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शिवराज सिंह चौहान घोटालों के ब्रांड एंबेसडर हैं: जीतू पटवारी

शिवराज सरकार अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है, अब जनता खुलकर बोल रही है मामा का ड्रामा चल रहा है – जीतू पटवारी

भोपाल – किसी भी सरकार के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता बनाए रखना होती है, शिवराज सरकार विश्वसनीयता खो चुकी है, कोई भी सरकार जब चयन में धांधली पर उतर आए ये उसका सबसे निकृष्टतम स्तर होता है, कोई भी विभाग ऐसा नहीं था जहा बेइमानी वा भ्रष्टाचार करने में शिवराज सरकार ने कोई कसर छोड़ी हो। प्रदेश की जनता बोल रही है कि एक तरफ तो मामा (शिवराज) का ड्रामा चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ 50 प्रतिशत कमीशन दो और किसी भी विभाग में नौकरी पाओं का कारनामा चल रहा है। मुझे अभी कुछ विधार्थियांे का प्रतिनिधिमंडल मिलने आया था, जिन्होंने बात ही बात में कहा कि शिवराज घोटालों के ब्रांड एंबेसडर है क्योंकि शिवराज जी ने ऐसा कोई सगा नहीं जिसको उन्होंने ठगा नहीं। भांजी और भांजों को भी इन्होने नही छोड़ा, इनको तो छोड़ देते, उन पर तो रहम करते। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित किया।
श्री पटवारी ने कहा कि सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि, शिवराज जी जिस विभाग के मुखिया होते हैं, उसी विभाग में घोटाले क्यों होते हैं।
श्री पटवारी ने कहा कि मैं धन्यवाद देना चाहूंगा शिवराज सिहं जी को कि उन्होंने दबी जुबान मे स्वीकार किया कि पटवारी परीक्षा में घोटाला हुआ है और उन्होंने कर्मचारी चयन मंडल द्वारा समूह-2 और उपसमूह-4 एवं पटवारी भर्ती परीक्षा के परीक्षा परिणाम में एक सेंटर के परिणाम पर संदेह व्यक्त किया करते हुये परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगा दी। पटवारी ने कहा कि मात्र एक सेंटर की जांच कराने की बात अखबारों में जाहिर हुई है, यह उचित नहीं है, यह जांच के नाम पर धोखा है। पूरी परीक्षा की जांच होना चाहिए।
श्री पटवारी ने कहा कि व्यापमं में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिस प्रकार से सफल विद्यार्थियों की जांच की गई, उसी पैटर्न पर पटवारी परीक्षा के सफल अभ्यार्थियों की जांच होना चाहिए। जितने अभ्यर्थी सफल हुए हैं, उनके सही अंक और गलत अंक के क्रमांक निकाल कर देखना चाहिए कि कहीं अधिकांश विद्यार्थियों के सही तथा गलत क्रमांक 90 प्रतिशत अगर समान हैं तो उसे रोल नंबर सेटिंग मानकर उनकी परीक्षा को व्यवसायिक परीक्षा मंडल के परीक्षा अधिनियम 3 (4) के तहत निरस्त किया जाना चाहिए। तभी इस घोटाले को उजागर किया जाएगा। एक केन्द्र की एक पाली की जांच से घोटाला उजागर नहीं होगा, वह तो और दबाने का काम हो जायगा और शिवराज जी, इसे दबाने का ही काम कर रहे हैं, क्योंकि यह विभाग उनका है, जिम्मेदारी उनकी है, उन्हें तो नैतिकता के आधार पर पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए लेकिन त्याग पत्र दें तो कैसे, कोई दूसरा भाजपा को चंदा देने वाला राष्ट्रीय नेताओं को मिल भी नहीं रहा है।

श्री पटवारी ने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा दिलाने वाली इस कंपनी ने मध्यप्रदेश में वर्तमान पटवारी परीक्षा सहित सत्रह परीक्षा आयोजित की है, जिसमें से अधिकांश परीक्षा में निजी स्तर पर घोटाले कर प्रकरण दर्ज हुए हैं। पटवारी परीक्षा में तो भोपाल में 12 से 20 लाख में पेपर बेचने वाले को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसके बाद भी शिवराज जी ने कोई कदम नहीं उठाया। उसी प्रकार जैसे 2009 में व्यापम घोटाला उजागर हो गया था, शिवराज जी उस समय भी विभाग के मुखिया थे, उन्होंने कमेटी बनाई और कमेटी बनाने के बाद घोटाला बढ़ कर 10 गुना हो गया। यानि साफ है कि घोटाले को शिवराज सरकार का सरंक्षण है, तभी तो व्यापम घोटाले को जांच को बंद कर दिया गया है।


श्री पटवारी ने कहा कि 2007 से 2011 की पीएमटी परीक्षा में हुए जमकर घोटाले को लेकर व्यापम ने एसटीएफ को 1223 विद्यार्थियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए 3 बार एसटीएफ को पत्र लिखे, लेकिन एसटीएफ ने शिवराज सरकार के इशारे पर प्रकरण दर्ज करने से इंकार कर दिया, कि इसमें पुष्टिकरण साक्षय नहीं है, जबकि यह जांच सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फार्मूले से की गई थी, और उसी की गई जांच के आधार पर 2012 और 2013 मे 1856 पर प्रकरण दर्ज किए गए। व्यापम के तात्कालिक एग्जाम कंट्रोलर सुधीर भदोरिया को बचाया जा सके इसलिए 2007 से लेकर 2011 पीएमटी परीक्षा में प्रकरण दर्ज नहीं किया जा रहा है। क्या कारण है कि व्यापमं ने परीक्षा आयोजित करने के लिए 2017-18 से चार कंपनियां बदली, फिर भी घोटालांे पर अंकुश नहीं लगा सकी है शिवराज सरकार?


श्री पटवारी ने कहा कि पटवारी परीक्षा का घोटाला व्यापमं घोटाले की तर्ज पर किया गया एक आर्गनाइज रैकेट है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन कैंडिडेट को व्यापमं द्वारा जारी आंसरसीट पहले ही मिल गई थी। रैकेटियर और दलालों ने मिलकर 4000 से अधिक लोगों से 12 से 20 लाख रुपए रिश्वत लेकर चयन करवाया है, 500 करोड़ से 600 करोड़ के बीच की बंदरबांट हुई है। इसमें शिवराज सरकार से लेकर कई अधिकारियों की भागीदारी होने की आशंका है। पटवारी परीक्षा की बात ही नही है, चाहे कोई भी परीक्षा हो उसमें घोटाला शिवराज सरकार का संगठित व्यापार हो गया है। बेरोजगार होनहार युवा के हक को छीन कर, उसे बेचा जा रहा है और होनहार को तड़प-तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है।


श्री पटवारी ने कहा कि कृषि विस्तार अधिकारी, एनएचएम नर्स-सुपरवाइजर, शहडोल यूनिवर्सिटी भर्ती, विक्रम विश्वविद्यालय पीएचडी परीक्षा, शिक्षक चयन परीक्षा, पुलिस कांस्टेबल परीक्षा, जेल प्रहरी, फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर परीक्षा, माखनलाल चतुर्वेदी मे भर्ती, विधानसभा में भर्ती, शासकीय कॉलेजों में संविदा शिक्षक का चयन, यह तो ताजा 2020 के बाद के आंकड़े हैं, अगर 18 साल की सूची बनाएं, तो महीनांे लग जायेंगे। वहीं जेल प्रहरी, कृषि यांत्रिकी की भर्ती में भी फर्जीवाड़ा हुआ है, इस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई, जो साफ्टवेयर कंपनियां पेपर बनाती है, वह अन्य कंपनी को कैसे दे देती हैं, उन पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। वहीं भाजपा विधायक की कॉलेज को राजसात कर वहां बुलडोजर चलाया जाये।

परीक्षा में घोटाला के अलावा बेरोजगारों से जमकर लूट की जा रही है। 31 मार्च 2023 की स्थिति में व्यापमं के पास 729 करोड़ की पूंजी है। जिसकी एफडीआर, बैंक में जमा किए गए हैं। उसके बाद भी बेरोजगारों से 500 से 1200 रू. तक की फीस की लूट की जा रही है, 6 जनवरी 2023 से 15 जून 2023 तक 6 परीक्षा आयोजित की गईं, जिसमें बेरोजगारों से 107 करोड रुपए लिए गए और यह पैसा लुटाया जा रहा है, ऑनलाइन परीक्षा करने वाली कम्पनीयों को, शासकीय संस्था को दान देने में, सेडमैप को कर्मचारी देने में, विज्ञापन में, ऑडिटर को फीस देने में। शिवराजसिंह को यह समझना चाहिए कि वे भाजपा से जुडे़ चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए लाखों प्रतिभाशाली युवाआंे का भविष्य क्यों खराब कर रहे हैं।


ऑनलाइन परीक्षा देने वाले प्रति विद्यार्थी को पहले 247 रू दिए जाते थे तथा जो विद्यार्थी परीक्षा में शामिल नही होते थे उनकी फीस भी एजेंसी को दी जाती थी, पिछले 15 साल में 2 करोड़ 21 लाख युवाओं ने आवेदन किया और 35 लाख परीक्षा में शामिल नहीं हुए, उनकी भी फीस ऑनलाइन परीक्षा वालों को लुटा दी गई।
एमपीईएसबी, जिसे पहले व्यापमं के नाम से जाना जाता था और 2013-14 में मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाआंे मंे हुई धांधली के लिए कुख्यात है। बीते दस वालों में तीन बार इसका नाम बदला गया।
पिछले 7 साल में 71 करोड़ रूपये व्यापमं ने फिजूल में बाटे, जिसमें सैडमेप को 9 करोड रुपए कर्माचारियों के लिए, ऑडिटर की फीस के 13 करोड रू., विज्ञापन में 8 करोड रुपए लुटाये गये, और भाजपा का अड्डा बन गया आरजीपीवी को 41 करोड रू. का दान दिया गया। बेरोजगारों का पैसा बेइंतहा लुटाया जा रहा है।


अभी तो शिवराज सरकार सिर्फ एक सेंटर के एक सत्र की जांच की बात कर रही है। जबकि परीक्षा तो 71 सत्र (पाली) में हुई थी।

पटवारी ने मांग की है:-

  1. सभी पाली में हुई परीक्षा में सफल विद्यार्थियों की जांच करनी चाहिए।
  2. सफल विद्यार्थी गण की ओएमआर शीट व आंसर शीट की प्रतियां जारी की जाए।
  3. पीएससी की तरह अब सभी परीक्षा ऑफलाइन करवाई जाए
  4. कमलनाथ सरकार ने 7 सितंबर 2019 को व्यापमं घोटाले की जांच प्रारंभ की थी, उसे क्यों रोक दिया गया, उसे फिर शुरू कराया जाये।
  5. 2015 के बाद हुई भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई से जांच कराई जाए
  6. इस परीक्षा को रद्द कर विद्यार्थियों की फीस वापस की जाए, साथ ही उनको विभिन्न सेंटर पर आने-जाने रुकने खाने में जो खर्चा हुआ उसमें हर्जाने के तौर पर कुछ राशि तय कर उन्हें दी जाए।
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