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मध्यप्रदेश में नहीं है राज्य महिला आयोग, 4 साल से बैंच ही नहीं लगी, 13 हजार महिलाओं को न्याय का इंतजार

भोपाल – महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर न्याय दिलाने वाले राज्य महिला आयोग की स्थिति अजीब है। यहां गारंटी से आपकी शिकायत ले ली जाएगी, लेकिन इस पर सुनवाई कब होगी, यह तो खुद आयोग को भी नहीं पता है। क्योंकि यहां 2019 के बाद से अब तक कोई बैंच नहीं लगी है। क्योंकि यहां भी विवाद कम नहीं है। न अध्यक्ष है और न ही सदस्य… ऐसे में न्याय कब तक मिलेगा, यह कहना मुश्किल है। इसके चलते 4 साल से प्रदेश की करीब 13 हजार महिलाओं को न्याय के लिए सुनवाई का इंतजार है। पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 4079 महिलाओं ने आयोग में शिकायत की। इसमें सबसे ज्यादा 705 शिकायतें महिला प्रताड़ना, दैहिक शोषण और देह व्यापार की हैं।

बीते साल दहेज प्रताड़ना की 501 शिकायतें पहुंचीं

साल 2022 में आयोग में कुल 4079 शिकायतें पहुंची। इसका खुलासा महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रशासकीय प्रतिवेदन में हुआ है। इसमें सामने आया कि महिला देह व्यापार/दैहिक शोषण के बाद दूसरे नंबर पर दहेज प्रताड़ना की 501 शिकायतें आई हैं। कार्यस्थल प्रताड़ना, मानसिक प्रताड़ना और यौन शोषण की 355 शिकायतें रहीं।

2019 से नहीं हुई सुनवाई
आयोग पहुंचने वाले प्रकरणों की सुनवाई और बैंच की प्रक्रिया दोनों ही मार्च 2019 से बंद है। महिलाएं भी शिकायत करती हैं, लेकिन सिर्फ आवेदन लेने के बाद उन्हें चलता कर दिया जाता है। 2019 से दिसंबर 2022 तक कुल 13 हजार से ज्यादा आवेदन जमा हो चुके हैं। इन्हें कलेक्टर, एसपी और संबंधित विभाग को भेजा गया। इनमें से भी आधे में रिपोर्ट वापस आ गई है।, लेकिन उन पर भी सुनवाई नहीं हुई है। 2022 में प्रदेश में महिलाओं की खरीद-फरोख के कुल 14 मामलों में एफआईआर हुई। इनमें से नीमच, इंदौर, मुरैना व ग्वालियर में (2-2) और रतलाम, खंडवा, बुरहानपुर, छतरपुर, मंदसौर आदि शामिल हैं।

मामला अभी भी कोर्ट में
मार्च 2019 में तत्कालीन अध्यक्ष लता वानखेड़े का कार्यकाल समाप्त हो गया था। कांग्रेस सरकार आने के बाद 16 मार्च 2020 को शोभा ओझा को अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद सुनवाई भी नहीं हो सकी। भाजपा सरकार आते ही मामला विवादों में उलझा। बाद में शोभा ने आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। अब भी मामला कोर्ट में है। फैसला आना शेष है।

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