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जिम्मेदारी तय नहीं हो पाती:मप्र में चार साल से अटका फायर सर्विस एक्ट

2020 में बन गया था एक्ट का ड्राफ्ट

भोपाल – पिछले साल 13 जून को मंत्रालय से महज कुछ कदमों की दूरी पर स्थित सतपुड़ा भवन में हुए भीषण अग्निकांड के बाद भी प्रदेश में अब तक फायर सेफ्टी एक्ट लागू नहीं हो सका है। एक्ट का ड्राफ्ट साल 2020 में बन गया था, लेकिन अभी तक कानून अस्तित्व में नहीं आ सका है। जानकारी के मुताबिक सतपुड़ा भवन के अग्रिकांड के बाद नगरीय विकास एवं आवास संचालनालय ने एक्ट का ड्राफ्ट फाइनल करके मंत्रालय में उच्च अधिकारियों के पास भेज दिया था। यह वहीं लंबित है।
केंद्र ने 2019 में फायर सेफ्टी एक्ट का ड्राफ्ट बनाकर राज्यों को भेजा था। इसके बाद मप्र में भी ड्राफ्ट बना था। इसमें कई बदलाव होते रहे और 2022 में मप्र अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा अधिनियम- 2022 का ड्राफ्ट तैयार हो गया। लेकिन अब तक यह लागू नहीं हो सका है।
ड्राफ्ट में प्रॉपर्टी टैक्स के साथ बिल्डिंगों में फायर सेस लगाने का भी प्रस्ताव है। राज्य स्तर पर फायर-इमरजेंसी सर्विस बनाने का प्रावधान है। डायरेक्टर स्तर के अधिकारी इसके मुखिया होंगे। हर निकाय में फायर ऑफिसर की नियुक्ति होगी। नए अग्निशमन सेवा केंद्र भी खोले जाएंगे।
हर अग्निशमन केंद्र में फायर अफसर की नियुक्ति होगी। आग की सूचना करने, उस पर कार्यवाही करने, अग्निकांड से बचाव के उपाय, अग्निशमन की प्रक्रिया बाधित करने वालों पर जुर्माना-सजा जैसे प्रावधान के अलावा बहुमंजिला इमारतों की जांच जैसे प्रावधान शामिल हैं। किसी भवन मालिक ने आग की सूचना नहीं दी तो वो भी सजा का हकदार होगा।

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