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एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव का दौर जारी
गांधी, गोडसे गुजरात दंगे से जुड़ी अनेक बातों को हटाया

सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स चैप्टर भी नहीं पढ़ाया जाएगा

एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव का दौर जारी है। बदलाव की तासीर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से मिलती जुलती है। बदलाव का मकसद किसी एक विचारधारा को प्रोत्साहित करता नजर आ रहा है। इस बदलाव का व्यापक विरोध हो रहा है क्योंकि बदलने वालों ने महात्मा गांधी जैसी हस्ती से जुड़ी जानकारियों में भी तब्दीली कर दी है।

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की किताब से महात्मा गांधी, नाथूराम गोडसे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी कुछ जानकारियों को हटा दिया है। जून 2022 में एनसीईआरटी ने एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि उनकी किताबों से क्या हटाया जाएगा और क्या जोड़ा जाएगा।
अब एनसीईआरटी पर आरोप लगा है कि गांधी को लेकर कुछ ऐसी बातें भी हटा दी गईं जो जून में जारी लिस्ट में थी ही नहीं। नई किताबें बाजारों में आ गई हैं। एनसीईआरटी के मुताबिक, नया सिलेबस एकेडमिक सेशन 2023-24 से ही लागू हो रहा है। बदलाव के साथ नई किताबें बाजार में आ गई हैं।

हिन्दी की बुक से गजल और गीत भी हटाए गए

एनसीईआरटी ने हिन्दी के सिलेबस में भी कुछ बदलाव किए हैं। इनमें हिंदी आरोह भाग-2 की किताब से फिराक गोरखपुरी की गजल और अंतरा भाग दो से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का गीत गाने दो मुझे को हटा दिया है। इसके अलावा विष्णु खरे की एक काम और सत्य को भी हटाया गया है।

सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स चैप्टर भी नहीं पढ़ाया जाएगा

मौजूदा सेशन से होने जा रहे बदलाव केवल 12वीं क्लास तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि 10वीं और 11वीं क्लास की बुक्स से भी कई चैप्टर हटाए गए हैं। 11वीं की बुक ‘थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री’ से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स’, ‘संस्कृतियों का टकराव’ और ‘द इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन’ जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं। इसी तरह 10वीं की बुक लोकतांत्रिक राजनीति-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे चैप्टर हटाए गए हैं।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एनसीईआरटी के इस फैसले की निंदा की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए, जब बीजेपी केंद्र में सत्ता में आई थी

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