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वाह रे मप्र की भाजपा सरकार, जिसे वन और वन संरक्षण की याद आने में 18 साल लग गये! – कमलनाथ

‘वन की बात’ नाम से भी एक कार्यक्रम होना चाहिए – कमलनाथ

भोपाल – प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है कि ‘मुग्धमंत्री’ जी ने अपने प्रवचन रूपी भाषणों में वन पर जो व्याख्यान दिया है, उसमें मानवीय पक्ष अर्थात आदिवासी संदर्भ शून्य-सा था, जबकि वनों का प्राकृतिक संरक्षण आदिवासी जिस तरह कर सकते हैं, उस तरह कोई सरकारी विभाग या सीएसआर के छद्म रूप में कोई कॉरपोरेट घराना नहीं।
कमलनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा है कि दरअसल शारीरिक मुद्राओं के रूप जितने अधिक नाटकीय होते हैं, उनमें सच उतना ही कम होता है। सच तो ये है कि भाजपा ने वनों को पिछले दरवाज़े से अपने लोगों के लिए खोल दिया है। ये लोग तार्किक दोहन की जगह बेरहमी से वनों का शोषण कर रहे हैं। जिससे वन सम्पदा और वन्यजीवों के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा वनों का भी राजनीतिकरण कर रही है। जिससे वनों और समीपस्थ ग्रामों के मध्य सदियों पुराना परस्परता का संबंध सियासी साज़िशों का शिकार हो रहा है। भाजपा से आग्रह है कि कम-से-कम वनों की नैसर्गिकता को तो दूषित व संक्रमित न करें और वनों के वातावरण को स्वस्थ और स्वच्छ रहने दें।
वन से संबंधित लोगों के लिए ‘चरण पादुका’ किसी सरकारी योजना के अहसान का नाम नहीं बल्कि कृतज्ञता भरे मन का सच्चा भाव होना चाहिए!

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