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बदला आदेश, शिकायतकर्ता बनी आंगनवाड़ी वर्कर

महिला एवं बाल विकास विभाग पर लगे थे रुपए लेकर नियुक्ति देने के आरोप

खंडवा – खंडवा में महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपने ही एक आदेश को पलट दिया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर जिस महिला की नियुक्ति की थी, उस नियुक्ति आदेश को रद्द कर दिया। वहीं शिकायत करने वाली महिला को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बना दिया। शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को आवेदन देकर नियुक्ति के मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ब्लॉक ऑफिसर पर रिश्वत लेने के आरोप भी लगाए थे। इसके बाद जांच में नियुक्ति रद्द कर शिकायतकर्ता काे नियुक्त किया गया।
मामला आदिवासी बाहुल्य खालवा विकासखंड के पटाल्दा गांव का है। 6 महीने पहले यहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की वैकेंसी निकली थी। विभाग ने आवेदन मंगवाए तो गांव से सुष्मिता और सरिता ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए आवेदन किया। चयन प्रक्रिया के बाद विभाग ने सुष्मिता को नियुक्ति पत्र दे दिया। सरिता ने सुष्मिता की नियुक्ति पर सवाल उठाए और आपत्ति ले ली। सुष्मिता की नियुक्ति को रोक दिया गया। वहीं कलेक्टर से शिकायत के बाद जांच बैठी तो पाया गया कि सरिता के पास अनुभव प्रमाण-पत्र नहीं था और सुष्मिता के पास अनुभव प्रमाण-पत्र था इसलिए उसे नौकरी दी गई।
हालांकि फिर सरिता पति कृष्णा कास्डे ने शिकायत की कि सुष्मिता ने अपने अनुभव में आशा कार्यकर्ता का अनुभव प्रमाण-पत्र लगाया है। जबकि सुष्मिता ने आशा कार्यकर्ता के पद पर कभी नौकरी ही नहीं की। चैनपुर गांव में उनकी मां भले ही आशा कार्यकर्ता है लेकिन बेटी को अनुभव का लाभ कैसे दिया जाए। इसके बाद जांच कमेटी ने सुष्मिता के अनुभव वाले 10 नंबर कम कर दिए। इस तरह सरिता के 10 नंबर बढ़ गए। अब विभाग ने सरिता कास्डे को नियुक्ति पत्र दिया है। पटाल्दा गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में सरिता कास्डे ही नौकरी करेगी।

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