है। घुड़सवारी में भी घोड़ों के रख-रखाव व खान-पान पर इतना ही खर्च है। यहां 65 लाख रु. कीमत तक के 32 घोड़े हैं। विभाग का इन्हीं दो अकादमियों पर ज्यादा फोकस रहा है। इन अकादमियाें ने रिजल्ट भी दिए हैं।​​​​​​​

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