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सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में SBI से जवाब मांगा

पूछा- चुनाव आयोग को दिए डेटा में बॉन्ड नंबर क्यों नहीं

नई दिल्ली – इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि 11 मार्च के फैसले में स्पष्ट कहा गया था कि बॉन्ड की पूरी डिटेल खरीदी की तारीख, खरीदार का नाम, कैटेगरी समेत दी जाए, लेकिन SBI ने यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का खुलासा नहीं किया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा चुनाव आयोग (ECI) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि SBI 18 मार्च तक नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने का जवाब दे।
कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग (EC) से मिले डेटा को 16 मार्च की शाम 5 बजे तक स्कैन और डिजिटलाइज किया जाए। प्रोसेस पूरी होने के बाद ओरिजनल कॉपी आयोग को लौटा दी जाए।एक कॉपी कोर्ट में रखी जाए और फिर इस डेटा को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 17 मार्च तक अपलोड किया जाए। EC का कहना है कि उसने सुप्रीम कोर्ट को दो किश्तों में दस्तावेज दिए हैं। जिसमें अप्रैल 2019 से नवंबर 2023 तक का डेटा था। पहली किश्त में 106 सीलबंद लिफाफे और दूसरी किश्त में 523 सीलबंद लिफाफे वाले बक्से थे। आयोग का कहना है कि वापस मिलने के बाद ही यह डेटा अपलोड हो सकता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने SBI से 12 मार्च तक डीटेल देने और ECI को 15 मार्च तक वेबसाइट पर इसे पब्लिश करने कहा था। इसके अलावा 30 जून तक का समय देने की SBI की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लि. से लेना-देना नहीं

वहीं, इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लि. से किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया है। कंपनी की तरफ से साफ किया गया कि नवी मुंबई की धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) एक रजिस्टर्ड कंपनी है। यह कंपनी किसी की सहायक (सब्सिडियरी) नहीं है। DAKC का क्विक सप्लाई से कोई लेना-देना नहीं है। ये बात इसलिए उठी, क्योंकि क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लि. को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को दान करने वाली तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बताया गया था।

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