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रेत माफिया फिर दुस्साहसी, बंदूकों के साए में अवैध खनन

ग्रामीणों पर फायरिंग से भी नहीं चूकते

मुरैना – विधानसभा चुनाव के बाद से चंबल नदी से रेत का अवैध उत्खनन बढ़ता जा रहा है। जिले में राजस्थान तक के रेत माफिया अवैध उत्खनन कर रहे हैं। कईयों जगह बंदूकों के साए में चंबल के घाटों को खोखला किया जा रहा है। रेत माफिया का दुस्साहस इतना बढ़ गया है, कि शिकायत करने वाले और अवैध वाहनों के ट्रैक्टर-ट्राली के लिए रास्ता नहीं देने वालों पर गोलियां तक दागने से नहीं डर रहे।
गौरतलब है, कि एक महीने पहले मुख्य सचिव वीणा राणा ने मुरैना जिले में हो रहे रेत के अवैध उत्खनन पर नाराजगी जताते हुए इस पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए थे। मुख्य सचिव की नाराजगी के बाद मुरैना जिले को एसएएफ की एक कंपनी मिली, जिसे राजघाट व बरवासिन घाट पर तैनात कर दिया, इसके बाद इन घाटों से अवैध रेत के उत्खनन पर अंकुश है। लेकिन रेत माफिया ने दूसरे घाटों पर अंधाधुंध तरीके से अवैध उत्खनन शुरू कर दिया है।
चिन्नौनी भर्रा-करजौनी घाट, देवगढ़ घाट, कैमरा-केंथरी क्षेत्र में रेत माफिया बंदूकों के साए में अवैध उत्खनन कर रहे हैं। रेत उत्खनन को लेकर भर्रा-करजोनी घाट पर रेत माफियाओं के बीच बीते आठ दिन में तीन बार फायरिंग की घटना हुई है। शुक्रवार की शाम को गुढ़ा चंबल के युवक मनीष सिंह सिकरवार को रेत माफियाओं ने केवल इस बात पर गोली मार दी थी, क्योंकि मनीष सिंह ने अवैध रेत के ट्रैक्टर-ट्रालियों को अपने खेत से होकर निकलने से रोक दिया था। इससे पहले 29 जनवरी को कैलारस के खेड़ाकला में रेत माफियाओं के बीच ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, जिसमें छह से सात ट्रैक्टर-ट्रालियों के टायरों को गोलियों को फोड़ दिया गया था।
इस वारदात के दूसरे दिन चिन्नौनी व कैलारस पुलिस ने रेत माफियाओं के घर दबिश दी तो एक घर से 40 से 45 कारतूस और पांच बंदूकें मिली थीं। चार दिन पहले ही रेत के वाहनो को पकड़ने गई पुलिस टीम पर रेत माफिया ने पथराव कर फायरिंग तक कर दी और रेत के ट्रैक्टर-ट्राली को छुड़ाने का प्रयास किया, इसमें पुलिस ने जवाबी फायरिंग करके एक ट्रैक्टर-ट्राली के टायर फोड़ दिए तब एक ट्रैक्टर को पकड़ा था। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं रेत माफिया के दुस्साहस को बयां करने वाली हैं।
मुरैना शहर से लेकर नूराबाद तक लगने वाली रेत की मंडियां चंबल नदी से हो रहे अवैध रेत उत्खनन की गवाह हैं। मुरैना शहर के बड़ोखर क्षेत्र के अलावा अंबाह बायपास तिराहा पर हर रोज अवैध रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतारें दिखती हैं। हैरान करने वाला नजारा तो डीएफओ कार्यालय के पास दिखता है, जहां डीएफओ कार्यालय के पीछे बिस्मिल नगर से लेकर हाईवे किनारे तक अवैध रेत के ट्रैक्टर-ट्रालियों का जमावड़ा रोज दिखता है।
इतना ही नहीं डीएफओ कार्यालय के पीछे भी अवैध रेत का स्टाक लगा हुआ है। उधर बानमौर में नगर परिषद चौराहा के पास अवैध रेत की मंडी रोज सुबह से लग रही है। इन रेत की मंडियों के लिए रोज सुबह 5 बजे के करीब नेशनल हाईवे 44 पर अवैध रेत के ट्रैक्टर-ट्राली कतार लगाकर निकलते हैं। आधा घंटे में सैकड़ों की संख्या में रेत के वाहन अंधी रफ्तार में निकलते देखे जा सकते हैं।
रेत के अवैध उत्खनन पर कार्रवाई करने के नाम पर जिले के कुछ थानों ने रेत के स्टाक नष्ट करने की कार्रवाई मुख्य सचिव की नाराजगी के बाद की थी। इस दौरान चंबल नदी किनारे के गांवों में सैकड़ों ट्राली रेत को मिट्टी में मिलाकर नष्ट करवाया, लेकिन यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ताजा हालत यह है, कि नगरा, पोरसा से लेकर अंबाह, मुरैना, जौरा, कैलारस, सबलगढ़ क्षेत्र में चंबल नदी किनारे के कई घाटों और बीहड़ क्षेत्र के गांवों के आसपास जगह-जगह रेत के स्टाक देखे जा सकते हैं।

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