जब एक बेबस पिता सिस्टम की बेरुखी के चलते बच्ची की मौत के बाद शव को बाइक पर लादकर घर की ओर निकल पड़ा Uncategorized by mpeditor - May 16, 2023May 16, 20230 मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का मामला, अस्पताल ने नहीं दिया शव वाहन शहडोल – मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में हुई एक घटना ने मानवता को फिर शर्मसार कर दिया है। यहां एक बेबस पिता सिस्टम की बेरुखी के चलते इलाज के दौरान बच्ची की मौत के बाद उसके शव को बाइक पर लादकर घर की ओर निकल पड़ा। अस्पताल में उसे शव वाहन नहीं मिला। मामले की जानकरी लगते ही शहडोल की कलेक्टर मौके पर पहुंची। उन्होंने पिता को शव वाहन उपलब्ध कराया। आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में हालांकि आज भी यह एक आम समस्या है। कभी खाट, कभी बाइक, कभी रिक्शा तो कभी शव को हाथ में लेकर जाने के मामले सामने आते रहते हैं।शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के लक्षमण सिंह गोड़ ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी गोड़ को इलाज के लिए 12 मई को जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। माधुरी सिकल सेल बीमारी से पीड़ित थी। उसका दो दिन तक जिला अस्पताल में इलाज चलता रहा लेकिन माधुरी की जान नहीं बच सकी। माधुरी की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने शव को अपने घर तक ले जाने के लिए शव वाहन करने की कोशिश कि लेकिन उन्हें सहायता नहीं मिली।पिता ने जिला अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन मांगा तो जवाब मिला कि 15 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा। आपको खुद इसका इंतजाम करना पड़ेगा। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से परिजन निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा सकते थे। इसलिए उन्होंने बाइक पर शव लादकर घर ले जाने का निर्णय लिया।परिजन शव को मोटरसाइकिल पर रखकर घर के लिए निकल पड़े। शहडोल शहर के बीच से शव को मोटर साइकिल पर ले जाने की सूचना कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली। कलेक्टर परिजनों के पास पहुंची और सिविल सर्जन को तत्काल शव वाहन भेजने के निर्देश दिए। सिविल सर्जन डॉ जी एस परिहार भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को शव वाहन उपलब्ध करा कर उन्हें उनके गांव भेजा गया।आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में आये दिन इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। हंगामा होने के बाद प्रशासन हर बार व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा भी करता है, लेकिन लाचार गरीबों को शव वाहन की सुविधा नहीं मिल पाती है।