कैट ने राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति पर डीपीआईआईटी के कदम का किया स्वागत business by mpeditor - December 26, 2022December 26, 20220 नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स कैट ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति को लेकर उठाए गए कदम का स्वागत किया है। दरअसल, डीपीआईआईटी ने राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति को लेकर सरकार के कुछ विभाग और मंत्रालयों से अपने-अपने विचार रखने की मांग की है। कारोबारी संगठन कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि डीपीआईआईटी के इस कदम से देश के खुदरा व्यापार में बढ़ोतरी होगी। खंडेलवाल ने कहा कि डीपीआईआईटी के पॉलिसी ड्राफ्ट में एक विशिष्ट प्रावधान होना चाहिए, जिसके तहत केवल रिटेल व्यापार के 20 फीसदी हिस्से को ही ऑनलाइन बेचे जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी को लागू करने से पहले व्यापारियों को विश्वास में लिया जाना बेहद जरूरी है। कैट महामंत्री ने डीपीआईआईटी के राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति ड्राफ्ट को विभिन्न मंत्रालयों को भेजे जाने के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से भारत के खुदरा व्यापार में बढ़ोतरी होगी। कैट लंबे समय से इस मांग को हर फोरम पर लगातार उठाता रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय रिटेल बाजार सालाना 130 लाख करोड़ रुपये का है, जो हर साल 10 फीसदी बढ़ता है लेकिन यह दुर्भाग्य है कि भारत में अर्थव्यवस्था के सभी वर्गों के लिए मंत्रालय और पॉलिसी है जबकि देश में खुदरा व्यापार के लिए न कोई मंत्रालय है और न कोई पालिसी। खंडेलवाल ने आगे कहा कि राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए एक बूस्टर साबित होगी लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि देश के रिटेल व्यापार में लगभग 80 फीसदी कारोबार पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं अर्थात गैर-कॉर्पोरेट खुदरा क्षेत्र का है जबकि कॉर्पोरेट खुदरा का लगभग 10 फीसदी, ई-कॉमर्स का करीब 7 फीसदी और प्रत्यक्ष बिक्री का लगभग 3 फीसदी हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स नीति और नियमों के अभाव में नेशनल ट्रेड पालिसी एक अधूरी कवायद साबित होगी, जो केवल आंशिक रूप से लाभकारी होगी। उन्होंने कहा कि रिटेल व्यापार में चार वर्ग कॉरपोरेट रिटेल, गैर-कॉरपोरेट रिटेल, ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग है। इसलिए एक सशक्त एवं सभी मायनों में पूर्ण नेशनल रिटेल ट्रेड पॉलिसी लागू होनी चाहिए, जिसके अंतर्गत सभी चारों वर्ग आपसी सहभागिता के साथ काम कर सकें और एक-दूसरे के व्यापार को हानि न पहुंचाएं। खंडेलवाल ने कहा कि कैट ने पूर्व में नेशनल ट्रेड पॉलिसी में शामिल करने के लिए डीपीआईआईटी को कुछ सुझाव भेजे थे, जिसमें भारत में रिटेल व्यापार करने के लिए परिभाषित मापदंड रखने का सुझाव दिया गया था।