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कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे में आने वाले मकानों पर टूटने का खतरा

शिवराज ने यह घोषणा किस आधार पर की कि ”मेरे सी.एम. रहते कोई माई का लाल आपको नहीं हटायेगा

भोपाल – भोपाल के नागरिक सुभाष सी. पाण्डे की एक याचिका पर दिनांक 20.08.2014 को एनजीटी ने आदेश किया है कि कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे क्षेत्र को नो-कंस्ट्रक्शन जोन बनाया जावे। इससे कलियासोत नदी के पास बने मकानों के रहवासियों में मकान टूटने की आशंका पैदा हो गयी है, जिस पर नागरिकों का एक प्रतिनिधि मण्डल ने जनवरी, 2015 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट की। इस प्रतिनिधि मण्डल को माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आश्वस्त किया कि “वे घबनाए नहीं। किसी का घर टूटने नहीं दिया जावेगा और न ही किसी निर्दोष के साथ अन्याय होगा। इसके लिए विधि सम्मत रास्ता निकाला जावेगा।“ इस आश्वासन के कुछ दिनों बाद 26 जनवरी, 2015 को माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कोलार रोड में एक रोड शो में जनसमूह के बीच घोषणा की कि ”मेरे सी.एम. रहते कोई माई का लाल आपको नहीं हटायेगा।“ परन्तु 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी माननीय मुख्यमंत्री ने इन नागरिकों के मकान बचाने कोई विधि सम्मत रास्ता निकालने कोई गम्भीर प्रयास नहीं किये। बल्कि भाजपा शासन ने जनता को भ्रम में रखा एवं दोहरी नीति अपनायी। जनता के बीच कहा कि ”आपके मकान टूटने नहीं दिये जावेंगे।“ परन्तु एनजीटी कोर्ट में कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे के निर्माणों को हटाने का शपथ-पत्र पेश किया एवं शासन के अधिकारियों ने एनजीटी कोर्ट में सरकार एवं जनता का पक्ष रखने में गंभीरता नहीं दिखायी। जिसके कारण शासन के दो अधिकारियों नीरज आनंद निखार, मुख्य नगर निवेशक, नगर पालिक निगम, भोपाल एवं मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर ब्रजेश शर्मा को उदासीनता बरतने के नोटिस जारी किये गये।
हमारा आरोप है कि अगर माननीय मुख्यमंत्री एवं भाजपा शासन के नेता इस जनसमस्या के प्रति अगर जागरूक एवं सतर्क रहते तो सरकारी अधिकारी शासन एवं जनता का पक्ष रखने में उदासीनता नहीं बरतते।
वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा शासन कलियासोत नदी किनारे बने मकानों के नागरिकों को वर्तमान परिस्थितियों में क्या आश्वासन देती है, यह माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को स्पष्ट करना चाहिए।
सम्पूर्ण मामला इस प्रकार है कि:-
भोपाल के नागरिक श्री सुभाष सी पाण्डे ने एनजीटी में एक याचिका एप्लीकेशन 135 of 2014 (CZ) दायर की, जिसमें कहा गया कि मास्टर प्लाट 2005 में उल्लेखित कलियासोत के 33 मीटर तक कोई निर्माण नहीं होगा। इस याचिका में एनजीटी के आदेष दिनांक 20.08.2014 एवं 19.07.2021 को शासन ने गंभीरता से नहीं लिया, जिस पर एनजीटी कोर्ट ने सरकार को मास्टर प्लान 2005 में उल्लेखित कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे में हुए निर्माण पर कार्यवाही करने के लिए शपथ-पत्र प्रस्तुत करने का प्रस्तुत करने का आदेष दिया। इस पर मध्यप्रदेष शासन के अर्बन डेव्हल्पमेंट एवं हाउसिंग विभाग के प्रमुख सचिव श्री नीरज मण्डलोई ने कलियासोत के 33 मीटर नो-कंस्ट्रक्षन जोन का पालन करने का शपथ-पत्र दिया।
जिस पर एनजीटी कोर्ट ने दिनांक 11.08.2023 को आदेष पारित किया कि ”कलियासोत नदी के 33 मीटर नो-कंस्ट्रक्षन जोन का पालन करने के लिए शासन दिसम्बर अंत तक अपनी कार्यवाही पूर्ण कर दिनांक 15.01.2024 को पानल प्रतिवेदन प्रस्तुत करे।“ माननीय एनजीटी कोर्ट के इस आदेष के पारित होने के 2-3 दिन के बाद सरकारी वकील श्री सचिन वर्मा ने अपना स्तीफा दे दिया एवं मध्यप्रदेष शासन के उपसचिव श्री वी.एस. चौधरी कोलसानी ने दिनांक 04.09.2023 को श्री नीरज आनंद निखार, मुख्य नगर निवेषक, नगर पालिक निगम, भोपाल को सरकारी पक्ष में उदासीनता के कारण नोटिस जारी किया। इस प्रकार का एक कारण बताओ नोटिस मध्यप्रदेष प्रदूषण निवारण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर श्री ब्रजेष शर्मा को जारी किया।
हमारा आरोप:-
(1) मध्यप्रदेश शासन के उदासीन रवैये के कारण कलियासोत डेम से लेकर भोजपुर तक 36 किलोमीटर क्षेत्र के हजारों मकानों पर टूटने का खतरा बना हुआ है, जिससे बहुत से नागरिक बेघकर हो जावेंगे।
(2) जिन नागरिकों के पास शासकीय विभाग से नगर पालिक, नगर निगम, ग्राम पंचायत से मकान बनाने की विधिवत् अनुमति है, यह नागरिक सम्पत्तिकर जमा करते हैं, इन नागरिकों को कैसे अतिक्रमणकारी माना जावेगा। इस बावत् शासन ने विधि अनुसार क्या नीति बनायी है?
(3) जिन नागरिकों को सभी शासकीय अनुमतियों के बाद मिली अनुमतियों के आधार पर बैंक लोन प्राप्त हुए। इन मकानों के टूटने पर बैंक लोन चुकाने की जवाबदारी किसकी होगी? इस बावत् शासन ने क्या नीति बनायी है?
(4) माननीय मुख्यमंत्री श्री षिवराज सिंह चौहा

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