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बेटी से गैंगरेप के बाद 10 परिवारों ने छोड़ा गांव

ग्वालियर में पिता बोले- अभी तो आबरु लूटी, ये लोग जान भी ले सकते हैं

ग्वालियर – ‘ मैं रात को अपने भाई को पेशाब कराने के लिए घर के बाहर ले गई थी। इसी बीच एक अंकल ने मेरा मुंह पकड़कर जमीन पर गिरा दिया। उनके साथ एक और आदमी था, वो मेरे छोटे भाई को पीट रहा था। शोर सुनकर मां-पिताजी बाहर निकले तो उनमें से एक ने बंदूक निकाल ली। फिर एक अंकल मुझे घर के अंदर ले गए। उन्होंने मेरे साथ गलत काम किया। उनके जाने के बाद दूसरे अंकल आए, उन्होंने भी गलत काम किया।’
15 साल की गैंगरेप पीड़िता ने एक ही सांस में पूरा वाकया बयां कर दिया। घटना के बाद पहली बार उसने दैनिक भास्कर से बात की है। अब तक वो केवल मां के जरिए ही बात करती थी। पुलिस भी जब उसका बयान लेने पहुंची थीं तो उसने मां के जरिए ही अपना बयान दर्ज करवाया था।
ग्वालियर के भंवरपुरा थाना इलाके के गांव में रहने वाली पीड़िता के साथ 29 जनवरी को ये जघन्य वारदात हुई थी। पुलिस ने चार में से तीन आरोपियों को पकड़ लिया है, चौथा फरार है। इनमें से एक आरोपी तो उस खदान मालिक का बेटा है, जिसकी खदान पर पीड़िता के पिता काम करते थे।
भास्कर की टीम जब यहां पहुंची तो पीड़ित परिवार गांव छोड़कर शिवपुरी जा रहा था। परिवार से गांव के बाहर मुलाकात हुई। पिता ने कहा- गांव में रहे तो वे हमें भी जान से मार डालेंगे। अब कभी वापस नहीं लौटेंगे। इस घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। न केवल पीड़ित परिवार बल्कि 10 आदिवासी परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं।

पिता बोले- उस रात मेरी बेटी चीख रही थी, मैं कुछ नहीं कर सका

पीड़िता के पिता ने 29 जनवरी की घटना बताते हुए कहा कि रात के 12 से 1 बजे के बीच का समय था। हम सब सो रहे थे। इसी बीच मेरी बेटी अपने छोटे भाई को पेशाब कराने के लिए घर के बाहर ले गई। थोड़ी देर बाद मुझे उसकी चीख सुनाई दी। मैं दौड़कर बाहर पहुंचा, देखा तो बेटा नीचे गिरा हुआ है। उसे एक लड़के ने पकड़ा है। कुछ दूरी पर बेटी जमीन पर पड़ी थी। उसके सीने पर एक लड़का चढ़कर बैठा हुआ था। वह उसका मुंह दबाने की कोशिश कर रहा था। एक तीसरा लड़का भी था, जो केवल तमाशा देख रहा था।
जिन तीन आरोपियों ने नाबालिग के साथ रेप किया, उनमें से एक आरोपी खदान मालिक गब्बर सिंह का बेटा आकाश है। पीड़िता के पिता ने कहा कि मैं उनके लिए 15 साल से काम कर रहा हूं। डेढ़ महीने पहले उनकी पत्थर की खदान पर काम करने शिवपुरी से भंवरपुरा आया था। पता नहीं था कि ये सब होगा। जैसे ही पिता ने आरोपी का नाम लिया तो पत्नी बोली- हां सब बता दो, कल को गोली मार देंगे तो क्या ये लोग बचाने आएंगे ?

पत्नी के इतना कहते ही पीड़िता के पिता के चेहरे पर डर दिखाई दिया। थोड़ी दूर पर कुत्ते के बच्चे के साथ खेल रही बेटी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उसे पता ही नहीं कि उसके साथ क्या हुआ है। आप लोग बार-बार जिक्र करेंगे तो वो भी हमसे सवाल करेगी। इतना कहकर पीड़िता के पिता ने बगल में पड़ी लकड़ी उठाई और हाथ जोड़ लिए।

आदिवासी परिवारों ने गांव छोड़ा, बोले- आबरु नहीं लुटा सकते

इस परिवार के बात करने के बाद भास्कर की टीम पीड़िता के गांव पहुंची। ये गांव पत्थर खदानों से घिरा हुआ है। सभी खदानों पर गुर्जरों का अधिकार है। आदिवासी इन खदानों पर मजदूरी करते हैं। जैसे ही भास्कर की टीम गांव पहुंची गांव के लोगों के चेहरे पर डर साफ नजर आया। उनसे जब 29 जनवरी की घटना के बारे में पूछा तो किसी ने भी उस बारे में बात करना मुनासिब नहीं समझा।
उनकी बातों से ऐसा लगा कि यदि वो घटना का जिक्र करेंगे तो उनके साथ भी कुछ अनहोनी हो सकती है। कुछ लोगों ने दबी जुबां में कहा कि यहां ऐसा ही होता है। वो लोग आते हैं, लूट-पाट करते हैं और चले जाते हैं। इधर कोई पुलिस नहीं दिखती। हमें उन लोगों के साथ ही रहना है।
गांव वालों से बात कर जब भास्कर की टीम ने गांव का जायजा लिया तो देखकर हैरानी हुई कि गांव के 10 घरों पर ताले पड़े हुए थे। लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि कोई रुपया-पैसा लूट ले तो समझ आता है लेकिन जब आबरु ही महफूज ना रहे तो कौन गांव में रहेगा। उन्होंने बताया कि पीड़िता के परिवार के अलावा दस और परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं। एक दो दिन में हम लोग भी चले जाएंगे।

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