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जानवरों के खाने योग्य खाद्यान्न बांटने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कब तक कार्यवाही होगी

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति के किसानों पर हुए गोलीकांड की जांच करने के लिए लटेरी जांच आयोग का गठन किया था।जिसकी चिट्ठी गलत पते पर भेज देने के कारण लटेरी कांड की जांच शुरू नहीं हो सकी है ।आदिवासियों जनजातियों के लोगों पर हुई ज्यादतियों के प्रति अब प्रशासन भी कितनी निर्लज्जता पूर्वक उदासीन हो चुका है यह इस बात का प्रमाण है। जब आयोग के लिए नियुक्त जज के घर पर पत्र ही नहीं पहुंचेगा तो जांच कैसे होगी? क्या यही अनुसूचित जनजातियों के प्रति सरकार की संवेदना का रवैया है?


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया उपाध्याक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार अब तक अनुसूचित जनजाति वर्ग को राशन दुकानों के माध्यम से पोल्ट्री ग्रेड का चावल प्रदाय करने को नकारती रही है जिसे कांग्रेस पार्टी ने बार बार उठाया था। केंद्र सरकार ने उस खाद्यान्न को अपग्रेड करने के निर्देश दिये थे जिसका पालन नहीं हुआ।केंद्र सरकार ने 225 करोड़ का अनुदान इस आपराधिक लापरवाही के लिए रोककर मध्य प्रदेश सरकार के प्रशासन की इस कारगुजारी पर भी मुहर लगा दी है। करोड़ रुपये का जानवरों के खाने योग्य खाद्यान्न अनुसूचित जनजाति के गरीबों को प्रदान किया जाना करोड़ों आदिवासियों के साथ अन्याय पूर्ण है। सरकार को इस पर सफाई देनी चाहिए और प्रशासन में पूर्वाग्रह से ग्रस्त वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्यवाही कर न्याय का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। गुप्ता ने कहा कि सरकार बताए कि जांच आयोग का पत्र कब तक सही पते पर भेज दिया जाएगा और जानवरों के खाने योग्य खाद्यान्न बांटने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कब तक कार्यवाही होगी?

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