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कांग्रेस कैंडिडेट बोलीं- मंत्री तय करते हैं कौन कैसे जीएगा

भूपेंद्र के खिलाफ खुरई से लड़ रहीं रक्षा ने कहा- यहां मंत्री का आतंक

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भोपाल – ‘मेरे पापा सरकारी स्कूल में टीचर थे। ये 2017 की बात है। कुछ नेता उन्हें परेशान कर रहे थे। घर का सामान फेंक देते, प्रॉपर्टी पर कब्जा करने लगे। पापा मंत्री के पास गए, लेकिन मदद नहीं मिली। आखिर में उन्होंने सुसाइड कर लिया। सुसाइड नोट लिखकर गए थे, उस पर भी कोई एक्शन नहीं हुआ। वो केस ही खत्म हो गया।’
ये कहना है रक्षा सिंह राजपूत (28) का। रक्षा को कांग्रेस ने सागर की खुरई सीट से टिकट दिया है। मुकाबला शिवराज कैबिनेट के मंत्री भूपेंद्र सिंह से है। राजनीति में आने की वजह पर रक्षा कहती हैं, ‘यहां के मंत्री का आतंक। वे किसी को कुछ समझते ही नहीं। किसे किसके साथ रहना है, किसके साथ जाना है, जो भी होगा, सब उनके हिसाब से होगा। सारी चीजें उन्होंने पॉलिटिक्स के इर्द-गिर्द लाकर रख दी हैं।’
रक्षा की पॉलिटिक्स में एंट्री अचानक नहीं हुई है। वे कहती हैं, ‘मेरे पापा को राजनीति में ऐसा फंसाया गया कि उन्हें सुसाइड करना पड़ा। आरोपियों पर तो कार्रवाई नहीं हुई, उलटा हमें ही परेशान किया जाने लगा। आसपास का माहौल ऐसा रहा कि राजनीति में आना पड़ा।’
रक्षा की इस स्टोरी से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी प्रभावित हुई थीं। बताया जा रहा है कि वे रक्षा के समर्थन में रैली करने भी आएंगी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, उनकी ही सिफारिश पर रक्षा को टिकट मिला है।

न थाने में सुनवाई होती है, न सरकारी दफ्तरों में

रक्षा कहती हैं, ‘मैंने खुरई में खुलकर मंत्री का विरोध किया। उन्होंने अपने विरोधियों को मिटाना शुरू कर दिया। पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे के खिलाफ झूठी FIR दर्ज करवा दी। फिर मुझे भी टारगेट किया कि ये भी राजनीति से दूर हो जाए। ऐसी राजनीति मैंने कभी नहीं देखी कि परिवार और रिश्तेदारों को नुकसान पहुंचाया जाए। मैं राजनीति में हूं, तो वे मेरे भाई पर FIR करा देंगे। हमारी न तो थाने में सुनवाई होती थी, न किसी और दफ्तर में। मैं राजनीति में अपनी निजी जिंदगी की परेशानी को नहीं लाना चाहती।’

हम सब मिलकर लड़ेंगे तो नतीजे भी आएंगे

रक्षा कहती हैं, ‘रणनीति तो पहले ही तैयार थी। पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे हमें सहयोग करेंगे और ललितपुर के गुड्‌डू बुंदेला मदद करेंगे। अरुणोदय चौबे ने कहा कि खुरई लोकल और बड़े गांव में वे खुद जनसंपर्क करेंगे। गुड्‌डू बुंदेला मेरे साथ रहेंगे। ये मेरी अकेले की लड़ाई नहीं है। सब मिलकर लड़ेंगे तो नतीजे भी अच्छे होंगे।

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