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कांग्रेस का पेड़ सूखा नहीं, नए पत्ते आएंगे – सिंघार

इस लोकसभा चुनाव में कई चीजें बदलने वाली हैं, जो भविष्य में दिखेंगी

भोपाल – उमंग सिंघार… मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के बडे़ आदिवासी नेता…। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। हाईकमान ने उमंग के साथ जीतू पटवारी को पीसीसी चीफ और अटेर विधायक हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे सीनियर्स के बजाए पार्टी ने यंग लीडर्स को कमान दी। लोकसभा चुनाव से पहले अब कांग्रेस में भगदड़ के हालात हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, विधायक कमलेश शाह से लेकर करीब 10 पूर्व विधायकों ने बीजेपी जॉइन कर ली है। इस भगदड़ के बीच दैनिक भास्कर ने उमंग सिंघार से खास बातचीत की।

सिंघार का कहना है कि जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता। कांग्रेस का पेड़ सूखा नहीं है, उसमें नए पत्ते आएंगे। अब भी 40 फीसदी वोट हमारे पास हैं। पढ़िए, सिंघार से बातचीत के प्रमुख अंश…

सवाल- विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद लोकसभा को लेकर क्या रणनीति है?
जवाब- स्वाभाविक है कि विधानसभा चुनावों के परिणाम अपेक्षा के विपरीत आए थे, लेकिन मैं इतने वर्षों से देख रहा हूं कि जो भारतीय जनता पार्टी को वोट मिलता है, उतना ही वोट कांग्रेस को मिलता है। करीब 40 फीसदी वोट के आसपास है। कांग्रेस पार्टी हो या कांग्रेस के कार्यकर्ता.. प्रदेश में हम मजबूत हैं। चुनावों में कई तात्कालिक कारण होते हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी कई चीजें बदलने वाली हैं, जो भविष्य में दिखेंगी।

सवाल- लीडरशिप चेंज होने के बाद लोग कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जा रहे हैं। इसके पीछे की वजह?
जवाब – 2023 में जब चुनाव हुए, भारतीय जनता पार्टी के कई कार्यकर्ता कांग्रेस में आए थे। अब बीजेपी की तरफ से राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है, जिसके कारण कुछ लोग छोड़कर जा रहे हैं। मैं समझता हूं कि हर राज्य में चुनाव के समय ऐसा होता है। जो कांग्रेस का वोटर और कार्यकर्ता है, वह हमेशा पार्टी के साथ है।

सवाल- सुरेश पचौरी जैसे सीनियर लीडर्स के जाने के पीछे पार्टी ने आत्ममंथन किया?
जवाब – पार्टी छोड़कर जाने की वजह तो वही लोग बता पाएंगे, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि 75 साल की उम्र में अगर आप ऐसा फैसला लेते हैं, तो गलत है। पार्टी ने आपको 4 बार सांसद बनाया, केंद्रीय मंत्री बनाया, प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उनका यह निर्णय अजीब है। अगर मैं 75 साल की उम्र में होता तो, ऐसा निर्णय नहीं लेता।

सवाल- अरुण यादव, अजय सिंह और आपके प्रति बीजेपी का रवैया सॉफ्ट रहता है। क्या आपके लिए बीजेपी की ओर से कोशिशें होती हैं?
जवाब- पार्टी में निष्ठा की बात है। जब सरकार गिर रही थी, तब कई प्रलोभन आए थे। मैंने दरकिनार करते हुए पार्टी में निष्ठा और वफादारी रखी है। इसके कारण ही पार्टी ने मुझे सीएलपी लीडर के रूप में नवाजा है।

सवाल- आप लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, या लड़वाना चाहते थे? क्योंकि, आपने मांग रखी थी कि सभी वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए?

जवाब- मेरा मानना था कि सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए। अब यह पार्टी का फैसला है कि किसको चुनाव लड़ाना है या नहीं लड़ाना है। किसको कैंपेन देखना है, उस हिसाब से पार्टी निर्णय करती है।

सवाल- डॉ. नरोत्तम मिश्रा का दावा है कि भाजपा के स्थापना दिवस के दिन 2 लाख 82 हजार लोग पार्टी में शामिल हुए?
जवाब – मुझे नहीं पता, भारतीय जनता पार्टी यह आंकड़े कहां से लेकर आई है। इन आंकड़ों की सच्चाई क्या है। उनके आंकड़े तो बहुत रहते हैं। अभी जैसे इन्होंने एक आंकड़ा दिया है अबकी बार 400 पार….। आपने जो यह नारा दिया है, इससे लगता है कि पहले से ही आपको परिणाम पता है। कहीं न कहीं आपकी कोई सेटिंग है।

मैं भाजपा और सभी नेताओं को कहना चाहता हूं कि अगर आपके पास 400 की गारंटी है, तो अपने साथ 40 पार्टियों का जो गठबंधन करके जो बैसाखी बनाई है, आप वह बैसाखी देश को नहीं बताना चाहते हैं। आप सिर्फ नारा देना जानते हैं, लेकिन 40 पार्टियों की बैसाखी के साथ चलते हैं।

सवाल- आपकी पार्टी के जिलाध्यक्ष, विधायक छोड़कर जा रहे हैं। इनसे बात नहीं करते? पार्टी का इंटेलिजेंस सिस्टम काम कर रहा है?
जवाब – किसी को समझाएं, मनाएं। मनाने के बाद भी अगर कोई जाना चाहे, तो उसकी व्यक्तिगत इच्छा है। उसको तो आप रोक नहीं सकते। अगर किसी को जाना ही है, तो वह जाएगा। यह तो जीवन चक्र है। नए पत्ते भी बहुत सारे कांग्रेस में हैं। कांग्रेस का पेड़ सूखा नहीं है। कांग्रेस मजबूत है। इतने साल से 38-40 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पास है। ये प्रमाण है।

सवाल- विदिशा के टिकट को लेकर आप नाराज थे। उम्मीदवार घोषित होने के बाद कार्यक्रमों में नहीं दिखे​​​​। शिवराज जी ने तंज भी कसा था।
जवाब – शिवराज जी बताएं कि उन्होंने क्या जादू किया?

सवाल – कुछ नाराजगी थी क्या?
जवाब – सबके अपने विचार और मत होते हैं। टिकट होने के बाद ये बातें मायने नहीं रखतीं।

सवाल – खजुराहो सीट सपा को समझौते में दी। वहां अब आपके गठबंधन का कैंडिडेट ही नहीं है। अभी वहां क्या निर्णय हुआ?
जवाब – स्वाभाविक रूप से भाजपा के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ेंगे। आज-कल में ये निर्णय हो जाएगा कि किसे समर्थन देना है।

सवाल- 6 महीने पहले देखें तो कमलनाथ, दिग्विजय सिंह प्रदेश भर में सभाएं, बैठकें करते थे। इस चुनाव में कमलनाथ छिंदवाड़ा और दिग्विजय सिंह राजगढ़ से बाहर नहीं निकल रहे?

जवाब – क्योंकि चुनाव लड़ रहे हैं दोनों लीडर। उनकी जवाबदारी बनती है, इसलिए छिंदवाड़ा – राजगढ़ उनकी प्रायोरिटी है। दोनों प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं। अभी मेनिफेस्टो की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह आए कमलनाथ भी आपको दिखेंगे।

सवाल- जिन 28 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, उनमें छिंदवाड़ा छोड़कर बाकी सीटें बीजेपी के पास हैं। अब आप कितनी सीटें जीत रहे हैं?
जवाब – होशंगाबाद, सागर, मंडला, शहडोल, धार, झाबुआ ऐसी कई सीटें हैं, जिन पर बीजेपी को, मीडिया को लगता था कि यहां क्लीन स्वीप है, उन सीटों पर हमारे उम्मीदवार चुनौती दे रहे हैं। ऐसी 28 सीटों पर हम मजबूती के साथ चुनौती दे रहे हैं। इसका परिणाम दिखेगा।

सवाल- मुरैना, ग्वालियर में आपकी पसंद से टिकट दिए गए?
जवाब – पसंद वाली बात नहीं है। मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मैं पार्टी के हिसाब से सोचने में विश्वास रखता हूं। मैं तो नीटू सिकरवार को करीब से जानता भी नहीं था, लेकिन मुझे लगा कि वे मजबूत उम्मीदवार हैं। उनको टिकट देना चाहिए। ग्वालियर में प्रवीण पाठक मजबूत उम्मीदवार हैं। तो पसंद, ना-पसंद की बात नहीं है। पार्टी हित में जो बात होती है। मैं उसको प्राथमिकता देता हूं।

सवाल- सिंधिया जी के जाने से आपकी सरकार गिर गई थी। अब गुना को लेकर रणनीति बनाई है?
जवाब – स्वाभाविक है कांग्रेस ने हर सीट के लिए रणनीति बनाई है। जवाबदारी के साथ मैंने कहा है कि चाहे ब्लॉक हो, विधानसभा हो, लोकसभा हो सभी स्तर पर कार्यक्रम मजबूती से लगे हैं। रणनीति अपनी मीडिया के सामने नहीं बताई जाती।

सवाल- गुना में अभी तक राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की सभाएं तय नहीं हुईं, क्या ये नेता गुना आएंगे?
जवाब – यह पार्टी और पार्टी का कैंडिडेट तय करता है। अगर आवश्यकता होगी, तो वहां भी आएंगे।

सवाल- INDI गठबंधन में दूसरे दलों के नेता जैसे अखिलेश यादव, लालू यादव एमपी में दौरे पर आएंगे?
जवाब – स्वाभाविक रूप से जब साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, तो जहां जिसकी जैसी आवश्यकता होगी, उसे बुलाएंगे।

सवाल- अरुण यादव को क्यों चुनाव नहीं लड़ाया गया?
जवाब – अरुण जी खुद चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्होंने खुद मंशा जाहिर की थी कि चाहे गुना हो या खंडवा हो। पार्टी का नेतृत्व चाहता था कि वह पार्टी की असेट हैं। उन्हें भविष्य में कहीं अच्छी जगह महत्व मिले। इस हिसाब से उन्हें रोका गया।

सवाल- क्या खजुराहो में बीएसपी ने भी आपसे समर्थन मांगा है?
जवाब – अभी चर्चाएं चल रही हैं, तो मुझे लगता है कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

सवाल- शहडोल में राहुल गांधी के हेलिकॉप्टर के लिए फ्यूल का इंतजाम नहीं हो पाया? जबकि इसकी तैयारियां और प्लानिंग तो पहले से होती है?
जवाब – अब इंसान हैं। इंसान से गलतियां होती हैं। इसे मिस मैनेजमेंट नहीं कह सकते।

सवाल- जब राहुल गांधी शहडोल में रुके, तो डिनर के दौरान समझौते वाली कोई बात हुई?
जवाब – जीतू पटवारी से नाराजगी नहीं है। हम दोनों साथ में जिलाध्यक्ष रहे हैं। दोनों में आत्मीय संबंध हैं। उस डेढ़ घंटे की मुलाकात में राहुल जी के साथ विवादों की बात नहीं हुई। पॉजिटिव बातें हुईं। हम दोनों ने अपने विचार रखे।

सवाल- क्या ये सच है कि इस चुनाव के पहले आप नीटू सिकरवार को ज्यादा नहीं जानते थे?
जवाब – मैं उन्हें व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानता था। हां, यह जानता था कि वे पहले विधायक रहे हैं, लेकिन लोकसभा का जो पूरा क्षेत्र है, उस क्षेत्र में जिस तरह से कई लोगों से बात हुई। संगठन के लोगों से बात हुई, पत्रकारों नेताओं से बात हुई। वहां से फीडबैक आया, सबकी जो राय थी, उसी हिसाब से मैंने अपनी राय रखी।

सवाल- जीतू पटवारी को अध्यक्ष बने 3 महीने हो चुके हैं। अब तक पीसीसी की टीम नहीं बन पाई। बिना सेना के चुनाव लड़ रहे?
जवाब – लोकसभा प्रभारी भी बनाए गए। विधानसभा प्रभारी भी बनाए गए। मुस्तैदी के साथ सभी मैदान में काम कर रहे हैं।

सवाल- धार के कैंडिडेट को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कैंडिडेट कमजोर हैं।
जवाब – पार्टी हर गतिविधि पर नजर रखती है। मेरा क्षेत्र है, तो मैं भी नजर बनाए हुए हूं।

सवाल- आपकी बुआ जी जिस तरह दिग्विजय सिंह से भिड़ती रहती थीं, उसी तरह आपके भी बयान आते रहे हैं। क्या अब सब कुछ सुलझ गया है?
जवाब – ऐसी कोई बात नहीं है। मैं कई बार चैनल्स के माध्यम से कह चुका हूं कि विचारों को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद कभी नहीं रहते।

सवाल- उमंग सिंघार कई बार कानूनी दांव-पेंच में उलझते रहे हैं, अब आगे कुछ ऐसा नहीं होगा?
जवाब – ये जीवन है। कभी ग्राफ सीधा नहीं होता। अप-डाउन होता रहता है। जो डेस्टिनी में लिखा है, वह होना है। मैं विश्वास रखता हूं कि अगर आपकी नीयत साफ है, तो आपके लिए ईश्वर रास्ते खोलता है। मैं कई लोगों को यह बात बोलता हूं कि जीवन में नीयत साफ होनी चाहिए। अगर नीयत साफ है, तो आप कितने भी बड़े गड्ढे में हों, आपका नुकसान हो जाए, लेकिन ईश्वर आपको निकाल लेगा। बाकी जो किस्मत में लिखा है, उसे कोई नहीं रोक सकता।

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