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रसूख और स्टेटस सिंबल के लिए नहीं रख सकेंगे गार्ड

BJP नेताओं को 2.55 करोड़ रिकवरी के आदेश

ग्वालियर – अपने रसूख के लिए सरकार की कृपा पर सरकारी सुरक्षा गार्ड को लेकर घूमना अब आसान नहीं होगा। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सरकार के चहेतों को दिए जाने वाले पुलिस के सुरक्षा गार्डों के मामले में न केवल नाराज़गी ज़ाहिर की। साथ ही ये भी कहा कि अगर ये गार्ड नेताओं या अन्य लोगों के रसूक की जगह थानो में ड्यूटी कर रहे होते तो इनसे महिला और बच्चों की सुरक्षा और मज़बूत होती। कोर्ट ने दो भाजपा नेताओं के सुरक्षा गार्ड वापस लेने के आदेश तो दिए ही साथ ही इनकी सेवा के बदले करोड़ों रुपये वसूलने के भी आदेश दे दिये हैं।
ग्वालियर-चंबल और उसका बीहड़ जो कभी बागियों और बंदूकों के लिए मशहूर था। अब यहां लाल बत्ती में सुरक्षाकर्मियों के साथ घूमना स्टेटस सिंबल बन गया है। यह टिप्पणी किसी संस्था ने नहीं बल्कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने की है। हाईकोर्ट ने ग्वालियर के दो भाजपा नेता बंधुओं को दी गई सुरक्षा और उसके एवज में करोड़ों की रकम जमा न करने के मुद्दे पर ये टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए भाजपा नेता दिलीप शर्मा और संजय शर्मा को बड़ा झटका देते हुए 12 साल पुरानी याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट ने न केवल दोनों भाजपा नेता भाइयों को मिली सुरक्षा हटाने के लिए कहा बल्कि, दो करोड़ 55, लाख 64 हज़ार 176 रुपये विधि अनुसार वसूलने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि ये ग्वालियर-चंबल का क्षेत्र है, जो कभी बागियों और बंदूकों के लिए मशहूर था। अब यहां पॉवर, पोजीशन और लाल बत्ती लगे वाहन में कंधे पर बंदूक टांगना सुरक्षाकर्मियों के साथ घूमना स्टेटस सिंबल माना जाता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उनके द्वारा कभी भी मुफ्त में सुरक्षा प्रदान करने का आदेश नहीं दिया गया था।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने अंतरिम आदेश में पुलिस रेगुलेशन को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करने के लिए कहा था। हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन के DGP और गृह विभाग को भी इस बारे में नियमों की समीक्षा करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में भाजपा नेताओं के बारे में कहा कि उनके परिवार में तीन हथियार के लाईसेंस हैं। यदि व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के चलते जान को खतरा है तो निजी सुरक्षाकर्मी तैनात करें, जो पुलिसकर्मियों से ज्यादा सजग रहते हैं। साथ ही कोर्ट ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव और DGP को निर्देश दिए हैं कि इस तरह के मामलों का पुनर्मूल्यांकन करें, पुलिस का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है। चार पुलिसकर्मियों को गर्ल्स कॉलेज के पास पदस्थ किया जाता तो लड़कियों के साथ छेड़खानी को रोका जा सकता था।
गौरतलब है कि भाजपा नेता दिलीप शर्मा और संजय शर्मा ने वर्ष 2012 में हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए पुलिस सुरक्षा प्रदान करने की गुहार लगाई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि कुछ वर्ष पूर्व एक हमले में उनके परिवार के एक सदस्य की मौत भी हो गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था। 18 जनवरी 2012 से 28 जुलाई 2018 तक दोनों के घर पर 1-4 का गार्ड और दोनों के साथ दो-दो सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। 16 मार्च 2018 तक सुरक्षा प्रदान कराने के एवज में आरआई, पुलिस लाइन ने 2.55 करोड़ रुपये का खर्चा बताया और याचिकाकर्ताओं को जमा कराने के लिए कहा। इसके बाद 29 जुलाई 2018 से अभी तक दोनों के बाद 2-2 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।

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