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आधी आबादी के लिए न सुविधाएं न सुरक्षा के इंतजाम

ग्वालियर – ग्वालियर शहर में आधी आबादी के लिए न तो पर्याप्त सुविधाएं हैं, न ही सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम। सरकार से लेकर प्रशासन के दावों के बीच महिलाओं को जरूर प्राथमिकता दी जा रही हैं, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। बाजारों में खरीदारी के लिए जाने वाली महिलाओं के लिए लेडीज टॉयलेट की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं। स्कूल, कॉलेज और कोचिंग जाने वाली छात्राओं के सुरक्षा के इंतजाम भी नाकाफी हैं।
अस्पतालों में महिलाओं के लिए डॉक्टरों की व्यवस्था भले ही अलग कर दी गई हो, लेकिन जांच के लिए उन्हें पुरुषों के साथ ही कतार में खड़ा होना पड़ता है। सुरक्षा की बात करें तो 14 माह में 363 महिला- बालिकाओं के साथ सार्वजनिक जगहों पर छेड़खानी की वारदातें सामने आ चुकी हैं। चुनाव में महिलाओं अपराध मुख्य मुद़्दा रहता है, लेकिन जीतने के बाद राजनीतिक दल आधी आबादी की बात करने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि महिलाओं को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है।

सिर्फ नाम की निर्भया: 2 में से 1 वैन खराब

शहर में बढ़ती छेड़खानी को रोकने के लिए शुरू की गई निर्भया की दो मोबाइल वैन में एक वैन कई दिनों से खराब है। अब सुरक्षा का जिम्मा एक वैन के हवाले है। इसमें भी एक महिला आरक्षक और एक चालक रहता है। निर्भया मोबाइल के पास रोज 12 से ज्यादा पॉइंट आते हैं। एक मोबाइल टीम को सभी जगह पहुंचना मुश्किल हो रहा है। एक समय में एक बार से ज्यादा शिकायत होने पर रियल टाइम में कई बार वैन नहीं पहुंच पाती है।

महिला टॉयलेट पर दुकानदारों का कब्जा

शहर में महिलाओं के लिए अलग से कोई शौचालय नहीं है। शहर का मुख्य व्यवसायिक स्थल महाराज बाड़ा। हॉकर्स कब्जा करे बैठे हैं। यहीं स्थिति टोपी बाजार, गांधी मार्केट की है। जीआरएमसी के डॉ. अजय पाल का कहना है कि ज्यादा देर तक टॉयलेट रोकने से महिलाओं में बड़ी बीमारी हो सकती है। वहीं इस संबंध में महापौर डॉ. शोभा सिकरवार का कहना है शहर के अंदर महिलाओं के िलए िपंक टॉयलेट बनाने का प्रावधान बजट में रखा है। इससे स्थिति सुधरेगी।

अस्पतालों में बुरी स्थिति

अंचल के सबसे बड़े अस्पताल न्यू जेएएच में महिलाओं को पुरुष मरीजों के साथ एक ही लाइन में लगना पड़ता है। यही स्थिति जिला अस्पताल मुरार में है। 460 करोड़ की लागत से हाल ही तैयार एक हजार बिस्तर के अस्पताल महिलाओं को टॉयलेट भी वहीं इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जिसमें पुरुष जाते हैं।

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