दलित सिंगल मदर की बेटी को एडमिशन नहीं दे रहे स्कूल, पढ़ाई पर पड़ रहा Uncategorized by mpeditor - April 13, 2024April 13, 20240 दलित महिला अब प्रशासनिक दमन का शिकार भोपाल – पुरुष प्रधान समाज से पीड़ित एक दलित महिला अब प्रशासनिक दमन का शिकार हो रही है। महिला का दलित होना और इसके साथ जुड़ी सिंगल मदर की तोहमत उसकी बेटी की शिक्षा की बांधा बनी हुई है। अपनी बेटी की शिक्षा के लिए वह यहां भटक रही है, लेकिन तमाम जिम्मेदारों को शिकायत के बाद भी उसको कहीं भी न्याय नहीं मिल पा रहा है।किस्सा रायसेन जिले के गैरतगंज में रहने वाली दलित महिला सुनीता आर्या की है। समाज की बदली हुई नजरों का असर है कि करीब नौ साल की हो चुकी उसकी बेटी को कोई सरकारी या निजी स्कूल एडमिशन देने को तैयार नहीं है। गत वर्ष सुनीता ने अपनी बेटी को गैरतगंज के गुरुकुल इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन के लिए प्रयास किया। लेकिन स्कूल ने सीट्स फुल हो जाने का हवाला देते हुए एडमिशन देने से इंकार कर दिया। सुनीता आर्या ने इस बार जबलपुर के प्रतिभा स्थली ज्ञानोदय विद्यालय का रुख किया। लेकिन इस बार भी उसके हाथ निराशा ही लगी। ज्ञानोदय ने भी सुनीता की बेटी को एडमिशन देने से टालमटोल से की गई शुरुआत को इनकार करने तक लाकर छोड़ दिया। पहले छली गई सुनीता, अब बार-बार छली जा रही साल 2010 में सुनीता की मुलाकात मनीष जैन से हुई। दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे। इसलिए दोनों ने साथ रहने का फैसला किया। भोपाल में लिव इन के दौरान सुनीता प्रग्नेंट हुई, लेकिन मनीष यह कहते हुए छोड़ गया कि उसकी कोख में पल रहा बच्चा उसका नहीं है। सुनीता ने जनवरी 2015 में बेटी को जन्म दिया। मनीष जैन ने सुनीता पर केस किया कि यह बेटी उसकी नहीं है। साथ ही उस पर ब्लैकमेल करने का आरोप भी लगाया। सुनीता ने अपनी बच्ची को पहचान दिलाने के लिए कोर्ट में संघर्ष किया। डीएनए के आधार पर कोर्ट ने माना कि यह बेटी जैविक रूप से सुनीता और मनीष की ही है। लेकिन अब इतने सालों बाद सुनीता की बेटी को किसी भी स्कूल में एडमिशन नहीं दिया जा रहा है, जिसकी स्पष्ट वजह सुनीता का सिंगल मदर होना है। …और बदल गया स्कूल का नजरिया सुनीता अपनी बेटी के एडमिशन के लिए गैरतगंज स्थित गुरुकुल एक्सीलेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल गई थीं। उन्हें बताया गया कि बच्चे को कक्षा एक में प्रवेश मिल जाएगा। उन्हें स्कूल की फीस संबंधित डॉक्यूमेंट के साथ जमा किए जाने को कहा गया। उन दस्तावेज़ों की सूची में बच्चे के पिता के बारे में विवरण शामिल थे। उन्होंने स्कूल को बताया कि वह एक अकेली मां हैं और वह अनुसूचित जाति से आती हैं। सुनीता ने बताया कि जैसे ही उसने बेटी के पिता और अपनी जाति का खुलासा किया, उनका रवैया बदल गया। मुझे अगले दिन आने के लिए कहा गया। अगले दिन जब सुनीता स्कूल गईं तो उन्हें बताया गया कि स्कूल की सभी सीटें भरी हुई हैं। एडमिशन नहीं मिल पाएगा, जबकि एक दिन पहले तक उनकी बेटी को एडमिशन दिया जा रहा था। सुनीता बताती हैं कि वे स्कूल के निदेशक अनिल माहेश्वरी से मिली तो उन्होंने उससे कहा कि हम ‘ऐसे माता-पिता’ के बच्चों को अपने स्कूल में दाखिला नहीं दे सकते। शिकायतें कई, कार्रवाई शून्य सुनीता ने अपनी बेटी के एडमिशन और उसके अधिकारों के लिए बाल आयोग, कलेक्टर, कमिश्नर महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों सहित संबंधित विभागों को शिकायत की है। सुनीता का कहना है कि वे बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की सदस्य रहीं हैं, जिसका कार्यकाल बीते साल ही खत्म हुआ है। सुनीता ने बताया कि वे अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए भटक रहीं हैं। अधिकारी बात सुनने के बाद कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। सुनीता ने अपने शिकायती पत्र में जातिगत भेदभाव और अधिकारों से वंचित रखने का आरोप लगाया है। पढ़ाई पर पड़ रहा असर सुनीता आर्य ने बताया कि उनकी बेटी कक्षा एक तक अंग्रेजी माध्यम सीबीएसई से पढ़ी है। लेकिन जब उन्हें किसी दूसरे स्कूल में दाखिला नहीं मिला तो बेटी का एडमिशन हिंदी माध्यम स्कूल में करा दिया। जबलपुर में जैन समाज द्वारा संचालित प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यालय में उन्होंने बेटी को कक्षा चार में प्रवेश देने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। बदले सुर सबके इस मामले में मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि आयोग को सुनीता आर्या की बेटी से संबंधित शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही इस पर कार्रवाई करेंगे। स्कूल से जवाब तलब करेंगे कि आखिर उन्होंने बच्ची को एडमिशन देने से क्यों इनकार किया है। इस बारे में जबलपुर के प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ के पक्ष जानने के लिए मोबाइल नम्बर 9685322388 पर फोन किया। जब उनसे सुनीता आर्या की बेटी के एडमिशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी बेटी का इंटरव्यू नहीं हुआ है। जब पूछा गया कि क्या अनुसूचित जाति महिला की बेटी होने के कारण एडमिशन नहीं दिया जा रहा? तो उनका कहना था कि हमारे विद्यालय में प्रवेश की एक नियमावली है। मोबाइल पर बात कर रही महिला से नाम, पद पूछने पर उन्होंने कुछ बताने से इनकार कर दिया।